बहुत सुन्दर और प्यारा....भावनात्मक... ह्रदयस्पर्शी गीत, संगीत है... रचनाकर को सादर नमन 🙏👍👌 हाँ...पात्रों के संवाद में थोड़ा सा सुधार होना चाहिए...!!👍 (वैसे इस वीडियो में एक झलक मेरा भी है) 😊🥳🥳
aaj bhi is geet me itna ras hai k sunne valo ki aankho me aansu aa jaye jab bahan apne bhaai ko rakhi ki baat kah kar rokti hai kasam se us drishya ko dekh kar aankhe dabdba gaya
बहुत ही मर्म स्पर्शी दिल को छूने लेने वाला गीत केवल चंदैनी गोंदा में ही सुनने को मिल सकता है पुराने दिनों कि याद ताजा हो गया जब यह कार्यक्रम भिलाई के पंत स्टेडियम में होता था तब देखने जाते थे वह 1980 के समय था हां शुरू में जो गाली देता है जा न रे रोगहा वो अच्छा नहीं लगता उसमें सुधार होना चाहिए
पहले जैसे नही रहा कार्यक्रम ये मेरा कहना नही है 90%दर्शकों का कहना है। कुछ नयापन है ही नही। ये दुनिया परिवर्तन शील है।उसके हिसाब से होना चाहिए ।खुमान लाल साव उस युग सर्वश्रेष्ठ थे। लेकिन अभी संचालक को कुछ सोचना चाहिए……