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ॐ शांति 🚩अहिंसा परमो धर्मः अर्थात :- निःसन्देह निर्दोषों को क्षमा करना परम धर्म हैँ l धर्महिंसा तथैव च अर्थात :- अपराधियों, दोषियों को दंड(हिंसा ) देना परमधर्म से भी परम धर्म हैँ 🚩 हिंसा करना -दंड देना 🌙पार्थ सारथी श्री कृष्ण 🔱🔱 सिद्ध आदेश 🔱🔱
जैन धर्म जिसके अन्य प्राचीन नाम परम् अहिंसामयी विश्वधर्म, अहिंसा परमो धर्म, सनातन धर्म (हालाँकि आज यह केवल हिन्दू धर्म के लिए प्रयोग किया जाता हैं लेकिन यह जैन धर्म का प्राचीन नाम हैं ),वीतराग धर्म, श्रमण धर्म, निर्ग्रन्थ धर्म, परमहंस दिगम्बर धर्म, अर्हत धर्म, वैदिक धर्म( २०वे तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ के समय तक जैन धर्म को वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता था और जिनवाणी को ही वेद के रूप में अध्ध्यन किया एवं कराया जाता था लेकिन एक वैदिक गुरु क्षीरकदम्ब के पुत्र पर्वत ने मद में आकर एक व्यंतर के साथ मिलकर खोटे वेदों की रचना कर दी तब दो प्रकार के वेद आर्ष वेद(जिनवाणी) एवं अनार्ष वेद (हिंसा प्रधान खोटे वेद) अस्तित्व में आ गए थे(आचार्य जिनसेन के हरिवंश पुराण के अनुसार), आज जो वेद देखने को मिलते हैं वे संभवतः इन्ही दोनों वेदो के मिश्रण से उत्पन्न होने का अनुमान हैं ), व्रती धर्म, गृहस्थों की अपेक्षा से श्रावक धर्म या क्षत्रिय धर्म (क्षत्रियता का अर्थ प्रजा और राज्य की रक्षा के साथ साथ धर्म के संरक्षण एवं संवर्धन भी होता हैं यही कारण हैं कि सभी तीर्थंकरो का जन्म क्षत्रिय कुल में ही होता हैं ), जिन धर्म आदि हैं के अनुसार संपूर्ण सृष्टि या लोक ६ द्रव्यों से मिलकर के बना हैं १) आकाश (Space), २) काल (Time) ३) पुद्गल (Matter and Energy) , ४) जीव (Living beings or souls) ५) धर्मास्तिकाय (Medium of Motion) ६) अधर्मास्तिकाय (Medium of Rest) आधुनिक विज्ञान उपरोक्त ६ द्रव्यों में से प्रारम्भ के ३ को ही जनता हैं इसीलिए अपूर्ण हैं| इसीलिए आधुनिक विज्ञान के सिद्धांत जो कि लोक की सनातनता (eternity) पर प्रश्न चिन्ह लगाये, को सत्य मान लेना बहुत बड़ी भूल हैं |
@@ankitlakum1 मैंने ऐसा कब कहा बंधु कि मुझे बुद्ध पसंद है ❓ म्यानमार में बौद्ध भिक्षु विराथु द्वारा मुस्लिमों का कत्लेआम और उनका अनेकों पंथों में बट जाना बौद्धों के मानवीय स्वभाव को सत्यापन करता है जो किसी भी सम्प्रदाय विशेष में रहकर भी अपने प्राकृतिक रूप और गुणों व अवगुणों को दर्शाता है 🙏🏼 इसलिए मुझे केवल इंसान और इंसानियत पर भरोसा है जो किसी धर्म,सम्प्रदाय, पंथ आदि की बैसाखियों के सहारे का मोहताज नही है |
Nalanda vidyapith mai her type ka प्रशिक्षण दिया जाता था जो भगवान महावीर के समय बना था ,जानबूजकर उनको अग्रंजो ने मिटा कर भारत की संस्कृति को मिटाकर अग्रंजी को लाया और जो अच्छा ज्ञान था उसको मिटा या
आपका प्रयास वास्तव में बहुत अच्छा है। सभी भारतीयों और भारत सरकार को आपकी सहायता करके इस मुहिम को ओर तेजी से आगे ले जाना चाहिए। हमे अपनी महान भारतीय संस्कृति को फिर से वही स्थान दिलाना है।
Pahli baar inki video dekh mere bhi muh se same baatein nikli. Inhe sarkar ka sahyog dena chahiye. Inke hi Karan mein apne Dharm aur viraasat se poori tarah jood paya hoon pahle aisa nahi tha.
@@peteremmanuel2762 his channel Praveen Mohan is in English. Infact this is dubbed from English to Hindi for Hindi speakers. Let me get the English channel link if I can.
इतना जबरदस्त विश्लेषण 🙏 हम सिर्फ ये पढ़ते हैं कि ये मंदिर कहां है किसने बनवाया। लेकिन इतने सूक्ष्मता से जानने का प्रयास कभी नहीं किया। आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏🙏🙏🙏🙏
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आपको मेरा काम पसंद आया। कृपया अधिक से अधिक लोगों को इस परिवार से जोड़े। जिससे हमारी नई पीढ़ी भी प्राचीन ज्ञान से अवगत हो सके। धन्यवाद 🙏🏻
ये मूर्तियां इतनी रहस्यमय होती हैं कि इनके बारे में जान कर लगता है हम बहुत कुछ जानते ही नहीं है।विज्ञान कितना भी आगे चला जाए लेकिन कुछ चीजों के जवाब ढूंढ़ने नामुमकिन है।गर्व है हमें आप पूर्वजों पर
Jai Jinendra!! This is one of best sculpture ever made ! Bahubali was the son of first Jain Tirthankar lord Shri.Vrishabhdev (Adinath). Jainam Jayati Shasanam !! Ahimsa parmo dharm yato! Dharmostato Jay !!
हमारे पूर्वजों के ज्ञान को समझना बहोत ही मुश्किल है आज हमारे पास उनका 10 प्रतिसत ज्ञान भी नहीं है आज विज्ञान कितनी भी मशीनें लगा लें पर उनके जैसा अदभुत कार्य करने में असफल हैं 🙏राधे राधे🙏
जय जिनेंद्र ,प्रविणजी, भारतवर्ष की अदभूत कलाऐं आप लोगो को अवगत करवाते हो यह कार्य सराहनीय है। लोग भी आपका यह कार्य बहुत पसंद करते है और उनके support के वजह से ही आपका channel भी चलता है। इस कारण आपका भी यह कर्तव्य है की आप सदैव जिस विषय का video बना रहे हो उसकी सच्ची और सही जानकारी दे। इस video मे भगवान बाहुबली की मूर्ती के बारे मे जानकारी दी है जो की जैनधर्मीयों का पवित्र तिर्थक्षेत्र भी है। आपके दुसरे अनेक video मे उस स्थान का उल्लेख होता है परंतु यहा नही किया है, क्यो? अगर आप खुद यहा इतिहासकारोंको यह सुझाव देते हो की भगवान जी का महामस्तकाभिषेक में जो वस्तुऐं उपयोग होते है वही अन्य मूर्तीयों के लिए भी उपयोग करें और संवर्धन करे, तो हम जैनी जो पुरातन काल से हर १२ वर्ष मे इस मूर्ति का महामस्तकाभिषेक करवाते है वे अंधविश्वासी कैसे? जैन धर्म वैज्ञानिक तत्वों पर रचा है और उसकी नीव शाश्वत है। आप मूर्तीयों के बारे मे सही सही जानकारी जरूर दे और कोई भी धर्म का अवमान न करे। यह मूर्ती पहाड पर उपलब्ध पाषाण से बनाई है। सदैव अभ्यासपूर्ण जानकारी दे । जैनं जयति शासनं !
सब कुछ बताया परन्तु ये मुंह से नहीं निकला कि ये जैनों के गौरव का प्रतीक है।। ये प्रतिमा भगवान बाहुबली की है जो प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभ देव के बेटे थे,,,, और जैन अंधविश्वासी नहीं होते।।
@@jain380 are bhai unka kehna aap jaino ko nhi un gohchu secular ko jo humhe hindu or Jain ka majak udate hai ki yeh murti pooja krte hai or doodh chadhate hai
Sahi श्रद्धा रखने से जो अभिषेक का नमन है उससे मैना सुंदरी ने 700कोढ़ी का कोढ़ दूर किया ,आप अंधश्रद्धा कैसे बोल सकते ,आप किसी जैन से बात करते फिर वीडियो बनाते क्यों की गलत बात होती तो गलत विचारधारा बनती
यह प्रतिमा श्री 1008 बाहुबली भगवान की है जो कि गोमटेश्वर (कर्नाटक) मैं विराजमान हैं भगवान का चरण पर अभिषेक प्रतिदिन होता हैं परंतु 12 वर्ष बाद महामस्तकाभिषेक होता हैं यह प्रतिमा जैन समाज का गौरव है। जय हो बाहुबली भगवान की जय हो।
नमस्कार प्रवीण जी यह प्रतिमा भगवान बाहुबली की है जो जैन धर्म के अनुसार प्रथम तीर्थंकर ऋषभ नाथ भगवान के द्वितीय पुत्र थे यह प्रतिमा देव निर्मित मानी जाती है क्योंकि इसके निर्माण का कोई प्रमाण या उल्लेख कहीं भी नहीं मिलता है बल्कि इस प्रतिमा जी की प्रचलित कहानी के अनुसार राजा चामुंड राय को स्वप्न में इस मूर्ती के पहाड़ में दबे होने की जानकारी हुई एवं उनके द्वारा इस प्रतिमा जी को पहाड़ से खोद कर निकाला गया जो इसी स्वरूप में प्राप्त हुई थी जानकारी के लिए बता दूँ की प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है एवं तुलनात्मक रूप से भगवान ऋषभ देव (आदि नाथ) एवं भगवान शिव में गुणात्मक एवं प्रतीकात्मक समानताएं दर्शित होती हैं
भारत के सभी तंत्रज्ञान पूरे विश्व के लिए एक बहुत बड़ा रहस्य है जिसे सुलझाना आज के बहुत से बहुत बड़े वैज्ञानिक भी सुलझा नहीं सकते. क्योंकि जो भारत का तंत्रज्ञान है. जय भारत वर्ष.
यही हमारे वैदिक ज्ञान और उन्नतता के परिचय है और केवल हमारे अपने इसी ज्ञान को आगे कर के हम सनातन धर्म को मानने के लिए विवश हो जाते हैं और हमारे यहां तो पत्थर में भी प्राण फूंक ने कि तकनीक उपलब्ध थी इसलिए तो मंदिरों को प्राण प्रतिष्ठित किया जाता था और है । आप की इस पुरातनकाल को जानने की लगन को और कार्य सिद्धि को में हृदय से नमन करता हूं । ।। धन्यवाद ।। 🙏
जयस्तु भारतम श्रीमान...🙏 आपका ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति दृश्टिकोण अतुल्य ओर अद्वितीय है, हम आपसे विनती करते है कि (गुजरात,जूनागढ़ में गिरनार पर्वत ) है वहा बहुत ही पुरातन शिल्पकला पूरित मंदिर और जैन स्तुभ है, आप वहा जाकर कृपया उसके बारे में सबको अवगत कराएं ये विनती है आपसे.🙏जयस्तु भारतम....🇮🇳🚩
गुजरात मैं जैन तीर्थंकर नेमीनाथ मोक्ष गए है और वो प्राचीन जैन मंदिर है पर अभी वहा जैन मुनियों को मारते थे,फिर जैन समाज के लोगो को साधु मारते थे और अब वह राजगीरी जैसा अतिक्रमण करके दत्त का मंदिर बनाया ,जो प्राचीन हैं उसको क्यों मिटाते,yesa bar bar hota bohat dard hota jan इतिहास को मिटाते
Great efforts Mr.Praveen Mohan .You have shown us to see our heritage with scientific approach & perspective. Jainism being one of the oldest religion is a way of living .It is based on science. Doing the "Abhishek" is not superstition. It is a way of getting the energy from the idol.Abhishek is done on "Shivling" also .Most of the rituals are related to science which still are not explained by the scientists.
आदिनाथ भगवान के पुत्र बाहुबली की प्रतिमा है दक्षिण भारतीय राजा चामुंडा राय ने अपनी मां की इच्छा पूर्ण करने के लिए चट्टान को काटकर कलाकारों के द्वारा बाहुबली जी की मूर्ति बनवाई थी
Sir in sabhi mandiro ko agar aap dhyn se dekhege to isme aapko future se le k past tk ki sbhi jankari miljayegi ye dekhne me bht hi aanokha anubhav h.. sbhi mndiro me science h kyuki phle mndiro me study hoti thi wo school jse the.. ❤😊
मूर्ति क पूरा इतिहास है पढ सकते हैं राजा चामुंड राय ने इस मूर्ति को बनवाया था और इस एक चट्टान को आकार देकर ही इस मूर्ति का निर्माण हुआ है नीचे ऊपर नहीलाया गया वहीं की वंही निर्माण हुआ है खुले मे रहने बावजूद मूर्ति की परछाई नही पडती है मूर्ति पर कोई पक्षी नही बैठता ये भी मूर्ति की विषेशता है
Hi Pravin, To know answers who was Bahubali and who was his brother you need to go deep in Jainism. Bahubali and Bharat was two brothers who were son of First Jain Tirthankar Rushabhdev. And Bharat was a Chakravarti King by whose name, our country is called "BHARAT" . And Bahubali opposed him and won in fight too. According to the Puranas, this country is known as Bharatavarsha after the king Bharata Chakravarti. This has been mentioned in Vishnu Purana (2,1,31), Vayu Purana,(33,52), Linga Purana(1,47,23), Brahmanda Purana (14,5,62), Agni Purana ( 107,11-12), Skanda Purana, Khanda (37,57) and Markandaya Purana (50,41) it is clearly stated that this country is known as Bharata Varsha. Vishnu Purāna mentions: ऋषभो मरुदेव्याश्च ऋषभात भरतो भवेत् भरताद भारतं वर्षं, भरतात सुमतिस्त्वभूत् Rishabha was born to Marudevi, Bharata was born to Rishabh, Bharatavarsha (India) arose from Bharata, and Sumati arose from Bharata
Request you all to spread this channel unless it reaches to all nook and corner of the world . These are not mere theories which one can debate and put to rubbish . These are live established facts which no other religion can boast of, show to masses .
Bhagvan Bahubali ki yah pratima jain ke liye bohot hi sanmanniy hai yah pratima ham syayam dekhkar aye hai Jay Jinendra. Sanatan digambar jain dharm ki jay 🙏🙏🙏
हमारी पुरानी संस्कृति और पुराने कारीगर बहुत महान थे जिनकी अद्भुत कलाकारी हमें आज देखने को मिल रही है हमारे लिए एवं हमारे देश के लिए गर्व की बात है गर्व है हमारे पुराने कारीगरों पर ऐसी कारीगरी पूरी दुनिया में कहीं नहीं है और आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद
Your efforts is precious findings of our great civilization which was moderate and unforgettable to our generation. Please try to protect with much care and observation as they can be restored carefully for our national interest.
अदभुत, बहुत सुंदर ! अनुमान के अनुसार बताई गई इतनी विशाल चट्टान को तब तो क्या, आज के समय में भी इतनी उंचाई पर ले जा पाना संभव नही। उस समय के अद्भुत वैज्ञानिकों के समूह ने ये काम भला कैसे संभव किया होगा? यहा मैं उस समय के लोगो को अद्भुत वैज्ञानिकों की श्रेणी में इसलिए रख रहा हूँ क्योंकि आज के समय के सर्वोच्च वैज्ञानिक भी इस तरह के कार्य को अंजाम नही दे सकते।
JAI SHIRI RAM BHARAT MATA KI JAI HAR HAR MAHADEV SANATAN DHARM KI JAI JAI SHIRI KRISHNA SABHI GURUJANO JAI NAMAN HAI SABHI VEERO KO JINHONE DESH KE LIYE APNE PRANO KI AAHUTI DI
Bilkul mai bhi manti hu hmari sabhyta aj se bhi kafi zyada unnat rhi hai.. isiliye ise nasht krne ki sari koshishen ki gyi.. Taki wo log aj khud ko credit de ske ki hmne khoja.. jhoote nirmam dust dhurt log..
@@animax1034 There is sacred place nearby this called DHARMASTHALA famous for God Manjunath ( SHIVA),where the head of that Temple is from Jain community( Veerendra Heggade).. He's is one of iconic Sheer in Karnataka.
कृपया अनुनांकि का संपूर्ण विश्लेषण बताये,,,, अनुनांकि का पृथ्वीपर आनेका मुख्य उद्देश क्या हो सकता है,,,और 3000 सालो बाद उनके पृथ्वीपर आनेका विचार सही है क्या?
Praveen Mohan you are absolutely genuine. I am proud of you. No matters how we earn. it matters how we live. We Are The Tenents On This Earth. Our Mother. I think all of you understood what I said. ego, jealousness, selfishness......WHY WHY WHY ??? 😔😔😔😔😔
अत्यंत सराहनीय कार्य प्रवीण भैया जी मन करता है आपके सारे वीडियो को व्हाट्सएप स्टेटस पे डालूं, पर ये मजबूरी है कि उसमें भी 30 sec से ज्यादा का अपलोड नहीं होता है🙏🙏🙏
Dear praveen Mohan ji I like your videos so much. I watched your videos in English language even though I am watching in Hindi also,so much knowledge in them
If one comes here , watches these all craftsmanship with unbiasedness, he will surely start believing in sanatam dharm. No other religion can come close to our scientific sanatam dharm.
@@lokeeb1486 you are right to a good extent that it's a part of sanatam dharm . but principally a religion cannot emanate from a religion . The pedigree , Sections ,Practices can emanate from a religion .
भारत भूमि पर शिक्षा ज्ञान, गणित, वेद शास्ञ, विज्ञान औषधीय ज्ञान ज़योतिष ज्ञान का अपार भण्डार था! पंरतु हम अपनी संस्कृति, विचारों को गलत❌ कहते हैं और पश्चिमी देशों की नकल करने को बुद्धि मानी कहते हैं?
@@TechDonBIHARI bache, jain tum bramhano ka hi baap hai, learn about other faiths before writing anything non-sense, simply calling yourself sanatan does not make you anything, we jains identify hindu as a brahman cult as written in our agamas, we dont believe in ganjedi shiva and other animal gods and fake panchtantra stories and that dirt filthy anti-human and racist vedas.
As per jain scriptures heights of man gradually decresed to average 5.5feet today from more than 15 feets during Rishab dev, first tirthankar. No wonder huge structures in Giza, Mesopotamia, Incas, Maya Luxor or Bahubalis could be so effortlessly made
You are right dude👍 Human hight has been decreased iver the period! I'm curious if ancient Jain scriptures has more info about ancient temple building techniques! If uou are aware of any such information do share with us! :)
Yes same is written in Puranas. According to puranas humans were taller in previous yugas and in satyug humans were tallest. As the time passed height decreased.