इसी को कहते हैं यथार्थवादी आप बिल्कुल सत्य कहते हैं। निश्चय ही संसार में जितने महान पुरुष हुए आज उनको देवता मानकर उनके शरीर की पूजा करते हैं इसलिए आज मानव मजहबी बनकर भटक रहा है। जबकि आवश्यकता है इन महान पुरुषों के चरित्र चित्रण की। राम, कृष्ण, महावीर, गौतम, कबीर, नानक आदि जितने महान पुरुष हुए हम जैसे साधारण मनुष्यों की तरह जन्मे और मृत्यु को प्राप्त हुए। लेकिन उनके कट्टरपंथी अंधविश्वासी अनुयायियों ने बढ़-चढ़कर के अलौकिक घटनाओं को प्रदर्शित कर उनके सत्य इतिहास के साथ खिलवाड़ किया। इसका मुख्य कारण है कि ईश्वर अवतारवाद। जबकि हमारे सत्य सनातन वैदिक धर्म में अवतारवाद का नामोनिशान उल्लेख नहीं है। भला सर्वव्यापक ईश्वर के लिए अवतार लेने की जगह भी नहीं है और न कभी मनुष्य ईश्वर हो सकता है।
स्वयं परमात्मा ही थे कबीर, जिसने यह नहीं जाना उसने कुछ नहीं जाना, तुमने तो सत्य की कब्र खोदने का ठेका ले लिया है- मात पिता मेरे कुछ नाहीं, ना मेरे घर दासी जुलहा का सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी एक पारखी संत अभिलाख दास है वह कुछ बौद्ध ज्ञान कुछ शंकराचार्य का सिद्धांत इकट्ठा करके कबीर का ज्ञान साबित करने पर तुला है तुम दुनियाँ से कह रहे हो लेकिन उल्टा है कबीर के ज्ञान को खुद तुमने अभी तक नहीं समझा है तुम काल प्रेरित हो कबीर ने ख़ुद कहा है कि- पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा जानूँ ज्ञान अपारा असल में तुम्हारा ये ज्ञान कबीर का नहीं अहं ब्रह्मास्मि वाला शंकराचार्य का सिद्धांत है
साहिब बंदगी साहिब जी 🙏🙏🙏मैं आपके सामने कुछ कहूँ ज़ा कुछ लिखू ऐसे होगा जैसे सूर्य के सामने दीपक जलाने के बराबर होगा जी लेकिन मैं माफी चाहुता हुँ जी सद्गुरु कबीर साहिब जी का 625वां प्रकाश उत्सव मनाया ज़ा चूका है, इतने बर्स तक कितने साधु, संत, महात्मा, बिगेयानक इस धरती पर किसी ने इस की जरूत नहीं समझी क्या? जब कि हम ने कई संतो की बानी में लिखा देखा जैसे संत ग़रीब दास साहिब जी द्वारा लिखा गया है :-आनंत कोटि बर्मण्ड में बंदी छोड़ कहाए, बो तो एक कबीर जो जननी जने ना माए l मेरी आपके श्री चरणों में बेनती है कि सद्गुरु कबीर साहिब की एक सखी है :-जाति ना पुछू साधि की, पूछ लीजिये ज्ञान,मोल करो तलबार का पड़ा रहने दो मीयान l बस इतना कह सकते हैँ जी 🙏🙏🙏
Parkhi kabir ke naam par shop chala rahe he kabir ke bare me pata nahi only chugli. Jeev kahan se aya kahan jayaga koe gyan nahi pani se paida nahi swasa nahi sarir ann ahar karta nahi taka naam kabir
Kal niranjan wale bhakt ho tum Anurag Sagar dekho.7.niyan.1.nam Parmatma pargat kar de o saancha Guru hai Sahib saty bandagi Kabir ke panth mein kuchh nahin Rakha hai Kabir ke naam men sab kuchh Rakha hai Koti Naam sansar mein ta se bhakti Na hoy Mool Naam Jo Gupt hai boojhe Birla koy Shri sadguru ke Charan kamlon mein bar bar dandwat
अपनी बुद्धि के दोष को समझने की कोशिश करो सत्य को विलीन करने की कोशिश मत करो कबीर साहेब परमात्मा है पैदा नहीं प्रकट ही हुए थे परमात्मा थे इसलिए प्रकट हुए देवताओं की तरह माँ से जन्म नहीं लेते हैं जिनके भगवान माँ से जन्में हो और कबीर बिना ही मां के प्रकट हुए थे तो अब वह परमात्मा साबित हुआ अब बो क्या करें जो राम कृष्ण को जबरन ही परमात्मा साबित कर रहे हैं तो सबसे पहले इस सत्य को झुठलाओ कोई बिना माँ के प्रकट हो गया
@@Sadgurukabir697 यदि कबीर बिना माता पिता के पैदा नहीं हुए तो कृपया कबीर के बारे में ठीक से दोवारा पढ़ें और समझें, अब आप कहेंगे हमने तो खूब पढ़ लिया पढ़ते पढ़ते दूसरों के गुरु बन गये, एक बात समझ लो आपने अभी तक कबीर को पढ़ा ही नहीं है कबीर प्रकृति का हिस्सा या उपज नहीं है आप जैसे गुरुओं ने लोगों को परमात्मा का ज्ञान समझने जानने ही नहीं दिया पिछले सारे गुरू कबीर को सृष्टि का रचयिता बताया है किसी से सुन कर नहीं बताया स्वयं कबीर ने अपना सच दिखाया तब उन्हें बिस्वास हुआ, दादू साहिब ने लिखा है- कबीर कर्ता आप है दूजा नाहीं कोइ, जिन गुरुओं को कबीर ने ज्ञान दिया वह अलग अलग समय के हैं, कबीर के बारे में तुम्हें कुछ भी पता नहीं है और कबीर ज्ञान के स्पेशलिस्ट समझ रहे हो
ऐ बाबा जी झूठ मत बोलो अभी अभी अभी बोला? पानी से पैदा नहीं स्वांसा,नहीं सरीर। अन्न आहार करता नहीं ताका नाम कबीर। उनके हड्डियो बाले फूल नहीं थे सुगंधि फूल थे
गुरु रामानंद जी समझ पकड़ियो मोरी बाहीं। जो बालक रुन झुनियां खेलत सो बालक हम नाहीं।। हम तो लेना सत का सौदा हम ना पाखंड पूजा चाहीं। बांह पकड़ो तो दृढ़ का पकड़ बहुर छुट न जाई।। जो माता से जन्मा वह नहीं इष्ट हमारा। राम-कृष्ण मरै विष्णु साथै जामण हारा।। तीन गुण हैं तीनों देवता, निरंजन चौथा कहिए। अविनाशी प्रभु इस सब से न्यारा, मोकूं वह चाहिए।। पांच तत्व की देह न मेरी, ना कोई माता जाया। जीव उदारन तुम को तारन, सीधा जग में आया।। राम-राम और ओम् नाम यह सब काल कमाई। सतनाम दो मोरे सतगुरु, तब काल जाल छुटाई।। सतनाम बिन जन्में-मरें परम शान्ति नाहीं। सनातन धाम मिले न कबहुं, भावें कोटि समाधि लाई।। सार शब्द सरजीवन कहिए, सब मन्त्रन का सरदारा। कह कबीर सुनो गुरु जी या विधि उतरें पारा।।
आपने कहा आप कबीर साहब को समझते हैं। पर कबीर साहब को जानते नहीं? ज्ञान आपका काफी ठीक ठाक है, पर कबीर साहेब का ज्ञान होने के बावजूद भी, आपको कबीर साहेब का ज्ञान लेश मात्र भी नहीं है? आपने यह तो बता दिया Prabhu yishu Masih ko suli per chadhaya Gaya पर आपने यह नहीं बताया, कबीर साहब ने अपना शरीर किस तरह छोड़ा ,और किन किन लोगों के सामने कितने आदमियों के सामने छोड़ा। यह वृत्तांत आप जरुर जानते होंगे, लोगों के सामने बताइए। कबीर साहब के शरीर छोड़ने का वृतांत जब आप लोगों के सामने बताएंगे, तब आपको पता चल जाएगा, कबीर साहब किसी मा के गर्भ से जन्म लिए थे, या सतलोक सेआए थे। हमारे महापुरुष धनी धर्मदास जी साहब, गरीब दास जीसाहब, दादू दासजी साहब घीसा दास जी साहब, गुरु नानक देव जी साहब, आदि कबीर पंथी अनेक आदरणीय संतो के विपरीत आपका सत्संग है। कृपया संतुष्ट करें, ।। । सत साहेब। ।।
Jhuthe kabirpanthi Ho bhojan ke Veer ke naam per karte ho agyanta purn baten karte ho pahle padho Uske bad vaktavya 2 aap number 1 Ke moorkhan Hain aapke liye yah Shabd bahut kam hai
Kabir is Suprime God (((वेदों में प्रमाण है, कविर्देव भगवान हैं))) ऋग्वेद मण्डल नं 9 सूक्त 96 मंत्र 17 ऋग्वेद मण्डल नं 9 सूक्त 96 मंत्र 18 ऋग्वेद मण्डल नं 9 सूक्त 96 मंत्र 19 ऋग्वेद मण्डल नं 9 सूक्त 96 मंत्र 20 ऋग्वेद मण्डल नं 10 सूक्त 90 मंत्र 3 ऋग्वेद मण्डल नं 10 सूक्त 90 मंत्र 4 ऋग्वेद मण्डल नं 10 सूक्त 90 मंत्र 5 ऋग्वेद मण्डल नं 10 सूक्त 90 मंत्र 15 ऋग्वेद मण्डल नं 10 सूक्त 90 मंत्र 16 यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 26 यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 30 यजुर्वेद अध्याय 29 मंत्र 25. सामवेद संख्या नं 359 अध्याय 4 खण्ड 25 श्लोक 8 सामवेद संख्या नं1400 अध्याय 12 खण्ड 3 श्लोक 5 अथर्ववेद काण्ड नं 4 अनुवाक नं 1 मंत्र 1 अथर्ववेद काण्ड नं 4 अनुवाक नं 1 मंत्र 2 अथर्ववेद काण्ड नं 4 अनुवाक नं 1 मंत्र 3 अथर्ववेद काण्ड नं 4 अनुवाक नं 1 मंत्र 4 अथर्ववेद काण्ड नं 4 अनुवाक नं 1 मंत्र 5,6,7 श्रीमद्भागवतगीता में प्रमाण अध्याय 8 श्लोक 9 अध्याय 15 श्लोक 17 अध्याय 18 श्लोक 62,66 क़ुरान शरीफ में प्रमाण सूरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में गुरुग्रंथ में प्रमाण गुरुग्रंथ पृष्ठ नं 721 महला 1 गुरुग्रंथ साहिब के राग "सिरी"महला 1 पृष्ठ नं 24 गुरुग्रंथ साहिब राग आसावरी,महला 1 पृष्ठ नं 350,352,353,41 कबीर परमेश्वर जी ए स्वामी सृष्टा मैं, सृष्टि हमारे तीर। दास गरीब अधर बसूं, अविगत सत्य कबीर।। सोलह संत पर हमारा तकिया, गगन मण्डल के जिन्दा। हुक्म हिसाबी हम चल आये,कटान यम के फंदा।। हम हैसत्यलोक के वासी,दास कहाये प्रगट भये काशी। नहीं बाप ना माता जाये, अब गतिही से हम चल आये।। गुरु नानक जी यक्अर्ज गुफ्तम् पेस तो दर गोस कून करतार्। हक्काकबीर करीम तू बेएब परवर दीगार संत दादू दास जी कबीर कर्ता आपहैं,दूजा नाहिं कोए। दादू पूरण जगत को ,भक्ति दृढावत सोए।। अबही तेरी सब मिटे, जन्म मरण की पीर। स्वांस उस्वांस सुमिर ले, दादू नाम कबीर।। संत गरीबदास जी अनंत कोटि ब्रह्मण्ड का,एक रति नहीं भार। सतगुरु पुरुष कबीर हैं,कुल के सृजनहार।। अनंत कोटि ब्रह्माण्ड में बंदी छोड़ कहाये। सो तो एक कबीर हैं जननी जने न माये।।a