*अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं* *दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।* *सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं* *रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥3॥* भावार्थ:-अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्जी को मैं प्रणाम करता हूँ॥3|| *जय श्री राम*
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Hindi bhasha Ka vichalan hona chahie Aisa Koi gana banaen Aaj koi bhi Ham product lete hain vahan Hindi cartoon Koi Naam o Nishan Nahin hota Ham kaise Bharat Mera rahe hain kya Star Bharat Nirman kar rahe hain Jo hamari matrabhasha mein Koi product milta hi nahin kuchh mein 90 se 100% English mein likha hota hai sab kuchh