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गुरु पुर्णिमा २०२० भजन, संतमत अनुयायी आश्रम, मठ गड़वाघाट, वाराणसी 

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गुरु पूर्णिमा 2020 स्पेशल भजन | गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरा -
गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
अर्थात गुरु ब्रह्मा, विष्णु और महेश है। गुरु तो परम ब्रह्म के समान होता है, ऐसे गुरु को मेरा प्रणाम। हिन्दू धर्म में गुरु की बहुत महत्ता बताई गई। गुरु का स्थान समाज में सर्वोपरि है। गुरु उस चमकते हुए चंद्र के समान होता है, जो अंधेरे में रोशनी देकर पथ-प्रदर्शन करता है। गुरु के समान अन्य कोई नहीं होता है, क्योंकि गुरु भगवान तक जाने का मार्ग बताता है।
जो व्यक्ति इतना महान हो तो उसके लिए भी एक दिन होता है, वह दिन है 'गुरु पूर्णिमा'। गुरु पूर्णिमा हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ की पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा, गुरु की आराधना का दिन होता है। गुरु पूर्णिमा मनाने के पीछे यह कारण है कि इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।
वेदव्यास को हम कृष्णद्वैपायन के नाम से भी जानते है। महर्षि वेदव्यास ने चारों वेदों और महाभारत की रचना की थी। हिन्दू धर्म में वेदव्यास को भगवान के रूप में पूजा जाता है। इस दिन वेदव्यास का जन्म होने के कारण इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और मुडिया पूनो के नाम से जाना जाता है। यह एक पर्व है जिसे लोग त्योहार की तरह मनाते हैं। यह संधिकाल होता है, क्योंकि इस समय के बाद से बारिश में तेजी आ जाती है। पुरातन काल में ऋषि, साधु, संत एक स्थान से दूसरे स्थान यात्रा करते थे। चौमासा या बारिश के समय वे 4 माह के लिए किसी एक स्थान पर रुक जाते थे। आषाढ़ की पूर्णिमा से 4 माह तक रुकते थे, यही कारण है कि इन्हीं 4 महीनों में प्रमुख व्रत त्योहार आते हैं।
गुरु पूर्णिमा के दिन सभी लोग वेदव्यास की भक्तिभाव से आराधना व अपने मंगलमय जीवन की कामना करते हैं। इस दिन हलवा प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। बंगाल के साधु इस दिन सिर मुंडाकर परिक्रमा पर जाते हैं। ब्रज क्षेत्र में इस पर्व को मुड़िया पूनो के नाम से मनाते हैं और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। कोई इस दिन ब्रह्मा की पूजा करता है तो कोई अपने दीक्षा गुरु की। इस दिन लोग गुरु को साक्षात भगवान मानकर पूजन करते हैं।
इस दिन को मंदिरों, आश्रमों और गुरु की समाधियों पर धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक सभी जगह गुरुमय हो जाती है। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में धूनी वाले बाबा की समाधि पर यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन प्रदेश के साथ-साथ देश और विदेश से भी लोग आते हैं।

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10 окт 2024

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Bhajan
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