आज बिरहा के सम्राट माननीय विजय लाल यादव जी को आपके सुर ताल और गायकी के इस निराले अंदाज पर खूब नाज होगा.. हमारे समझ से माननीय विजय लाल यादव जी को अपने शिष्य के तरफ से इससे अच्छी गुरु दक्षिणा नहीं मिल सकती थी.. जैसे गुरु द्रोणाचार्य को अर्जुन मिले वैसे ही गुरु विजय लाल यादव जी को सुधीर लाल यादव मिले हैं..दिल बाग-बाग हो गया मेरे भाई...जिओ हजारों साल और सबके दिलों पर छा जाओ जैसे आसमान में बादल का पहरा छाया रहता है...और जब बादल गरजते हुए मुसलाधार बारिश करता है तो केवल धरा ही नहीं उसपर बसने वाले समस्त जीव-जंतु भी आनंदित और खिल उठते हैं.... बहुत बहुत धन्यवाद 🎉😊❤
सुधीर भाई आप तथा आपकी पार्टी को मां सरस्वती ऊंचाइयों की तरफ ले जाए यही कामना करता हूं आपकी गायन शैली का कोई जवाब नहीं है आप एक मजे एवं सड़े हुए गाय की तरह और स्पष्ट और भाव के हिसाब से बातों को रख रहे हैं आपका कोई जोड़ नहीं है आप एक उच्च कोटि के बिरहा गायक आगे भी अच्छा करेंगे यही अभिलाषा है सुंदर सिंह यादव अध्यापक कुसमी खुर्द देवकली गाजीपुर
Koi ketno beer ras gai lekin Vijay lal n hoi kyonki Vijay guruji ne aisa tarang chhod diya kisi ko pakad pana mushkil hai bahut achha ji bahut bahut dhanyawad