Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj's Discourse in Hindi
स्वामी श्रीशरणानन्दजी महाराज जी का प्रवचन
बहुत ही गम्भीरता से जब आप विचार करेंगे, तो आपको स्वयं ही यह अनुभव होगा कि किसी कामना-पूर्ति के लिए हम एम. ए. का उपयोग करें, यह बात अलग है। किन्तु जब तक दूसरी कामना पूरी नहीं होती, तब तक कोई अन्तर नहीं होता, एम. ए. होने में, न होने में। क्यों अन्तर नहीं होता? क्योंकि कामना-उत्पत्ति से पूर्व जो जीवन है वह सदैव है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता और हां नवीन कामना पूर्ति से कोई नई बात हो जाती हो ऐसा भी नहीं होता तो प्रत्येक कामना-पूर्ति का सुख नवीन कामना को जन्म देता है- ऐसा प्रत्येक भाई को, बहन को अपने-अपने जीवन में देखने से अनुभव होगा।
17 сен 2024