आपका वीडियो देखकर बहुत खुशी हुई, मैं भी ग्वाड़ की बेटी हूं,आप 10 जून को पहुंचे, मैं 7 से 9 जून तक ग्वाड़ में ही थी, आपके वीडियो में जो गिरीश पाण्डे जी आए हैं मैं उनकी बहन हूं। आदरणीय पूरन ददा, आदरणीय रमेश ददा सब हमारे परिजन हैं।आप अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए इतना प्रयास कर रहे हैं, और सबसे मिलने की उत्सुकता भी है। आपको साधुवाद, ढेर सारी शुभकामनाएं।
जैसा लगाअ आपको अपने गांव अपनी संस्कृति अपनी बोली से है ऐस ही लगाओ हमारे बड़े दाजयू मनोज पाण्डेय जी को भी है वह हमेशा गांव में हम जैसे युवाओं का हमेशा मार्गदर्शन करते रहते हैं कुमाऊनी होली को जीवंत उन्होंने ही रखा है और भी कई प्रकार के धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम समय पर समय पर वह आयोजित करते रहते हैं आज गांव में जितने भी हमारे लोक देवी देवताओं के मंदिर का निर्माण हुआ है या हो रहा है यह सब उन्हीं की प्रेरणा उन्हें के मार्गदर्शन में हुआ है।मनोज दा एक सभ्य एव सामाजिक व्यक्तित्व के इंसान हैं। इतिहास से संबंधित जानकारियां वह हमें समय समय पर देते रहते हैं। आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद आपने अपने मूल गांव हमारे गांव जाकर वहां के विभिन्न स्थानों के दर्शन कराए ईश्वर आपको लंबी उम्र दे आप हमेशा खुश रहें प्रसन्न रहे मस्त रहें जय देवभूमि उत्तराखंड जय पहाड़ जय गवाड़।🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आपके वीडियो को मैं ऑस्ट्रेलिया से देख रहा हूँ बहुत आनंद आया, अपने गाँव pauri गढ़वाल की याद ताजा हो गयी। बहुत अच्छी वीडियो बना रहेहैं आप। धन्य बाद आपका। s
बहुत ही शानदार और सराहनीय विडियो........ श्रीमान महती पांडेय् जी कान्यकुब्ज ब्राह्मण जो कान्यकुब्ज के डैढियाखेड़ा गांव के रहने वाले थे..... (वर्तमान में यह डौंडियाखेड़ा गांव उ०प्र० के उन्नाव जिले में है) ........ श्रीमान महती पांडे जी ने भगवान बद्रीनाथ जी की तीन बार यात्रा की थी......... जोशीमठ नृसिंह भगवान के परम भक्त होने के कारण ही इन्होंने, अपने दोनों पुत्रों का नाम उन्हीं के नाम से सिंह और नृसिंह पांडे रखा........ सिंह पांडे जी की संतान, भीमताल के आसपास (छखाता) नाहन (हि०प्र०) और नेपाल में हैं....... नृसिंह पांडे जी के नाती को, तत्कालीन चंद राजाओं के, अनुरोध पर द्वाराहाट के कत्यूरी राजाओं ने, पांडेजर से, कोणां तक का एक अत्यंत विशाल भू-भाग प्रदान किया......... उनकी पहली पत्नी (बड़ी पत्नी) के छः बेटे हुए........ जो ग्वाड़ यानी वर्तमान गवाड़ में बसे......... और दूसरी शादी (छोटी पत्नी) के दो लड़के हुए........ जो बैरती में बसे......... ये काश्यप गोत्रीय पांडे हुए........ वर्तमान में, नृसिंह पांडे जी की संतान, ग्वाड़, बैरती, भटकोट, पान, गैराड़, ककनर में रहती हैं.......... ग्वाड़ गांव से आठरहवीं शताब्दी में अलग-अलग समय पर लगभग पांच परिवार विभिन्न -विभिन्न क्षेत्रों में माइग्रेट हुए हैं.......... और जहां वो माइग्रेट होकर गये....... वर्तमान में वहां वो आज एक-एक गांव बन चुके हैं......... आप इधर आए........ आपको साधुवाद........ हमें भी बहुत खुशी और अत्यधिक प्रसन्नता हुई......... कि अतीत में हमसे बिछुड़ा हुए हमारे बिरादर पुनः हमसे जुड़ गए हैं..........
आप तो हमारे इतिहास क़ी जानकारी का विस्तृत सागर है, सम्पूर्ण दुर्लभ जानकारी जुटाना और उसे संग्रहित और सुरक्षित करना बहुत ही सराहनीय कार्य है,आपकी लेखनी के सौजन्य से आने वाले समय मे हमारे बच्चो क़ो भी अपनी जड़ो और इतिहास का पता चलता रहेगा। बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏻
बहुत अच्छी जानकारी, इसके लिए साधुवाद. हम भी पान ग्राम के कश्यप गोत्रीय पांडे हैं। अपने बुजुर्गों से सुना है हमलोग झूसी के रहने वाले महादेव पांडे के वंश वृक्ष में आते हैं। बाकी विद्वान जनों से अपेक्षा है।
अवर्णनीय वृतांत , अपने पूर्वजों की भूमि को शत शत नमन आपने पाण्डेय परिवार के प्रतिअविस्मरणीय योगदान प्रदान किया है । आपने बुद्धिमत्ता के साथ वस्तुतः सामंजस्य प्रदान किया है ।
पांडेय जी नमस्कार हम और आप बिरादर हैं आप और हम।मिले थे आप ने मेरे से और रमेश पांडेय जी से बहुत जानकारी ली इस में मनोज पांडे जी का बहुत योगदान है उनकी और आपकी बातचीत फेश बुक द्वारा होते रहती थी आप को अपने मूल गांव में आने पर अपार खुशी हुई ऐसा बिरला आदमी ही होता है जो अपने मूल गांव से प्रेम करता है आप ऐसे ही वीडियो बनाते रहे।आपका उज्वल भविष्य हो जय श्री राम
NAMAN HAIN APKE ES JAJBE KO. BAHUT ACHHI BAAT KI. HAR KUMAONI KO APNI MOOL KADON SE JUDNA CHAHIYE. KYUNKI HUMARE PURWAZON NE HUMKO ES LAYAK BNA DIYA H KI HUM KO APNI PURVAZON KI DHARATI KE VIKASH M APNA YOGDAN DENA CHAHIYE🙏🙏🙏🙏🙏🙏 JAI UTTRAKHAND JAI KUMAON
Sir hum Bairti se hein now settled in Haldwani since 1935.hamare ancestors kannauj ke Dyodiyakheda village se Badrinath yatra per aaye the . Wo log do bhai the Nrasingh( not Narsingh) Pandey and Singh Pandey. Nrasingh Pandey ki santaaan Bairti, Paan, Gairad, Dantola, Bhatkot, Khargoli, Kaknar, Gewad etc. me rehte hai. Singh Pandey ki santaan Chhakata-Pandegaon Bhimtal, Sirmaur-Himanchal Pradesh, Nahan-Himanchal Pradesh, Nepal me Rajguru the.
मेरे ख्याल से आपको गढ़वाल का प्रतिनिधित्व भी करना चाहिए ऐसे लोग बहुत कम होंगे जो अपनी दादा पर दादा की भूमि की खोज करें मैं लंबी उम्र की दुआ करता हूं ताकि आप ताकि समय समय पर इस प्रकार की वीडियो हम लोगों को को दिखाया करेंगे धन्यवाद
एक तो यहां पर हल्का ढलान है......... ऊपर से कई गाड़ियां खड़ी होने से, रास्ता नहीं दिखता है.......... इसलिए पहले - पहल सभी लोग ऊपर को ही चले जाते हैं..........
Apka pariyas bahut sarhaniye hai jo apne mul jado ko khojne kai liye itna parishram kar rahe ho. Uttarakhand mai adhikatam gao isi tarah bane hai. Mere purwaj bhi Chachroti sai nikal kar Sainamanur (Manila) aye the.
Bahut accha video. बहुत अच्छी प्रस्तुति। वीडियो का बहाव इतना अच्छा है कि देखने वाला इसमें खो जाता है। मनोज जी के और विडियोज के इंतजार में। एयर कमोडोर दीपक पांडे
भाई ये जिस गांव की तुम बात कर रहे हो वह न तो ग्वाड़ है न गवाड़ है उसका नाम गेवाड़ है। ये गांव के लोग बहुत सज्जन लग रहे हैं जिस तरह से ये लोग व्यवहार कर रहे हैं।
आदरणीय जोशी जी......... ये ग्वाड़ गांव ही है........ जो वर्तमान में प्रचलन में गवाड़ है.......... इस क्षेत्र में दूर-दूर तक गेवाड़ नामक कोई भी गांव नहीं है....... बल्कि गेवाड़ एक क्षेत्र (राजस्व क्षेत्र) है........ वर्तमान चौखुटिया क्षेत्र को पुराने समय में गेवाड़ या गिंवाड़ के नाम से राजस्व अभिलेखों में जाना जाता था........ इसमें 1- गाड़ी, 2- कौथलाड़ 3- खतसार 4- गिंवाड़ नामक चार पट्टियां आज भी मौजूद है.......... यह सम्पूर्ण क्षेत्र पाली पछाऊं परगने का ही हिस्सा है..........
@@_Manoj....hamrahi ओ के । हो सकता है ये पूरा रिजन गेवाड़ कहलाता हो । जानकारी दी धन्यवाद । वास्तविकता यह है कि हम लोगों ने गांवों को बिलकुल छोड़ दिया है इसी कारण हम नाम पट्टी क्षेत्र सब भूल गये हैं। मैं बैंगलोर में रह रहा हूं । इतने दूर से घर आना मुश्किल हो गया है।यही कारण है पहाड़ बीरान हो रहे हैं।
जोशी जी......... गेवाड़ या गिंवाड़ क्षेत्र आज भी चौखुटिया को ही कहते हैं........... द्वाराहाट को नहीं........ इस क्षेत्र की अपनी चार पट्टियां हैं.......... जो मैंने ऊपर बताई हैं........... जबकि यह गांव ग्वाड़ यानी गवाड़ है जो द्वाराहाट के पास है.......... द्वाराहाट की अपनी तीन पट्टियां अलग हैं.......... वैसे विडियो में भी साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि, यह गांव द्वाराहाट के पास ही है............. दोनों क्षेत्र ऐतिहासिक हैं और दोनों का अपना-अपना इतिहास में अलग-अलग स्थान है...........
@@_Manoj....hamrahi बहुत सुंदर । हमने बचपन में अपने बुजुर्गों से सुना था बैरती पान और गवाड़ इन गांवों के ब्राह्मण लोग उच्च कोटि के कुलीन होते हैं और अच्छी जगहों पर पहुंचे हुए हैं।
पांडेय जी आपके सुंदर कार्य को नमन। मैं नित्य आपके वीडियो देखता हूँ। आपसे एक प्रार्थना है कि जब भी आपको समय मिले कृपया करके एक वीडियो हमारे गांव "पिनोली" को भी कवर कीजिये। हमारा गाँव छाना गोलू और दुगोड़ा के पास पड़ता है। उसके पास कुछ अन्य गांव भी हैं जैसे कोटली, गुढोली, चमना इत्यादि।
पांडे जी मन कर रहा है कि बहुत लंबा लेख लिखों आपके बारे में, कृपया बिना लिखे ही आप समझ सकते हैं। इतना ही कहूंगा कि आप धन्य है। बहुत सुंदर लगा आपका यह ब्लॉग।
पांडे जी नमस्कार। आप जब सामने वाले आदमी से बात करते हैं तो उसकी आवाज या तो बहुत कम आती है या आती ही नहीं है। कृपया इस कमी की और ध्यान दीजिए। वैसे आपका प्रोग्राम बहुत ही बढ़िया होता है। मैं लगभग रोज ही देखता हूं पुराने वीडियो समेत।
Main pahad main nahi rehta hun per jab pariwaron main kass ho jata hai jo kai pidhiyon tak chalta h. Per fir se kass khatam ho ke natak sutak suru ho sakta hain