बहुत ही सुन्दर और कलात्मक नक्कासी दार हवेली है जी, मैं जैसलमेर घूमने के लिए गया था तब देखी थी ये और शालिम सिंह की हवेली इसके बाद सोनार दुर्ग और गड्डी सर झील भी देखी थी,4, 5 दिन खूब देखा जैसलमेर जी, ग्रेट थैंक्स जी, आपका शुभ चिंतक, योगेश नामदेव राजवाड़ा कॉइन फ्रॉम हरियाणा.❤❤🎉
तभी आज एक जगह धुवां निकल रहा था वह भी भयंकर इस जेसलमेर की पटवा हवली की कहानी इधर मध्य प्रदेश के सिएम सूनदरलाल पटवा से सेटअप होकर शामगढ़ शान्ति बाई वलद बलद काला कम्पनी से घमासान तरीके से था धूवा भी आज इधर ही निकल रहा था यानी यह बात क्लियर है
बहुत सुन्दर हवेली । पुरानी चीजे देख कर लगता हे की उस समय भारत सोने की चिड़िया थी। अब इन हवेलियों के मालिक कहां रहते हैं। इतने विस्तार से बताया बहुत धन्यवाद।
आपने इस पांच मंजिला हवेली की प्रमुख बात नहीं बताई, ये हवेली सिमेंट ,पानी या गारे से नहीं बनी,ये हवेली लौकींग सिसटम से बनी है। यानी अगर उस समय का मिस्त्री या उस समय की हवेली बनाने की कला जानने वाला आज हो तो हवेली के लौक खोलकर सपाट मैदान बनाकर,वापस लौक कर कर हवेली खड़ी कर सकता है।क्योंकि राजस्थान में पानी की किल्लत बहुत थी उसमें भी जेसलमेर/बाड़मेर में 2/4सालो में कभी एक दो बार बरसात होती थी
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श्री मान जी जिस हवेली को दिखाने पर तुम अपनी शान दिखा रहे हो ।जिसने यह हवेली बनवाई उनको मर्यादित भाषा से बताओं ।करता था रहता था ।इसमें आपकी निम्न सोच हैं।