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डोभाल से डोबल बनने की कहानी l कभी खेती में राज करता था डोबल गाँव l  

Tasviron Mein Pahad
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डोभाल से डोबल बनने की कहानी l कभी खेती में राज करता था डोबल गाँव l ‎@TasvironMeinPahad
डोबल गांव पौड़ी जिले के उत्तरी मौदाडस्यु पट्टी में स्थित है। कोटद्वार पौड़ी नेशनल हाईवे से अमोठा से सड़क जाति है।इस गांव को थोकदारों का गांव भी कहा जाता है। राजाओं और अंग्रेजी शासन काल में इस गांव के पास करीब 9 गांवों का मालगुजारी व्यवस्था थी।
डोबल गांव में अभी भी करीब 70 परिवार रहते है।गांव की असिंचित और सिंचित दोनों खेती लगभग बंजर है कुछ किसान विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए खेती कर रहे है।इसके अलावा मुर्गी पालन,सब्जी उत्पादन का भी कार्य कुछ परिवार कर रहे है। कोविड महामारी मैं कुछ युवा और परिवारों ने गांव में रोजगार के साधन उपलब्ध कराने की कोशिश की लेकिन जैसे ही लॉकडाउन हटा तो धीरे धीरे सभी शहरों की तरफ लौटने लगे।
गांव में अब ऐसे जानवर और पक्षियों का आना शुरू हो चुका है जो पहले कभी नहीं दिखते थे। मोर, गुलदार, नीलगाय, हिरन जैसे कई जानवरों ने खेती की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है।
गांव में प्राइमरी स्कूल अभी संचालित हो रहा है जिसमे करीब एक दर्जन बच्चे है।इसके साथ ही गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भी है।गांव सड़क और बिजली से पहले ही जुड़ चुका है। संचार सुविधाएं भी डोबल गांव में मौजूद है।
वर्तमान गांव की बसने की कहानी करीब 300 साल पहले से शुरू होती है जब मौदाडी गांव से कुछ परिवार को यहां बसाया गया उससे पहले इस गांव में डोभाल जाति के लोग रहते थे।गांव का नाम भी इसीलिए डोबल पड़ा।
उत्तरी मौदास्यु पट्टी में यह गांव काफी प्रसिद्ध है।गांव में भले ही पलायन हो चुका है लेकिन शादी ब्याह में रौनक लौट आती है।भले ही खेती किसानी छूटती जा रही है लेकिन गांव में सामाजिक और धार्मिक कार्यों में लोग बढ़चकर हिस्सा लेते है।

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10 сен 2024

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