Apna sanatan apne pas rakh hum na tho sanatani hai nahi kisi bakwas par viswas karte , hum khud par bharosa karte 😊 hamey kisike madat ka zarurat nahi nahi tho hum kisiko pukarte😊
कोई माने या न माने सभी जनजातियां इन्हीं से निकलीं है जो जंगल से बाहर निकल आए बो जातियों मे बट गये और जंगल में ही रह गए बो असुर तक ही सीमित रह गए और यही भारत के असली मूलनिवासी है
एक निष्पक्ष व निस्वार्थ पत्रकार से आज के समय में असुर जैसे शब्दों का स्तमाल करना बहुत ही निंदनीय हैं । पत्रकार खुद को असुर साबित कर रहे हैं ।माइक व कैमरा ले कर चलने से कोई पत्रकार नहीं हो जाता । आपने भारत की मूलनिवासियों की तौहीन किया है । माफी मांगनी चाहिए । जय संविधान । जय मूलनिवासी ।
किसे हरियाली पसंद नहीं होती? किसे जंगल, पशु-पक्षी पेड़-पौधे पसंद नहीं होते? कुदरती नजारा हर इंसान को पसंद होता है यह नजारा इस विकास के पहले हमारे घर के आजुबाजु में था और अब हम पैसा देकर यह नजारा देखने जाते हैं।
जैसे महाभारत में भाइयों भाइयों के युद्ध हुआ इस तरह असुरों और देवताओं में युद्ध हुआ परिस्थितियों युद्ध उत्पन्न इसका मतलब यह नहीं कि हम भारतीय एक दूसरे को दुश्मन हो, असुर जाति देवी को दुश्मन ना समझे महिषासुर तो खुद महादेव के महेश शब्द है, आओ मिलकर एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव जरूर रखें जो उसे युग में नहीं रहा तो इस युग में रहे हर हर महादेव जय सियाराम जय हो महिषासुर जय हिंद जय सनातन ❤
एक घर में सौ देठ सौ लोग रहते थे रोज़गार घर में ही था खेत-खलिहान से पौष्टिक भोजन मिलता था लेकिन ये विकास ने गांव को शहरो में बदल दिया रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा है परिवार में दरारे पड़ने लगी अब पती पत्नी ही खुसीसे नहीं रह रहे हैं जिम्मेदार है ये विकास।
आज का विकास उपयोगी नही है क्या ? दूर गांव में गाड़ी,स्कूल अस्पताल तक नही थे ! तो कैसे जीते ? आज भी नही है पर सरकार दवाखाना और फ्री एम्बुलेंस सेवा मिल रही हैं ! हालांकि कम है और देर भी हो जाती हैं ! वैसे आपकी जॉइंट फैमिली का जीवन बेहद खूबसूरत लगा ! 👍
विकास विकास विकास सभी चाहते हैं गांव का आदिवासी समाज पिछड़ी जातियों का विकास हो उन्हें रोजगार शिक्षा मिले लेकिन हमारी भारत कि संस्कृती इस विकास के चक्कर में धिरे धिरे नष्ट हो रही है।
भारतीय संस्कृति लंबे युग से चली आ रही है ! इसलिए बिलकुल विकास नही हो पाया ! क्यों की यहां मानवता और समानता को कूड़े में फेंक कर आज भीं भेदभाव और जातिवाद का प्रोपेगेंडा खूब चलाया जा रहा है जिसमे एक ही जाति , पढ़ लिख सकती हैं ! तो 97 % obc लोग गंवार शूद्र आदिवासी ही बने रहे ! ओर आज भी आधुनिक शिक्षा से बड़ी आबादी पूरी तरह से वंचित हैं ! ये भारतीय संस्कृति का परिणाम है ! जहां शिक्षा से भी ज्यादा महत्व जाति को दिया जाता हैं और बाद में उसे शिक्षा से नकारा जाता हैं ! जिस से गांव के लोग ६ ट्ठी सदी का जीवन जीते हैं ! कोई सुविधा उन तक नही पहुंच पाई है !
असुर का मतलब आपको पता नही असुर का मतलब होता हैं सुर नहीं याने. सुर् = देवता याने शराब् पीने वाला असुर= देवता नहींः = शराब् नही पिनेवाला आप लोग अपने आपको देवता मानते हो हम अपने आपको देवता मरने के बाद मानते है. जय जोहार 🙏🙏🙏 जय प्रकृति जय असुर शराब्=सुरा
Reservation ki Baisakhi(crutches) par bathe raho. Google and Microsoft CEOs are brahmins. Most brahmins have migrated out of west Bengal and even Tamil Nadu. They are doing very well.
राजा महिषासुर ने इस देश के आदमियों को खेती करने के लिए सिखाया था इसीलिए राजा महिषासुर के नाम से गांव की देवालय मानने वाला खेत कल्याण घर द्वार में भीराजा महिषासुर की पूजा किया जाता है राजा में ऐसा सुरक्षा नहीं है वह भारत देश का मूल निवासी भारतीय द्रविड़ आदिवासी राजा है महिषासुर के अपमान को रोकने के लिए उनके वंशजों ने राष्ट्रपति को लाखों बार सूचना किया है लेकिन यह आदेशडॉ भीमराव अंबेडकर के संविधान पर नहीं चलता है चलता है तो मनु कैसे विधान पर चलता है ब्राह्मणों के धर्म ग्रंथ को मानते हैं देश को इसीलिए यह देश पिछड़ा हुआ है भूपेंद्र सतनामी छत्तीसगढ़ जिला जांजगीर चांपा जय भीम जय सतनाम
दुर्गा देवी नहीं है वह ब्राह्मण समाज की रंडी महिला थी इसका प्रमाण गया है जब कोलकाता में दुर्गा की प्रतिमा बनाई जाती है तो रंडी की कोठा से मिट्टी लाकर दुर्गा की प्रतिमा बना ती है राजा महिषासुर इस देश का मूल निवासी भारतीय ग्रामीण राजा है महिषासुर के बारे में अपमान मत करना भूपेंद्र सतनामी छत्तीसगढ़ जिला जांजगीर चांपा जय भीम जय सतनाम पुष्यमित्र शुंग ही राम है ब्राह्मण भारती नहीं है विदेशी है राजा महिषासुर को दुर्गा ने चल का प्रसाद को कैसे मारा है जय लंकेश जय महिषासुर जय हिरण्यकश्यप जय श्री राम मुर्दाबाद
😂😂😂😂 जिनका मजाक उड़ा रहे हो वो आज भी अपने मूल रूप में हैं। मोहनजोदड़ो एवं हड्डप्पा सभ्यता के लोगों के विषय में आजतक खोज चालू है। जिनको आज का सभ्य समाज आदिवासी राक्षस जनजाति इत्यादि नामों से पुकारता है वही लोग इतिहास विद्दाें के अनुसार वहां की उन्नत सभ्यता हुआ करती थी। चाहो तो गूगल करके देख लो।👍👍👍👍👍🌅🌃 मोंजरा एम्है ओरमा आलारीन
. असूर लोगोंको आर्थिक ' शैक्षणिक ' सवलते देकर प्रगत संस्कृती का हिस्सा जलदी बनाना चाहिए । पुराणी जिंदगी दास्य है । गाव छोडकर शहर आणा चाहिए । आपणे व्हिडीओ ब बताकर अच्छा कार्य किया है । धन्यवाद .
Aap ka prachestha ko salam,ye Bharat ki mulnivashi hain,jinko manuvadi soch se asur me tabdil kar Diya Gaya hain jo sarasar galat hain,apno ko bade dikhane ke liye kisi dusre ko chota dikhana bilkul galat hain.
या लोकांनी आजही आदिवासी संस्कृती जपुन ठेवली आहे आता त्याचा विकास झाला पाहिजे हे काम झारखंड सरकारने करायला हवे अशी सरकारला विनंती करतो जय आदिवासी जय आसुर
Lovely!! These ethnic groups must be supported respectfully by all means! This doesn't mean their culture must be changed! The language has many 'nouns' which are till date being used in Baangla!
जब राजाओं की लड़ाईयां होती थीं तो वहां के लोग भाग कर जंगलों तथा पहाड़ों में जा कर छु प जाते थे यह लोग अब अपने को जन जाति कहलते है हमारे भारत में सभी के रिति रिवाज एक जैसे हैं बस राजनीति के हमें आपस में लड़ाया जा रहा है जय भारत जय सनातन