कौन हैं ये रबारी लोग ? और कांकरेज गायों का घी चाहिए तो क्या करें । शुद्ध दुध और घी बनाने के लिए इनसे सम्पर्क करें ✅🙏 #vijaydahiyaapnevichar #rabari #bharat #स्वदेशी #cow #desicow #kankrej #kankrej_cow #desighee
रबारी जाति के लोग अपने को मां पार्वती और भगवान शिव की संतान मानते है। उनका मानना है कि भगवान शिव और माँ पार्वती ने उन्हें ऊंट की रखवाली करने के लिए बनाया है। भगवान शिव और पार्वती जब कैलास पर्वत पर थे, तो मां पार्वती ने एकेलापन में बोरियत (ऊबना) महसूस किया उन्होंने वहां पड़ी गीली मिट्टी की कुछ आकृति बनाना शुरू कर दिया, वह मिट्टी की आकृति ऊंट (केमल) जैसी थी, मां पार्वती को यह आकृति बहुत विचित्र ओर सुंदर लगी। जब भगवान शिव अपनी तपस्या से उठे तो उनकी नजर माँ पार्वती पर पड़ी। माँ पार्वती आग्रह किया कि -हे प्राणनाथ इस मिट्टी की आकृति में प्राण डालो। भगवान शिव ने अपने भभूत (Ash) से ऊंट की आकृति में प्राण फूंके जिससे धरती पर ऊंट अस्तित्व में आया। ऊंट की रखवाली के लिए भगवान शिव ने अपने हाथ की चमड़ी/चामड़ के भभूत से एक मनुष्य को बनाया। शिव की भुजा (हाथ) के भाग से बना होने के कारण रबारी क्षत्रिय कहलाये। वह पहला मनुष्य चामड़/सामड रबारी था। चमड़ी से बना होने के कारण उसका नामकरण शुरुआत में चामड़ था, फिर आगे चलकर अपभ्रंश होने के कारण सामड हो गया ऐसा रबारी समुदाय के लोगों का मानना है। आज भी रबारी समाज मे सामड नाम की एक गोत्र है जिसे प्रथम गोत्र होने का ऊंच दर्जा प्राप्त है।
,,रबारी,, मूल जाति नाम है,स्थानीय देवताओं के साथ साथ, शिवजी, के परम उपासक है इतिहास की माने तो इनका संबंध ,,,सिंधू घाटी,,, सभ्यता से भी है जिसका प्रभाव इनके कल्चरल से लगाया जा सकता है
नमस्ते जी आपकी बात सही है लेकिन जहां तक मुझे पता है रबारी भाई ज़्यादातर दिल्ली के आस-पास हरियाणा बार्डर और दिल्ली में भी रहते हैं क्योंकि यहाँ इनका दुध बिक्री हो जाता है लेकिन मैं जब अगली बार इनसे मिलूँगा तब मुझे याद रह गया तो आप वाली बात इनसे साझा करूँगा धन्यवाद 🙏
कोई कोई करता है वो भी केवल सर्दियों में क्योंकि इनके पास गर्मी में बर्फ़ उपलब्ध नही होती सबसे अच्छा तो ये रहेगा कि अगर ये आपके आस-पास हो तो इनसे दुध लेकर आप घी स्वयं तैयार करे