जोशी जी प्रणाम आपके सारे ब्लॉग बहुत ही अच्छे लगते हैं आज आपने दशाईथल विकास खण्ड का कार्यालय एवं मिटिंग हाॅल भी दिखाया बहुत अच्छा लगा परन्तु जोशी जी विकास खण्ड में इतना बजट आवंटन होता है कि मिटिंग हाॅल में लगे हुए टेबल में एक टेबल क्लॉथ भी नहीं पड़ा है इस बार आप मिटिंग में जाओगे तो मेरी तरफ से एक टेबल क्लॉथ ज़रूर ले जा देना मैं आपको इसके पैसे अपने भाई के हाथों भिजवा दुंगी इस ब्लॉग को दूर दूर से लोग देखेंगे जबकि हमारा विकास खण्ड सबसे बड़ा है मैंने कई विकास खण्डों के मिटिंग हाल देखे हैं वहां इतने शानदार फर्नीचर और पर्दे लगे रहते हैं कि देखने से ही अच्छा लगता है कि मिटिंग हाॅल है ये अपने घर की शान होती है
हां मुझे भी अजीब सा लगा पहले हाल बहुत बड़ा था शायद कुछ नया डेकोरेशन का काम चल रहा है आपने सही कहा हमारे विकास खण्ड की पहिचान है और इसके निर्माण कार्य के लिए 1996, 97 में ग्राम पंचायतों द्वारा धनराशि दी गई है देखते हैं अगली बार जाने पर आपकी हमारी बात क्या प्रभाव पड़ता है धन्यवाद शुभकामनाएं
जानकारी युक्त सुन्दर , महत्वपूर्ण ब्लॉग । आदरणीय बिष्ट जी ने आवश्यक जानकारियाँ सरल तरीके से बताया । चीड़ के जंगलों व बनाग्नि से बचे तो हमारे उत्तराखण्ड का जलस्तर बहुत बेहतर हो सकता है। धन्यवाद ।😊😊
दो एक जमाने में लखनऊ पहाड़ियों का दूसरा घर होता था बहुत पसन्दीदा शहर और उत्तराखंड बनने से पहले बहुत सम्मान से पहाड़ियों को देखा जाता था कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों को छोड़कर मित्रों आज अलग उत्तराखंड बने चौबीस सालों में इसकी कोई पहिचान नहीं है गांव पहाड़ खेत खलिहान सब ऊजड़ चुके हैं अलग पहाडी राज्य का कोई औचित्य नहीं रहा चलो देखते हैं समय क्या कहता है हां हमारे पहाडी लोगों को गांव पहाड़ के हमारे ब्लॉग और चैनल के बारे में अवश्य बताइयेगा नमस्कार शुभकामना शुभाशीष