पूज्य जगद्गुरु भगवान् जी की श्री मुख की बानी सुनकर हम सभी धन धन्य हो जाते है पूज्य गुरुजी भारवां जी को राघव जी हजारो बर्ष की आयु प्रदान करे,,ईश पावन धरा के आप जीते जागते भगवान् है ,, आपका बेदुष्य भू मंडल मे चमकता हुआ सूर्य है और हम सभी के पास आप अमूल्य धरोहर है ,, कोटि कोटि नमन जगद्गुरु भगवान् के श्री चरणो मे
नमो राघवये गुरु जी जय सियाराम जय बागेश्वर धाम ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤नमो राघवये गुरु जी जय सियाराम जय बागेश्वर धाम ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤नमो राघवये गुरु जी जय सियाराम जय बागेश्वर धाम ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤नमो राघवये गुरु जी जय सियाराम जय बागेश्वर धाम ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤नमो राघवये गुरु जी जय सियाराम जय बागेश्वर धाम ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
🙏हें गुरुदेव प्रणाम आपके चरनंनःमें।🙏 🌷राधा वल्लभ श्री हरिवंश गुरुदेव🌷 हें श्री राधा, हें लाडली, हें किशोरी, मुझे अपना अखण्ड स्मरण दीजिये, हें लाडली में आप को भूलूँ नहीं, हर पल, हर साँस, हर घड़ी, निस्वार्थ भाव से आपको याद करती रहूँ, और राधा राधा राधा नाम जाप करती रहूँ । 🌷राधा🌷राधा🌷राधा🌷राधा🌷राधा🌷 🌷राधा🌷राधा🌷राधा🌷राधा🌷राधा🌷
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः🙏🕉️💕❣️💥🚩😇💐 ॥ नमो राघवाय ॥ 🚩🙏 प्रभु जगतगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज तुलसी पीठ सेवा न्यास जानकी कुंड चित्रकूट धाम 🙏🕉️🚩🕉️🏹
Babaji pranam aap chetkut jay vc hai na hum janatay hai aaj say nahi kae sal say meray baray petaji bhe apkay pass atay thay meray bachay ko sasural may koe nuksan pahuchana chaharay hai mere sas mera bacha hath say chen layre hai usako khelanay nahi dayte
आप वेद की ऋचाओं के रूढ़ अर्थ कर रहे हैं। 'रामम्' पद देखते ही आपको मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का इतिहास दिखाई दे गया? आप जिस मन्त्र से श्रीराम का इतिहास निकाल रहे हैं, उससे आपके शिष्य 'राम' व 'भद्र' दोनों पदों को दिखाकर आपका इतिहास दिखायेंगे। 'शतमदीनाः' से कुछ मुस्लिम वेद में मदीना और तथाकथित कबीरपन्थी कारागार में बन्द रामपालदास 'कविर्मनीषीः से वेद में संत कबीर जी का इतिहास सिद्ध कर रहा है। ऐसे वेदज्ञों से तो वेद भी भयभीत हो उठेगा। यदि ऐसे रूढ़ अर्थ करने लगें, तो अथर्ववेद ३.१७.४ में- 'इन्द्रः सीतां निगृह्णातु तां पूषाभिरक्षतु ' का आप क्या यह अर्थ करेंगे 'इन्द्र सीता का अपहरण करे और पूषा उसकी रक्षा करे।' यह आपका कैसा ऐतिहासिक अर्थ होगा? रूढ़ अर्थ करने वाले इसका दूसरा अर्थ कर ही नहीं सकते। इसी प्रकार- चत्वारि श्रृंगा त्रयोऽस्य पादा द्वे शीर्षे सप्त हस्तासो अस्य । त्रिधा बद्धो वृषभो रोरवीति महो देवो मर्त्या आविवेश । (ऋ.४.५८.३) का भी रूढ़ अर्थ करके चार सींग, तीन पैर, दो सिर, सात हाथ वाले बैल को तीन प्रकार से बंधा हुआ मान लीजिए। आप तो वैयाकरण हैं, तब तो इस बात को भी जानते होंगे कि व्याकरण वेद व लोक का अनुगमन करता है, न कि वेद वा लोक व्याकरण के अधीन होते हैं। पाणिनीय अष्टाध्यायी का अशिष्य प्रकरण एवं 'छन्दसि बहुलम्', 'व्यत्ययो बहुलम्' आदि सूत्र महर्षि पाणिनि ने व्यर्थ नहीं लिखे हैं। आपको प्रत्याहार सूत्रों में रामकथा दिखाई देती है। यह बात मुनि कात्यायन एवं महाभाष्यकार पतंजलि को नहीं सूझी और आपको सूझी। लगता है कि आपको किसी भी ऋषि-मुनि पर किंचित् भी विश्वास नहीं है, स्वयं को ही स्वयम्भू ब्रह्मा मानते हैं। स्वामी जी महाराज! श्रीराम कथा वा भागवत कथा करना अलग बात है, परन्तु वेदार्थ जानना सर्वथा पृथक् व क्लिष्टतम कार्य है। वेद परमपिता का ब्रह्माण्डीय ग्रन्थ है। वेद की ऋचाओं से ही सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण हुआ है...