सर जी नमस्कार आप पार्कृति को मानते हैं हम भी प्राकृतिक को मानते हैं जो आप निर्देश दे रहे है सर जी आप बहुत अच्छे प्रवचन दे रहे हैं ।लोग समझते हैं लेकिन मानते नहीं सचाइय यही हैं हमारे देश मे झूठी पाखंडी लोग बैठे हैं जाति वादी पर मरते हैं ये पहचान के लिए रखा गया है लोग सोचते है ये भगवान ओ भगवान हमारे हैं गलत सोचते है भगवान एक है ओ है पार्कृतिक का अंश है
कोटि कोटि धन्यवाद जो आपने अपनी जान जोखिम मे डालकर इतनी महत्वपूर्ण सुचना हमें दी। ये अद्भुत समाचार सुनकर तीनों लोको मे बहुत प्रसन्नता हैं । समस्त नर , नारी , सुर , असुर , देवता , मुनि , गंधर्व प्रसन्न हुए । आपके समाचार को सुनकर पुरें ब्रह्माण्ड मे प्रसन्नता हैं पुरा संसार प्रकाशमान हो गया हैं। आपका यह समाचार प्रशंसनीय एवं अविस्मरणीय हैं मानो चारों ओर एक दिव्य ज्योति प्रजवल्लित हुई हो। आगे भी सृष्टि के कल्याण हेतू ऐसे समाचार देते रहे। तीनो लोक आपके ऋणी रहेंगे । इतनी ज़रूरी ओर मानव जाति हेतु कल्याणकारी खबर देने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद । अगर ये खबर भारत के लोगो को ना मिलती तो भारत की समस्त मानव और जीव जाती अपने समूचे जीवन अज्ञान के घोर अंधकार में डूबी रहती। आपने अपने दिव्य खबर के प्रकाश से उस अंधकार को समाप्त कर दिया है: भारत की समस्त जनता आप की सदा ऋणी रहेगी । 😆😆😆
*हरी ॐ तत्सत पूज्य सद्गुरु देव श्री रमाशन्कर साहेब जी नमः। आपको सुनकर मै धन्य हो गया। मेरे ही आत्मा को नमस्कार ।कोटी कोटी वंदन हो गुरुदेवजी ।*बंदगी साहेबजी*
श्री रमाशंकर साहेब जी आप का प्रबचन बहुत अच्छा लगा जो पाखंडवाद पर सत्य के हथौड़े से वार किया है बहुत बहुत साधुवाद। जय भीम जय भारत जय संविधान नमो बुद्धाय।
@@gudgudikavitasheroshayarik292 जाति या वर्ण कोई भी हो कर्म से कोई शूद्र बनता है या ब्राह्मण । मैने कई उची जाति को देखा है जिसक़े दिन क़े शुरुआत शराब से भीख, इधर उधर क़े काम कर जैसे तैसे जीने वाले जो 👌शूद्र ही है। आपकी जाति कुछ भी हो आप 🌹निपुण है गरिमा से जीते है तो ब्राह्मण या क्षत्रिय हो सकते है। 🌹कर्म से वर्ण है नाकि जन्म से 🌹विशुद्ध मनुस्मृति पड़े।
@@gudgudikavitasheroshayarik292 हिन्दू समझ अपने धर्म क़े आये कमियों को जनता है और दूर भी करता है हमारे डाकितो को भाई मानते है पर तुम जैसे लोग हमसे नफरत करते हो
प्रकृति अपने आप में एक महाशक्ति है। प्रकृति के पांच तत्वों द्वारा शरीर के साथ साथ आत्मा का भी उदय होता है। और इंसान के मरने पर पांचों तत्व प्रकृति में विलीन हो जाते हैं बिना शरीर के आत्मा का कोई महत्व नहीं रहता है।
महाराज जी से कहो की ईश्वर जानने की चीज नहीं है मानने की चीज है । इसलिए जब ईश्वर ने हम मानव के लीए ईतनी सुंदर धरती बनाई है तो उसमें जब तक जीवन है , आनंद से रहिए और उस परमात्मा का गुणगान करते रहिए। जय सियाराम
साहेब बंदगी गुरु जी आपने जो प्रकृति के लिए तो बहुत अच्छे शब्द के वर्णन किये हैं इसी प्रकृति में सुर्यदेव है क्या सुर्यदेव को भी जल नहीं चढ़ाना चाहिए साहेब बंदगी गुरु जी
संत जी कास आप राम और कृष्ण से पहले जन्म लिये होते तो आज इस तरह से समाज मे नाना प्रकार के धर्म नहीं होते।सब लोग आपके बताये हुवे रास्ते पर चलते।आपने आने में बहुत देरी कर दी।
Aaj ke Daur mein itne mahan sant Milana asambhav aaj ke jamane mein koi bhi stri Charo Dharmo Ko ekattha nahin kar sakti pujniya Baba ji ki maa Charon dharmon mein gai hai isliye inko Charon dharmon ka gyan bahut acche se hai Jay Jay Shri Ram Om namah Shivay Jay Shri Radha Krishna
भववान जग जीत चुके हैं __🙏🌍🙏🌏🙏🌎 सृष्टि के खेला-लीला-क्रीड़ा में चेतना की शक्ति खेलती है। जर, जोरू (नर-नारी) जमीन एवं पद प्रतिष्ठा खेलाती है। सभी मानव इसी लक्ष्यों में क्रियाशील रहते हैं, इन्हीं के लिए धर्म-अधर्म, सुपथ-कुपथ की चाल चलते हैं। अभिनय के यथार्थ में तन, मन, धन कुल तीन प्रकार की शक्तियां हैं। आयु-वय के सापेक्ष तन की शक्ति की सीमा और मूल्य सीमित है। जग जाहिर है। एक अदद तन की शक्ति विश्व को पराजित नहीं कर सकती है। विश्व का सबसे धनवान व्यक्ति भी विश्व जीत नहीं सकता है। क्योंकि विश्व का धन उसे खरीद लेगा। मन की शक्ति में तीन प्रकार है। ज्ञान कर्म और भक्ति। भक्ति से अपने स्व एवं स्वरूप को जीत लोगे; सृष्टि अभिनय में विश्व को नहीं जीत सकते हो। कर्मनिष्ठा से समाज के एक हिस्से को जीत सकते हो, विश्व को नहीं जीत सकते हो। ज्ञान से स्व को स्वरूप को '14अ'अखिलाण्ड को और सम्पूर्ण सृष्टि को जीत लेते हो। यह शक्ति ज्ञान-कर्म और भक्ति तीनों का समुच्चय है। यह परममनोमय कोश से उत्पन्न होती है। जिसकी जड़ें सीधे-सीधे स्वरूप अखिलाण्ड(ब्रह्माण्ड) परम शक्ति पुंज परमचेतना से ऊर्जा खींचती है
पहली बात तो यह है कि पैदा कोन हुआ था। मृत्यु तो बाद की बात है। सर्वप्रथम तो समझो कि पैदा कोन हुआ है। कार्यशील कौन है। सब बकवास है। छोड़ दो यह उधेड बुन। कुछ नहीं मिलेगा। सिर्फ जीवन का बहुमूल्य समय और आनन्द विलीन हो जाएगा। दिमाग से उधेड बुन का कीड़ा निकाल दो। जीवन बहुत ही खूबसूरत है। इसे मस्ति से जिओ। 👍👍👍👍❤️❤️
महाराज जी आपके वचनों से मालुम होता कि आपकी वाणी नफरत से भरी हुई है महाराज कबीर साहेब का सहारा लेकर आप बोल रहे हैं आपकी वाणी एक दूसरे की कटाक्ष कर रही है। यह सिधांत कबीर साहेब का नहीं है। आप जी को विचार करना चाहिए ।। श्री सईराम आश्रम सिरसला रामरतन
ह कर्म से पिजरा बनेग जैसा कर्म करेग वैसा पिजरा बनेग ईसिलिये कर्म प्रधान है धरधरनी के एक लेखा कर्म गति विश्व रखा जो जी पिजरा नहीं बना पाए ग तो वो जी भटकेग और वही बिमरी बनगा और दुसरे के सरिर मे घुस कर खायेग और बिमरी भी उसिको होग जो अपने कर्म दुवरा भोगेग जो सत मे है उसे कोई बिमरी नहीं होग आसत से जगहा पाते है तब घुसता आप मे सत रहेग तो बिमरी छु नहीं पायेग जीव आतमा भटक गया है ढोग ईसिलिये भोग रहे जीव दया जीव शान्ति जीव रक्षा बार भिश्रा मिले सोये होही तेनोल जगादे भुल बिछर गे होही तेनोल जगादे सेना पति के निद परे होही तेनोल जगादे भिक्षा मिले गुरु देव चराचर जीव के गंढाईया मालिक संत जी ईसतिरि ईसतिरि ही रहे ग वो पुरुष नहीं बनेग पुरुष पुरुष ही रहे ग ईसमे प्रवर्तन नहीं होग जम जम तक ईसतिरि ही रहे गा छमा किजियेग मुझे आपके पुत्र के समान हव हाथ जोर के अर्जी बिन्नी करत हव पिता जी
ब्रह्मा जी ने तो इन्सान बनाए हैं। उस समय तो सभी लोग आदि मानव थे। धीरे धीरे मानव सभ्य होता गया है। जैसे जैसे अवतार, गुरु- सतगुरु आए और उन्होंने अपनी विचारधारा चलाई और उस विचारधारा को लोगों ने बाद में धर्म बना दिया।
ब्रह्मा जी ने जब इंसान बना दिए उसके बाद ब्रह्मा जी की एक न चली। उस इंसान की चली जिसे ब्रह्मा जी ने बनाया। पर लोग बार-बार यह क्यों कहते हैं कि उसकी मर्जी के बिना पत्ता तक नहीं हिलता, लेकिन इंसान अपने से हिंदू ,मुसलमान, सिख, ईसाई हो सकता है। इसका मतलब उसकी कुछ नही चलती इंसान की चलती है। मतलब इंसान अपने स्वार्थ के लिए अपनी मान्यता बदल लेते हैं।
जब ब्रह्माजी श्रीहरि नारायण के नाभिकमल से पैदा हुए श्रीहरि के जन हरिजन हैं तब पृथ्वी पर रहने वाले ब्राह्मण ही नहीं सभी जीव जंतु श्रीहरि के जन हरिजन हैं
गुरु जी आपकै धर्म ज्ञान की कुछ बातें बहुत अच्छी लगी है 🙏🌹🙏 संसार में आप जैसे महान संतों की जरूरत है मालिक परमात्मा,चार जुगो से संसार जैन-सोदागर महाजनों के प्रकट पाप होम यज्ञ ,हवन जाप, गुप्ति पाप,्व बनियों के इंद्रजाल में फंसे हुए हैं ये जैन सोदागर महाजनान राक्षसी कुल है ये रोगाणुओं,के रक्षक है व ये देव कुली तीन लोक( ब्रह्मा, विष्णु व महेश की वशतार को तीन हिस्से से ज्यादा कम करके मारकर, रावण हरणाकचयप कंस व कारुनबाशाह कि तरह संसार पर राज करना चाहते हैं आप से हम प्रार्थना करते हैं आप ससार के हितेषी बनें!! श्री नकलंग देव श्री श्री अनोपदासजी महाराज द्वारा लिखित ग्रन्थ जगतहितकारीणी ग्रन्थ अवश्य पढ कर सोचे समझे और बनियों के जाल से संसार को कुदरत के बगिचे को बचाने में सहायक बने जी 🙏🌹🌼🍀🙏 जल ही जीवन है जल ही परमेश्वर है 🙏🌹🌼🍀🙏 अलख निरंजन 🙏🌹🌼🍀🙏
आपको ज्ञान की कमी है ब्रह्मा जी ने किसी देश कल और खंड नहीं बनाये वे तो सम्पूर्ण जगत ब्रह्माण्ड को बनाये उन्होंने सनातन धर्म को बनाया जो प्राकृतिक क़े साथ सम्पूर्ण प्राणीमात्र क़े प्रति सेवा व समर्पण और दया का भाव रकते है। मानव क़े विकृत लोग मुसलमान बनया
बहुत बढिया तरह से आपने समझाया। पाखंड छोड़ो। आपस में प्यार प्रेम से रहना चाहिए। जाति पाती का कोई महत्व नहीं। जो कोई भी गलत करता है उसको समझाना चाहिए। किसी जाति विशेष को दंडित नहीं करना चाहिए। किसी जाति विशेष से घृणा करना गलत है। जो भी भगवान है उसका कार्य उस पर छोड़ दो। क्या भगवान कमजोर है आपकी नजरों में। जय कबीर जी। समझाने के लिए आपका धन्यवाद।
महाराज जी से प्रार्थना करता है यह तो सब ठीक है आप शरीर को बता देंगे प्रकृति से बनाया लेकिन आज तो किससे बने इसके बारे में बताइए और आत्मा कहां से आई है इसका जवाब दीजिए