नारी की विशेषताओं पर बड़ी ही सुन्दर प्रस्तुती | नारी , विधाता की अद्भुद और विचित्र रचना है | ये चाहे तो रावण जैसे मण्डलीक को मिट्टी में मिला दे, नारद जैसे योगी को बन्दर- नाच नचा दे,गर चाह ले तो हनुमान की तरह अजर-अमर कर दे | गोस्वामी तुलसीदास जी ने तो यहाँ तक लिख दिया है कि- सत्य बचन अरु दीनता, पर त्रिय मातु समान | एतनेहु मा हरि ना मिलैं, तो तुलसी झूंठ जबान || जरूरत है पुरुष को नारी की व नारी को स्वयं अपनी शक्ति को पहचानने की |