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आध्यात्मिक ज्ञान की सच्चाई दिखाने के लिए धन्यवाद। पाखण्डवाद को ऐसे ही उजागर करते रहीए जी। और सच्चे संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को जनता तक पहुंचाते रहो जी धन्यवाद।
आज हमें पता चला सच्चाई क्या है हमारे शास्त्र क्या बता रहे हैं और हमारे धर्म गुरु क्या बताते हैं आज से पहले जितने भी धर्मगुरु हुए उन्होंने शास्त्रों को खोलकर नहीं दिखाई
@@Mythvsfacts-n1i परमात्मा नहीं कहते तुम मुझे ही पूछो बकी नौकरी है तो हम कृष्ण को मनते हैं तो आपको क्या परेशानी है जब कृष्ण नहीं कहते मुझे बस पूछो जबकी वह अखिल कोटि ब्राह्मण नायक खुद हैं आप अपना अच्छे कर्म करो कृष्णा को जिंदगी ना पूछोगे तो भी वह नारज नहीं होंगे और आप अपने मुंह से बोलते हैं इन तीनों से बड़े कोई हैँ आप सबूत दिखाओ ना कहां पर है चरो वेदों पुराना महाभारत गीता किसने लिखा हुआ है
@@Mythvsfacts-n1iसंपूर्ण उत्सव से बोल रहा हूं तुम तीन तो ज्यादा बोल रहे हो बस एक कृष्ण को जो पकड़ा लिया है और उसे पछताने की जरूरत पड़े ऐसा कभी हो नहीं सकता
Factful Debete चैनल को बहुत बहुत धन्यवाद ये सचाई दिखाने के लिए और आप लोगो से प्रार्थना है की और ऐसे ही वीडियो अपलोड करे ताकि हम और हमारे हिंदू समाज को सही रास्ता मिले बहुत धन्यवाद
जिसको सृष्टि, स्थिति और प्रलय का ज्ञान नही वह किया जानने शास्त्रों का सही अर्थ ब्रह्मा, विष्णु और शिव यह त्रिदेव महाविष्णु के अंश है और महाविष्णु तथा सदाशिव उनके अंश और मूलप्रकृति भगवती देवी भी श्रीकृष्ण से प्रकट हुआ है अज्ञानी किया जाने विष्णु, ब्रह्मा, शिव से परे महाविष्णु, सदाशिव है ऐसे अनंत शक्तियां श्रीकृष्ण के नखो के ज्योति से प्रकट होते हैं यह मूलश्रीकृष्ण है जो सभी कारणों के कारण है वह आवेश शक्ति से ही केवल धरती पर वृन्दावन में लीला करते हैं तथा बाकी लीला विष्णु भगवान ने किया है। देवी भागवत में उल्लेख हुआ है :- द्वि भुजं मुरली हसतं किशोर गोप वेषिणम। स्वेच्छामयम परंब्रह्म परिपूर्णतम स्वयम ब्रह्मा विष्णु शिवादैः च स्तुतः मुनिगणेनुत्तमम निर्लिप्तं साक्षिरूपं च निर्गुणम प्रकृतेः परम ॥ अर्थातः यह द्वि भुजधारी, हाथ में मुरली लिए किशोर स्वरूप गोलोक वासी श्री कृष्ण का है जिसका ध्यान ब्रह्मा विष्नु शिव आदि देव एवं महर्षि गण करते हैं और जो कि ब्रह्मानंद लीला युक्त है। यह स्वरूप प्रक्तुति से परे, निर्गुण निर्लिप्त है एवं साक्षी स्वरूप है। संख्या चेद्रजसामस्ति न विश्वानां कदाचन। ब्रह्मा विष्णुशिवादीनां तथा संख्या न विद्यते ।। ७।।..... एषां संख्यां न जानाति कृष्णोऽन्यस्यापि का कथा । प्रत्येकं प्रतिब्रह्माण्डं ब्रह्मविष्णुशिवादयः ॥ १७ ॥ • (देवी भा., ९-३-७-१७) । भावार्थ- कदाच, पृथ्वी के रजकणों को गिना भी जा सकता है, पर अगणित संख्यातीत इन विश्वों को नहीं गिना जा सकता। अतः प्रत्येक ब्रह्मांड में होने वाले अगणित ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देव भी नहीं गिने जा सकते हैं। इस प्रकार से असंख्य विश्वों के असंख्य ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों का उदय-लय इस महाशून्य समष्टि के अन्तर्गत होता रहता है। अनंत कोटि ब्रह्माण्ड में जितने ब्रह्मा, विष्णु और शिव विद्यमान है जो कि महाविष्णु का विस्तार है जिससे भगवान श्रीकृष्ण भी नहीं जानते उनके संख्या कितने हैं।
श्री राम जी सतगुण, विष्णु जी के अवतार थे। उनका भी आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) होता है- प्रमाण श्रीमद्देवी भागवत अध्याय 5 स्कंध 3 पृष्ठ 123 Kabir Is God 🖥️ अवश्य देखें साधना टीवी शाम 7:30 बजे
00:00 परिचय 1:43 वीडियो की शुरुआत 2:36 अनिरुद्धाचार्य जी 2:58 जया किशोरी जी 3:29 धीरेंद्र शास्त्री (बागेश्वर धाम) 3:51 देवकीनंदन ठाकुर जी 4:17 कृपालु जी महाराज 4:37 प्रशांत मुकुंद प्रभु 4:50 प्रेमानंद जी महाराज 5:04 धर्मगुरुओं का दोगलापन 9:03 ब्रह्मा, विष्णु, महेश की आयु 18:02 शिवजी समेत अन्य प्रभु कितने समर्थ 26:10 शिवजी और भस्मासुर की कथा 33:11 कौन है शिव से भी समर्थ? 39:18 निष्कर्ष इस वीडियो में चर्चा की गई है कि हिंदू धर्म में भगवान शिव से भी शक्तिशाली कौन हो सकता है। शुरुआत में भगवान शिव के विभिन्न नामों और उनके हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता के रूप में स्थान की चर्चा की गई है। यह प्रश्न कि क्या शिव से भी कोई अधिक समर्थ है, हिन्दू धर्मगुरुओं के विचारों और संत रामपाल जी महाराज के विचारों के माध्यम से, साथ ही शास्त्रों के हवाले से समझाया गया है। इसके बाद वीडियो में ब्रह्मा, विष्णु, और शिव जैसे देवताओं की स्थिति और उनकी शक्तियों की विस्तृत चर्चा की गई है। इन तीनों देवताओं की माँ, दुर्गा (प्रकृति देवी) और उनके पिता ब्रह्म (क्षर पुरुष) की शक्तियाँ और उनके ब्रह्मांडों पर प्रभुत्व का भी वर्णन है। इस विश्लेषण से पता चलता है कि शिव से भी अधिक समर्थ देवता दुर्गा हैं, उसके बाद सदाशिव (ब्रह्म), फिर पर ब्रह्म और अंत में परम अक्षर ब्रह्म हैं। वीडियो में यह
Sant rampal ji Maharaj पाँचवें वेद "सूक्ष्मवेद" में अध्यात्म का रहस्य युक्त सम्पूर्ण ज्ञान है। जो गीता, वेद, पुराणों सहित अन्य धर्मग्रंथों में भी नहीं है।
क्षर, अक्षर से परे पुरुषोत्तम का जानना है तो प्रणामी धर्म, निजानद सम्प्रदाय अर्थात सुंदर साथ जी के अनुगामी हो जाऊं वाहा साक्षात अक्षरातीत द्वारा तारतम्य ज्ञान नश्वर ब्रह्माण्ड के ब्रह्म प्रिया के लिए हद, बेदह से परे ,अक्षर से परे अक्षरातीत श्रीकृष्ण का ज्ञान है यह रामपाल के द्वारा नरक जाओगे बिना तारतम्य ज्ञान के कभी अक्षरातीत पुरुषोत्तम को नहीं पा सकते।
Hamare parampita parmatma ne aj ye media banaaya bohot bohot sukriya hamare data 🙏🙏 aapko koti koti pranam maalik apka yah fectful debets duwara apka pura gyan pure vivs me felange malik bus aapka aashirwad sada banaye rakhna 🙏🙏🙏🙏
देवी भागवत में उल्लेख हुआ है :- द्वि भुजं मुरली हसतं किशोर गोप वेषिणम। स्वेच्छामयम परंब्रह्म परिपूर्णतम स्वयम ब्रह्मा विष्णु शिवादैः च स्तुतः मुनिगणेनुत्तमम निर्लिप्तं साक्षिरूपं च निर्गुणम प्रकृतेः परम ॥ अर्थातः यह द्वि भुजधारी, हाथ में मुरली लिए किशोर स्वरूप श्री कृष्ण परब्रह्म है जिसका ध्यान ब्रह्मा विष्नु शिव आदि देव एवं महर्षि गण करते हैं और जो कि ब्रह्मानंद लीला युक्त है। यह स्वरूप प्रक्तुति से परे, निर्गुण निर्लिप्त है एवं साक्षी स्वरूप है। अनंतकोटिब्रह्मांडे अनंतत्रिगुणोच्छ्रये। तत्कलाकोटिकोट्यंशा ब्रह्मविष्णुमहेश्वराः । सृष्टिस्थित्यादिना युक्तास्तिष्ठति तस्य वैभवाः। तदूपकोटिकोट्यंशाः कलाः कंदर्पविग्रहाः। जगन्मोहं प्रकुर्वति तदंडांतरसंस्थिताः तदंडांतरसंस्थिताः। । पद्मपुराणम्/खण्डः ५ (पातालखण्डः) /अध्यायः ०६९ त्रिगुणमय (सतोगुण-रजोगुण-तमोगुणमय) अनन्त करोड़ो ब्रह्माण्ड हैं। उनमें जितने ब्रह्म-विष्णु-रुद्र हैं, सब आदिपुरुष श्रीकृष्ण के करोड़वें- करोड़वें अंश से उत्पन्न उन्हीं श्रीकृष्ण के 'वैभव विलास अवतार है। उन श्रीकृष्ण के रूप का जो करोड़वाँ अंश है, उसके भी करोड़ अंश करने पर एक-एक अंश-कला से ऐसे असंख्य कामदेवों की उत्पत्ति होती है, जो इस ब्रह्माण्ड में स्थित होकर जगत के जीवों को मोह में डालते रहते हैं। त्रिदेवो के अंतर्गत आने वाले ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनो ही एक पद है जिसे कई जन्मों के तपस्वी मुक्तात्मा दिव्य जीव प्राप्त करते है ब्रह्मा का पद, विष्णुपद और रुद्रपद- अयं च मैत्रावरुणिर्विधातुरस्मात्तृतीयो भविता स्वयंभुः । व्यासश्च विष्णुर्भविता चतुर्थः स्कन्दो मृडोऽस्माद् अपि शुलपाणेः (स्कंद पुराण निर्वाण खंड अंतर्गत रामगीता) परंब्रह्म के कृपा से मित्रावरुणनन्दन वशिष्ठ इस ब्रह्मा से तीसरी पीढ़ी के सृष्टिकर्ता ब्रह्मा होंगे, वेद व्यास चौथे भगवान विष्णु होंगे तथा स्कन्द(कार्तिकेय) अगले शुलपाणेः शंकर भगवान होंगे (हारीतस्मृतौः- अध्याय ६ श्लोक २४० मे २४६ तक)
जय हो बन्दी छोड़ सत पुरूष कबीर भगवान के अवतार जगत गुरु तत्व दर्शी संत रामपाल जी महाराज जीके के चरण कमलों में कोटी कोटी कोटी कोटी कोटी कोटी कोटी कोटी दंडवत प्रणाम
#आदिरामलाई_चिन्नुहोस् Know more about #Who_Is_AadiRam.❓❓ Supreme Lord is also called as “Aadi Ram” who can destroy all our sins and make our life truly happy and peaceful. Kabir Is God Gyan Ganga
श्रीकृष्ण त्रिधा लीला कृष्ण कृष्ण सब कोई कहे, पर भेद न जाने कोए"। नाम एक विध है सही पर रूप तीन विध होए ॥ एक भेद बैकुंठ का दूसरा है गो - लोक। तीसरा धाम अखण्ड का कहत पुराण विवेक ॥
अदभुत ज्ञान। और यह ज्ञान केवल संत रामपाल जी महाराज ही बताते है। बाकी भारत के सारे धर्मगुरुओ ने तो हिंदू समाज को भ्रमित करने का ठेका ले रखा है। संत रामपाल जी महाराज जी का हम सभी हिंदू भाई धन्यवाद करते हैं। सच्चे सनातन हितेषी संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो।
राम कृष्ण से कौन बड़ा उन्हू भी गुरु कीन्ह तीन लोक के वे धनी गुरु आगे आधीन तीन देव विस्तार चलावे इस ये जग धोखा खावे तीन देव की जो करते भक्ति उनकी कबहु होवे ना मुक्ति
आज पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज जी ही एक मात्र तत्त्व दर्शी संत है जिसने। वेद।गीता। पुराण। बाइबल। कुरान शरीफ। गुरूग्रन्थ साहेब जी। से परमाणित ज्ञान बताया
सत्य भक्ति वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। जिससे इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
इतना अनमोल ज्ञान आज तक हमको किसी धर्मगुरुओं ने बताया नहीं हमारे शास्त्रों में इतना सत्य लिखा हुआ है इसका मतलब यह हुआ कि जितने भी धर्मगुरु है सब अज्ञानी है मूर्ख बनाते रहे केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही सतगुरु और पूर्ण संत हैं मेरा उनको बारंबार दंडवत प्रणाम ।