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गोगामेड़ी पशु मेला आज 4दिन मेले में सबसे ऊँट आये 2लाख दूसरा 1लाख50 हजार का ऊँटो की रेस नाचना 

Soni Studio Gogameri
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राजेश सोनी गोगामेड़ी आप सभी का स्वागत इस पावन धरती है गोगा जी का आप सभी पर आशिर्वाद बना रहे किसी भी प्रकार सहायता के लिए आप हमारे को कॉमेट बॉक्स में लिख सकते हो आपका अपना राजेश सोनी गोगा गोगामेड़ी आप फेसबुक पेज को फॉलो कर सकते हो राजेश सोनी (Rajesh Sony)
प्रमुख पशु मेले
श्री रामदेव पशु मेला-नागौर
राज्य में आयोजित एक पशु मेले का दृश्य
इस मेले के बारे में प्रारंभ में प्रचलित मान्यता है कि मानसर गांव के समुद्र भू-भाग पर रामदेव जी की मूर्ति स्वतः ही अद्भुत हुई। श्रद्धालुओं ने यहां एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया है और यहां मेले में आने वाला पशुपालक इस मंदिर में जाकर अपने पशुओं के स्वास्थ्य की मनौती मांग ही खरीद फरोख्त किया करते हैं। आजादी के बाद से मेले की लोकप्रियता को देखकर राज्य के पशु पालन विभाग ने इसे राज्यस्तरीय पशु मेलों में शामिल किया तथा फरवरी १९५८ से पशुपालन विभाग इस मेले का संचालन कर रहा है। यह पशु मेला प्रतिवर्ष नागौर शहर से ५ किलोमीटर दूर मानसर गांव में माघ शुक्ल १ से माघ शुक्ल १५ तक लगता है। मारवाड़ के लोकप्रिय नरेश स्वर्गीय श्री उम्मेद सिंह जी को इस मेले का प्रणेता माना जाता है। इस मेले में नागौरी नस्ल के बैलों की बड़ी मात्रा में बिक्री होती है।
श्री मल्लीनाथ पशु मेला, तिलवाड़ा-बाड़मेर
यह पशु मेला वीर योद्धा रावल मल्लिनाथ की स्मृति में आयोजित होता है। विक्रम संवत १४३१ में मलीनाथ के गद्दी पर आसीन होने के शुभ अवसर पर एक विशाल समारोह का आयोजन किया गया था जिसमें दूर-दूर से हजारों लोग शामिल हुए। आयोजन की समाप्ति पर लौटने के पहले इन लोगों ने अपनी सवारी के लिए ऊंट, घोड़ा और रथों के सुडौल बैलों का आपस में आदान-प्रदान किया तथा यहीं से इस मेले का उद्भव हुआ। इस मेले का संचालन पशुपालन विभाग ने सन १९५८ में संभाला। यह मेला प्रतिवर्ष चैत्र बुदी ग्यारस से चैत्र सुदी ग्यारस तक बाड़मेर जिले के पचपदरा तहसील के तिलवाड़ा गांव में लूनी नदी पर लगता है। इस पशु मेले में सांचोर की नस्ल के बैलों के अलावा बड़ी संख्या में मालानी नस्ल के घोड़े और ऊंठ की भी बिक्री होती है।
श्री बलदेव पशु मेला, मेड़ता सिटी-नागौर
यह पशु मेला मेड़ता सिटी में चैत्र सुदी १ से चैत्र सुदी १५ तक आयोजित होता है। इस मेले में अधिकांशतः नागौरी बैलों की बिक्री होती है। यह पशु मेला प्रसिद्ध किसान नेता श्री बलदेव राम जी मिर्धा की स्मृति में अप्रैल १९४७ से राज्य का पशुपालन विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है।
श्री वीर तेजाजी पशु मेला परबतसर नागौर
राजस्थान में यह पशु मेला लोक देवता वीर तेजाजी की याद में भाद्र शुक्ल दशमी (तेजा दशमी) को भरता है। पशुपालन विभाग ने इस मेले की बागडोर सन १९४७ में अपने हाथ में ली थी। यह पशु मेला आमदनी के लिए प्रदेश का सबसे बड़ा मेला है। विक्रम संवत १७९१ में जोधपुर के महाराजा अजीत सिंह ने यहां तेजाजी का देवल बनाकर एवं उनकी मूर्ति स्थापित कर इस पशु मेले की शुरुआत की थी। यह मेला नागौरी बैलों एवं बीकानेरी ऊंटों के क्रय -विक्रय के लिए प्रसिद्ध है।
महाशिवरात्रि पशु मेला करौली
करौली जिले में भरने वाला यह पशु मेला राज्य स्तरीय पशु मेलों में से एक है। इस पशु मेले का आयोजन प्रतिवर्ष फाल्गुन कृष्णा में किया जाता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर आयोजित होने से इस पशु मेले का नाम शिवरात्रि पशु मेला पड़ गया है। इस मेले के आयोजन का प्रारंभ रियासत काल में हुआ था। मेले में हरियाणवी नस्ल के पशुओं की बिक्री बहुत होती है। राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के व्यापारी भी इस मेले में आते हैं। पशु मेला समाप्त हो जाने के करीब १ सप्ताह बाद इसी स्थल पर माल मेला भरता है जिसमें करौली कस्बे के आस-पास के व्यापारी वर्ग अपनी दुकानें लगाते हैं और ग्राम ग्रामीण क्षेत्र के लोगों द्वारा इस मेले में आवश्यक वस्तुओं को खरीदा जाता है और चुना जाता है कि इस मेले में रियासत के समय जवाहरात की दुकानें भी लगाई जाती थीं।
गोमती सागर पशु मेला-झालावाड़
झालावाड़ जिले के झालरापाटन कस्बे में यह पशु मेला प्रतिवर्ष वैशाख सुदी तेरस से ज्येष्ठ बुदी पंचम तल गोमती सागर की पवित्रता पर बढ़ता है यह पशु मेला हाड़ौती अंचल का सबसे बड़ा एवं प्रसिद्ध मेला है। पशुपालन विभाग मई १९५९ से इस पशु मेले को आयोजित कर रहा है।
श्री गोगामेड़ी पशु मेला-हनुमानगढ़
गोगामेड़ी राजस्थान के पांच पीरों में से एक वीर तथा लोक देवता गोगा जी का समाधि स्थल है यह वर्तमान में हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में है यहां प्रतिवर्ष श्रावण सुदी पूनम से भादवा सुदी पूनम तक पशु मेले का आयोजन होता है इस मेले के संचालन का काम पशुपालन विभाग द्वारा अगस्त १९५९ से हो रहा है।
श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला-भरतपुर
भरतपुर रियासत के स्वर्गीय महाराजा जसवंत सिंह की याद में इस प्रदर्शनी तथा पशु मेले का आयोजन होता है प्रतिवर्ष यह पशु मेला आसोज सुदी पंचम से आसोज सुदी १४ तक लगता है इस मेले में हरियाणा नस्ल के बैलों का कई अभिक्रिया होता है अक्टूबर १९५८ से पशुपालन विभाग पशु मेले को आयोजित कर रहा है।
आय की दृष्टि से सबसे बड़ा पशु मेला है।
श्री चंद्रभागा पशु मेला-झालावाड़
झालावाड़ जिले के झालरापाटन कस्बे में यह पशु मेला हर साल कार्तिक सुदी ग्यारस से मिगसर बदी पंचम तक चलता है इस पशु मेले में मालवी नस्ल के बैलों की भारी तादाद में खरीद होती है पशुपालन विभाग द्वारा इस मेले का संचालन नवंबर १९५८ से हो रहा है।
पुष्कर पशु मेला-अजमेर
पुष्कर मेला, 2006
अजमेर से ११ कि॰मी॰ दूर हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं। हजारों हिन्दू लोग इस मेले में आते हैं। व अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। भक्तगण एवं पर्यटक श्री रंग जी एवं अन्य मंदिरों के दर्शन कर आत्मिक लाभ प्राप्त करते हैं।

Опубликовано:

 

20 сен 2024

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Комментарии : 7   
@bannajigoatfarm9617
@bannajigoatfarm9617 Год назад
Bhai asi video dekhkar Dil kush ho jata hai
@SoniStudioGogameri
@SoniStudioGogameri Год назад
Thenks
@rakeshkrdhaka5185
@rakeshkrdhaka5185 Месяц назад
Very Nice❤❤❤❤
@kadarkhan4887
@kadarkhan4887 Год назад
Very nice Rajesh g
@rajeshjyani4388
@rajeshjyani4388 Год назад
Very good Bhai
@rajabrehmi786
@rajabrehmi786 4 месяца назад
🇵🇰🇵🇰🇵🇰🇵🇰pk Sindhi tharparkar sy ap ky
@satvirsingh5455
@satvirsingh5455 Год назад
Hi
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