बिल्कुल सही कहा जन्म तो गोपाल के देस में ही लेना है लेकिन यहां उसके देस में गोपाल की कथाएं तो जनता खूब सुनती हैं लेकिन गोपाल की गायों का अपमान भी सबसे ज्यादा जिम्मेदार भी यही है कृपा करके इन्हे गोपाल की गायों का सम्मान भी करना बताए आपकी बाड़ी से प्रभावित होकर सायाद सुधार हो
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आप जैसा वर्णन मैंने किसी भी कथावाचक के मुख से नही सुना,,, शब्दों पर आप जैसी पकड़, उच्चारित करने का आप जैसा सलीका,, अद्भुत है आपकी शैली और आप, हरे कृष्ण❤
कुमार विश्वास जी जब आप राजनीति में आये थे आपके घनिष्ठ मित्र केजरीवाल जी के साथ तो मुझे आपके उपर बहुत क्रोध आया था, लेकिन मैंने आपके काव्यपाठ और प्रवचनों को सुनना नहीं छोड़ा, क्योंकि आपकी प्रस्तुति और और उसे प्रस्तुत करने के अलौकिक तरीके के हम सदा ही श्रोता और दर्शक रहेंगे। आप जैसा कवि, साहित्यकार और कथावाचक सहस्रों वर्षों में एक बार जन्म लेता है, मेरा आपको प्रणाम है और भगवान से प्रार्थना है कि हम ऐसे ही आपको सुनते रहें। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
कुमार विश्वास जी कथा वाचक के रूप में सही हैं पर कहीं कहीं पर भावुकता में कुछ अंतर वालीं बात भी कर देते हैं पर हमारे धर्मशास्त्रों के जानकार लोगों द्वारा सही स्मरण करवादेते हैं जिन्हें देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है।जैसा कि कहीं और नहीं मिलता है ।धन्यवाद ।
🕉 Jai Shri Ganeshaya Namh 🕉 Jai Shri Shiv Shambu 🕉 Jai Shri Mata Di 🕉 Jai Shri Radhe Krishna Om Jai 🕉 Shri SiyaRam Ji Ki 🕉 Jai Shri Veer Hanuman Ji Ki 🕉 Jai Shri Balaji MahaRaaj Ji Ki om 🕉 Jai Shri Shiv Shambu 🕉 🕉🕉🕉🎊🕉🎊🕉🎊🕉🎊🕉🎊🕉🎊🕉🎊🕉🎊🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🕉🕉🕉🕉🕉🕉🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
इसका एक अर्थ यह भी हुआ जब बच्चा मां के गर्भ में हो उस उसे धार्मिक ग्रंथों पढ़ने,सद्विचार रखना चाहिए उसका प्रभाव गर्भ शिशु पर पड़ता है लेकिन आज हो रहा है उल्टा-पुल्टा, घृणा द्वेष छल प्रपंच लालच से भरा हुआ जीवन परिणाम सामने है।
जय जय श्री राधे कृष्ण महाशय! पौराणिक विषयों में श्रेष्ठतम श्री मद् महाभारत जो कि पंचम वेद के रूप में प्रतिष्ठित है इसका प्रत्येक प्रसंग और पात्र विशिष्ट हैं। इनके हर व्यवहार वक्तव्य मनन चिन्तन आचरण भाव विचार दर्शन पर्शन गति मति वृत्ति प्रवृत्ति आदि आदि सामन्य नहीं हैं। इसलिए प्रत्येक पात्र समुचित समीक्षा का प्रयास करना ही कवि का परम कर्तव्य है।कल्पनिक कवित्व कुछ समय का मनोरंजन तो हो सकता है मगर सत्य के धरातल पर प्रतिष्ठित न होने से मानवीयता को हितकारी नहीं हो सकता है। अस्तु ध्यान दीजिए । 1-जो युधिष्ठिर धर्मपुत्र ही नहीं साक्षात धर्मराज है जिनने सम्पूर्ण जीवन में कभी असत्य भाषण नहीं किया। उनका जीते रहो का आर्शीर्वाद कभी असत्य नहीं हो सकता था। 2- जो आपने बोला कर्ण सूर्यांश है वो भी शास्त्र प्रमाणित नहीं है। क्योंकि शास्त्र निर्देश है सूर्य भक्त निवात कवच दैत्य जिसके शरीर पर एक सहस्त्र सूर्य कवच थे। साथ ही ये वरदान भी था। कि जो तेरा एक कवच काटेगा कवच कटते ही काटने वाले की मृत्यु हो जाएगी। तब देवताओं के द्वारा अजेय निवात कवच के भगवान नर नारायण दोनों ने तपस्या करते हुए 999 कवचों को जब काट दिया तो ये भयभीत हो सूर्य रथ में आ कर छुप गया। कुन्ती के सूर्यावहन पर सूर्य ने उसी को पुत्र रूप में प्रदान कर दिया। तो ये सूर्यांश कहाँ से हो गया। 3-सूर्य जो ब्रह्म विद्या के प्रथम पात्र और आदि श्रोता हैं। और प्रथम आचार्य भी वो आसुरी प्रकृति को प्राप्त कैसे हो सकते हैं। जगत प्रकाशक आदि गुरु का अंश आसुरी भाव को कैसे प्राप्त हो सकता सकता है। अप्रासंगिक है इसको शुद्धिकरण के साथ प्रस्थापित करें। और शास्त्र अवज्ञा के दोष से बचे। जय जय श्री राधे कृष्ण
Aap kise samjhane ki koshish kar rahe han Ye khud ko sanskritagya kahte han Aur wanar ki vyakhya karte hue kahte han Vishesh nar iti wanar Chaliye koi baat nahi Tulsi baba Ji pahle hi kah chuke han "Pandit soi jo gaal bajaba''
भारत को आप जैसे लोगों की जरूरत है।जो कि सच मे सही कथा बताते हैं। यहाँ बाबाओं की जरूरत नहीं है।एक तो ये लोग अपनी बदनामी खुद करवाते हैं दूसरे भारत को भी निचले स्तर पर ले आते हैं।जय श्री राम।
Ab app sahi jagah per ho..... AP jese vidvan ko pranam 🙏🙏🙏 AP Hindu dharm me Ai nastikta ko dor kare ka mahan kam kar hare ho Apke uper hamesha Maa Bhagwati 🙏 Maa Sarda ko ashirvad Bana rahe jai ho Kanya Lal ki 🙏 Radhey Radhey Krishna 🙏 dhanyawad dhanyawad dhanyawad
कुमार भैया एक बात समझ ने असफल हो रहा हूं कि श्री कृष्ण जी अभिमन्यु को आशिर्वाद कैसे दे सकते है उस दिन तो वो स्वयं अर्जुन के साथ युद्ध मैं गए होंगे क्योंकि वो तो स्वयं अर्जुन के सारथी थे तो ये कैसे संभव हो सकता है अगर आप कभी मेरे संदेश को पढ़ पाएंगे तो मुझे समझाने का कष्ट करें और मुझ जैसे अज्ञानी को शिक्षा दें और यदि भविष्य की गोद मैं मिलना संभव हो पाया तो हम अवश्य मिलेंगे
Kathakaro ki baten sunte Eisa lagta hey ki Kya VedVyas ne, Valmiki ne ya Tulsidasji ne Katha ke characters ke charitra ko bachane ke liye kathakaro ko Advocates appoint kiye hey? MahaKavya Rachnakaro ke dimaga mei jis character ko jo kirdar diya Eise story ko age badhaye. Ab Ram ke favour mei 100% argument aur Ravan ke favour mei sirf hate? Lekin jahan shrota ka samuh bewkoof hote hey vaha Kathakaro karodo rupiye enth ke le jate hey. Bhagya ki baat hey.
मैंने भगवद गीता को 500 से अधिक बार पढ़ा है लेकिन फिर भी मैं इसके आंतरिक अर्थ को समझने में अशिक्षित हूँ। मैं केवल भागवत Geeta से ही सीखा हूं कि यदि कोई व्यक्ति मेरी बात सुनने में रुचि नहीं रखता है तो वाहा मेरे बारे में न बोले। यदि किसी को मेरे बारे में जानने में रुचि हो तो उसे विस्तार से बताना होगा। मैं उसे अपना सच्चा भक्त मानूंगा कृष्ण के शब्द हैं!18 पाठ समाप्त होने की ओर !