- डॉ. राकेश कुमार NDRI करनाल
साइलेज बनाने से हरा चारा काफी समय तक अपनी गुणवत्ता को बनाए रखता है। यह दुधारू पशुओं को आसानी से पचता है और साथ ही यह उनकी उत्पादन क्षमता को भी बनाए रखता है। हरे चारे वाली फसलें जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, मीठी सुडान घास तथा जई आदि से अच्छा साइलेज बनाया जा सकता है जबकि बरसीम, रिजका, लोबिया आदि दलहनी फसलों से अच्छा साइलेज नहीं बन पाता क्योंकि इनमें जल की मात्रा ज्यादा होती है परन्तु कुछ उपाय के बाद इनका भी साइलेज बनाया जा सकता है। साइलेज बनाने लिए मक्का, ज्वार व जई को प्रारम्भिक या बीच की अवस्था में काट कर छेाटे-छोटे टुकड़े बना लेने चाहिए। इससे हरे चारों के सूखने की प्रक्रिया में तेजी आएगी और चारे में नमी केवल उतनी रह जाएगी जितने में भंडारण के दौरान फफूंदी का प्रकोप न हो। अत: चारे को गड्डे में डालते समय इसमें 65 से 70 प्रतिशत नमी रहे। आमतौर पर साइलेज बनाने के समय चारे में शुष्क पदार्थ 30 से 40 प्रतिशत तक रहना चाहिए। साइलेज बनाने वाले घुलनशील में खमीर बनाने की क्रिया होते समय अम्ल (पी. एच. 4.2) काफी मात्रा में रहे और वह चारे को खराब होने से बचाए। मक्का आदि से साइलेज बनाते समय यदि 500 ग्राम यूरिया प्रति क्विंटल चारे में मिलाया जाए तो साइलेज में प्रोटीन मात्रा बढ़ सकती है।
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16 сен 2024