श्रद्धेय आचार्या जी को नमन वन्दन अभिनन्दन है।अत्यन्त उत्तम भावनात्मक श्लोकों का विस्तार पूर्वक शुद्धता से वर्णन करके भ्रान्तियों का निराकरण किया और वास्तविकता का प्रस्तुतिकरण किया है।आचार्य जी को बहुत-बहुत साधुवाद है हार्दिक धन्यवाद है।
बहुत बहुत सुंदर। माननीय आचार्य जी का पुरा प्रवचन सुनाने के लिए दो तीन भागमें बांटकर सुनानेका कष्ट करें तो बहुत अच्छा होगा आधे अधूरे प्रवचन से पुरी बात समझ में नहीं आती है। धन्यवाद नमस्तेजी
वागीश जी, महाभारत में उपपाण्डवों के नाम भी लिखे हुए हैं। ये पाँच उपपाण्डव द्रौपदी के पाँच पुत्र थे, पाँच पाण्डव उनके पिता थे और उनका वध अश्वत्थामा ने पाँच पाण्डव समझकर किया था। शिव जी की कोई कहानी जुड़ी हुई है इस सन्दर्भ में।