परम श्रद्धेय भेदी सद्गुरु साईं अरुण जी महाराज के श्री चरणों में कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम एवं सार शब्दी परिवार के समस्त संत भाई-बहनों को मेरा सादर प्रणाम सत साहेब सत साहेब सत साहेब सद्गुरु जी 🙏🙏🙏🙏🙏🌹
भेदी गुरूजी श्री साईं अरुण जी मय परिवार क़े कोटि, कोटि चरण स्पर्श, दंडवत, प्रणाम एवं सभी सार सब्दी परिवार क़े संत भाई, बहनो को नमन, सत साहिबजी , सत साहिबजी, सत साहिबजी 🙏🌹🙏🌹🙏🌹
[8/7, 2:24 PM] Shalekh Gram Soni: सवाल _गुरुदेव के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम गुरुजी शंका समाधान बहुत अच्छी ऑडियो है एक शंका है जब कोई आत्मा ज्ञान प्राप्त करके मोक्ष में जाता है तो जब फिर बहुत युगों के बाद मृत्यु लोक में आता है तब वह फिर सब कुछ भूल जाता है और फिर से उसे ज्ञान प्राप्त करना पड़ता है🙇♀️🙏🙏 जबाब_ उसमे दो बाते है कबिरजी, गुरु नानक और संतो, पुराणों के अनुसार मोक्ष हमेशा हमेशा के लिए होता है और वेदों के अनुसार ’32 नील वर्ष’ तक ही मोक्ष बताया है, अब संतो की बाते सुने या वेदों की यह आपके ऊपर है l 🙌🙏🌹 [8/7, 2:57 PM] Shalekh Gram Soni: ।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ-कविता::-अजी सुरति सुमरे सारशब्द अखण्ड धुन की चित्त में सुमधुर झनकार, जिसकी महिमा अपरम्पार। सत स्वयंभू का आगाज निरंतर अलख अल्लाह लगातार। यही तो करता भवसागर से सभी का बेडा पार, आत्मा जिसकी अनुभूति करती बारम्वार। कलिकाल में जाना हमनें, शब्द गुरु विदेही का ऐसा चमत्कार,जिसकी महिमा अपरम्पार।।01।।साँई अरुण जी महाराज का जब सतसंग मिला, सारे संदेह गए भाग। माता पिता बंधु बांधव सब संसारी व्यवहार, ये सब स्वारथ के यार। दीवाने वन्दे कौन तेरा सच्चा साथी है, उसे पहचान मत बन तू नादान। सारशब्दी सतगुरु ही सबका साथी, जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी आधार। उसका गुरुवचन महान, जिसकी महिमा अपरम्पार।।02।।सारशब्द धन की खेती करले, काया माया की रेत में वन्दे। कट जाएगें तेरे सब काल के फंदे, छोड़ दे संसारी काले धंदे। सारशब्द की बेली लगाले, सतगुरु वचन के बीज बोयले। पंडित होय कर वेद बखानें, परमपिता परमात्माराम का मर्म ना जानें। मुल्ला बन कर बांचे कुरान अल्लाह ताला की नहीं पहचान। पुस्तक पढ़ पढ़कर परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द नहीं पहचाना,अंत समय लखचौरासी पाना। जिसकी महिमा अपरम्पार।।03।।साधो यह तन ठाट तंबूरे का, खेंचत तान मरोरत खूटी। निकसत राग हजूरे का, यह तन शब्द गुरु धुर धुन चित्त में जानन का।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ-कविता::-अजी सुरति सुमरे सारशब्द अखण्ड धुन की चित्त में सुमधुर झनकार, जिसकी महिमा अपरम्पार। सत स्वयंभू का आगाज निरंतर अलख अल्लाह लगातार। यही तो करता भवसागर से सभी का बेडा पार, आत्मा जिसकी अनुभूति करती बारम्वार। कलिकाल में जाना हमनें, शब्द गुरु विदेही का ऐसा चमत्कार,जिसकी महिमा अपरम्पार।।01।।साँई अरुण जी महाराज का जब सतसंग मिला, सारे संदेह गए भाग। माता पिता बंधु बांधव सब संसारी व्यवहार, ये सब स्वारथ के यार। दीवाने वन्दे कौन तेरा सच्चा साथी है, उसे पहचान मत बन तू नादान। सारशब्दी सतगुरु ही सबका साथी, जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी आधार। उसका गुरुवचन महान, जिसकी महिमा अपरम्पार।।02।।सारशब्द धन की खेती करले, काया माया की रेत में वन्दे। कट जाएगें तेरे सब काल के फंदे, छोड़ दे संसारी काले धंदे। सारशब्द की बेली लगाले, सतगुरु वचन के बीज बोयले। पंडित होय कर वेद बखानें, परमपिता परमात्माराम का मर्म ना जानें। मुल्ला बन कर बांचे कुरान अल्लाह ताला की नहीं पहचान। पुस्तक पढ़ पढ़कर परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द नहीं पहचाना,अंत समय लखचौरासी पाना। जिसकी महिमा अपरम्पार।।03।।साधो यह तन ठाट तंबूरे का, खेंचत तान मरोरत खूटी। निकसत राग हजूरे का, यह तन शब्द गुरु धुर धुन चित्त में जानन का।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
❤jai sat chith anand mein hoon humari bhedhi guru arun saai ji ko Kotti kotti pranaam.... Param atama aur raam kabir ki krippa hoti haien... Aur appani..... Ghrihas jeevan... Saar shabadh ke saath...laabh le raha hoon.... Bhedhi guru..ko dhanya waadh.
[8/7, 2:24 PM] Shalekh Gram Soni: सवाल _गुरुदेव के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम गुरुजी शंका समाधान बहुत अच्छी ऑडियो है एक शंका है जब कोई आत्मा ज्ञान प्राप्त करके मोक्ष में जाता है तो जब फिर बहुत युगों के बाद मृत्यु लोक में आता है तब वह फिर सब कुछ भूल जाता है और फिर से उसे ज्ञान प्राप्त करना पड़ता है🙇♀️🙏🙏 जबाब_ उसमे दो बाते है कबिरजी, गुरु नानक और संतो, पुराणों के अनुसार मोक्ष हमेशा हमेशा के लिए होता है और वेदों के अनुसार ’32 नील वर्ष’ तक ही मोक्ष बताया है, अब संतो की बाते सुने या वेदों की यह आपके ऊपर है l 🙌🙏🌹 [8/7, 2:57 PM] Shalekh Gram Soni: ।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ-कविता::-अजी सुरति सुमरे सारशब्द अखण्ड धुन की चित्त में सुमधुर झनकार, जिसकी महिमा अपरम्पार। सत स्वयंभू का आगाज निरंतर अलख अल्लाह लगातार। यही तो करता भवसागर से सभी का बेडा पार, आत्मा जिसकी अनुभूति करती बारम्वार। कलिकाल में जाना हमनें, शब्द गुरु विदेही का ऐसा चमत्कार,जिसकी महिमा अपरम्पार।।01।।साँई अरुण जी महाराज का जब सतसंग मिला, सारे संदेह गए भाग। माता पिता बंधु बांधव सब संसारी व्यवहार, ये सब स्वारथ के यार। दीवाने वन्दे कौन तेरा सच्चा साथी है, उसे पहचान मत बन तू नादान। सारशब्दी सतगुरु ही सबका साथी, जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी आधार। उसका गुरुवचन महान, जिसकी महिमा अपरम्पार।।02।।सारशब्द धन की खेती करले, काया माया की रेत में वन्दे। कट जाएगें तेरे सब काल के फंदे, छोड़ दे संसारी काले धंदे। सारशब्द की बेली लगाले, सतगुरु वचन के बीज बोयले। पंडित होय कर वेद बखानें, परमपिता परमात्माराम का मर्म ना जानें। मुल्ला बन कर बांचे कुरान अल्लाह ताला की नहीं पहचान। पुस्तक पढ़ पढ़कर परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द नहीं पहचाना,अंत समय लखचौरासी पाना। जिसकी महिमा अपरम्पार।।03।।साधो यह तन ठाट तंबूरे का, खेंचत तान मरोरत खूटी। निकसत राग हजूरे का, यह तन शब्द गुरु धुर धुन चित्त में जानन का।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
Han yah Satya Hai Sar Sab Parmatma ki taraf se Milta Hai Jo Naam Dene Wale Hain Guru Hain Jo Jinda Guru Sharir wala Deta Hai Naam Jo Naam Nahin Hai vah Sar Shabd Hai vah Sar Shabd Parmatma hi lagata hai aur kisi ki Lakhani ki kshamta hi nahin hai yah Parmatma ki or se hi Milta Hai Jis per Kripa use Yad Karta Ki Surya Naam utpadan Jay Guru Maharaj Ke Charno Mera satsang
आप नित्यानंद सदगुरु कबीर साहेब के सद्गुरु के अंग एवं गुरु के अंग दोनों जरूर ध्यान पूर्वक पढ़िए सब धरती कागज करूं ...... गुरु को सिर पर रखिए चलिए आजा माही कहे कबीर दास को तीन लोक ...... गुरु गोविंद डाउ खड़े काके लागु पाए...... गुरु बिन ज्ञान उपज.... कबीर हरि के रूठते....... कबीर सब ने परमात्मा से बड़ा गुरु को बताया है क्योंकि गुरु ही परमात्मा से मिल सकता है परमात्मा स्वयं अपने आप को कभी जीव से नहीं मिलता है, यही निर्भरता सत्य है यदि ऐसा होता परमात्मा सभी जीवो के अंदर बैठा है अनंत काल बीत गए परंतु बिना सद्गुरु के परमात्मा की प्राप्ति किसी को नहीं हुईl गुरु की पहचान बताते हुए कबीर साहब कहते हैं नैनन आगे मन बसे . .... गुरु गम हो तो जान लो नहीं करो गुरु और
वैसे सत्य बताना भी चाहिए,ये ऐसी वानियां भी तो कबीर जी ने किया कहीं,अब इन सारी की सारी वानियों का उपयोग ये दूसरे लोग और संत रामपाल जी के मिशन में भी करते हैं। उससे तो वह भी सही लगते हैं इधर कबीर साहेब भी कुछ और बोल रहे।ये सभी बातें स्पष्टता में आनी चाहिए।दूसरी बात क्या कबीर जी केवल मुसलमानों के ही थे,हिंदुओं के नही थे,क्योंकि वे जिंदा, एक मुस्लिम फकीर रूप में ही दिखते थे,कभी तो हिदू संतो के रूप में भी किसी को मिलना चाहिए था। अब वे वहां कबीर जी को ही परमेश्वर बताते हैं,वेदों ,गीता,बाइबल,कुरान के दाखिले देते हैं की इस सभी धर्मग्रंथों में लिखा है कि,कवि, कविर,कबीरन,खबीरनऔर कबीर लिखा हुआ है।की उस कबीर भगवान ने मनुश्य रूप में स्रिस्टी बनाई,और सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।और कहते,की वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं।कि वे जिंदा रूप में ही हमेशा,गरीबदास,जी को,नानक जी को, पलटू साहेब को मलूक दास को,धर्मदास को भी ले गए सतलोक,तो ये उल्लेख किया झूठे हैं, फिर नानक जी को vaiei नदी से ले गए और बोला की धरती पर बनारस में मिलना मेरे साथ और नानक ने भी कहा था की फाई सूरत मलूकी वेश, ईह ठगवाड़ा ठग्गी देश,घना स्याना बहुता भार, धानक रूप रहा करतार।तो ये सब साखियां या दोहे क्या झूठे बोले थे? फिर स्रिस्टी रचना जो दिखाते हैं वे,वह किया झूठ है।हैं यदि झूठ है तो वह संत रामपाल मीडिया में निमंत्रण भी देते की आओ शास्त्रों के अनुसार विवेचन करें,तो आइए करना चाहिए कि यहां अप गलत,या झूठ बोल रहे हो,और ऐसे कर्म के लिए दंडित किया जाना चाहिए।आज हेर कोई उठ कर गुरु बनाता जा रहा। विवेकानंद जी ने तो कहा था कि जो गुरु शिष्य के पूर्व जन्मों,कर्मों को और भविष्य में किया बनेगा,इसको बता देगा वही सच्चा गुरु है।अब कितनी को इस कसौटी पर कस कर देखें। 42:30