जब श्री रजनीश की जान खतरे में पड़ी।श्री रजनीशबाल बाल बचे। १९६९ में घटी सत्य घटना
१९६९ में श्री रजनीश को विश्व हिन्दू महासभा में बोलने का निमंत्रण मिला। ओशो पूरे भारत में आचार्य रजनीश के नाम से प्रसिद्ध थे। उनकी छवि सीधा और सत्य बोलने वाली व्यक्ति के रूप में थी।इसी सभा में पूरी के शंकराचार्य को भी निमंत्रण था। प्रोग्राम के अनुसार २९ मार्च को ओशो को बोलना था परन्तु सभा के ठीक पहले शंकरचार्यजी अपने समर्थको के साथ पहुँच गए और माइक पर बोलने लगे। श्री रजनीश को बहुत इंतज़ार करना पड़ा। श्री रजनीशसय्यम के साथ बैठे रहे. शंकराचार्यजी करीब डेढ़ घंटे तक बोलते रहे। लोगों का ग़ुस्सा फूट पड़ा। लोग नाराज़ हो गए. मैदान दो गुटों में बट गया। फिर जो हुआ वह इतिहास बन गया. शंकराचार्यजी ने श्री रजनीशको ललकार दिया और श्री रजनीश ने चुनौती स्वीकार कर ली. फिर क्या हुआ जानने के लिए अवश्य सुने यह एपिसोड. यह घटना स्वामी अगेह भर्ती की किताब एवं ओशो सन्यासिओं के विवरण और साक्षत्कार पर आधारित है.
यह एक सत्य घटना है और इसे जैसा का तैसा आपके समक्ष लाया गया है।
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24 сен 2024