हम आजमगढ़ जिला से हैं।हम रंजनी के लिए बहुत मेहनत कीये रंजनी संगीत के दुनिया में बहुत बार लड़खड़ा कर गिर गयी थी। हमने रंजनी का पीछा नही छोड़ा रंजनी के साथ हम संघर्ष करते रहे रंजनी संगीत की दुनिया में हमको तंग कर डाली लेकिन हम भी मन बना लीये थे। देखते हैं रंजनी तुम कीतना बार गीरोगी।हम तुमको उठा कर खड़ा करेंगे हमने जो चाहा वह हो गया रंजनी को भगवान ठीक रखें।जय माता दी
बहुत सुंदर धन बजाए अपने ढोलक और हारमोनियम का जोड़ बहुत बढ़िया बहुत लाजवाब साथ में बच्चों का डांस वाह क्या कहना मैं जब भी म्यूजिक लगाता हूं कम से कम पांच छह बार लगातार सुनता हूं
किसी भी कथा पंडाल में महिलाओं का नृत्य करना शोभा नहीं देता भक्ति अपने जगह पर है जिसका कोई दिखावा लोगों को बीज नहीं किया जाता कथावाचक को भी चाहिए कि वह इन सब बातों का ध्यान रखें भक्ति भगवान और भक्तों के बीच होती है समाज में बैठे लोगों के बीच नहीं भक्ति वह है जो लोगों के बीच में दिखावा नहीं की जाती आजकल ऐसे पंडालों में कथा वाचक अपना अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं आप लोग समझते हैं समाज के घर जा रहा है हजारों लोगों के घर के यहां कथा पंडाल में आते हैं और लोगों के बीच में महिलाएं नृत्य करती हैं क्या सही है कोई दूसरा आता है और यहां महिलाओं को नचवा के चला जाता है ऐसी भक्ति हमारे परे से बाहर है क्या आप लोगों के लिए सही है भक्ति करिए जो सिर्फ भगवान और भक्त के बीच में हो अन्य तीसरे के बीच मैं नहीं भक्ति दिखावा नहीं है एक श्रद्धा भाव है जो भक्त और भगवान के बीच में रहता है अगर हमारे इस आपको कोई दिक्कत हुई हो तो उन बातों के लिए आप लोगों से क्षमा मांगता हूं हमारे विचारों हमारी सोच यही है धन्यवाद
तुम लोगों की माने तो तुम लोग महिलाओं को सिर्फ मंदिर में ही नहीं कहीं भी किसी भी जगह स्थान नहीं देना चाहते मंदिर में क्या स्थान दोगे ये तो सिर्फ एक बहाना है। महिलाओं को यदि किसी ने बिना किसी जाति के बिना किसी भेदभाव के यदि सभी जगह खुलकर जीने का और सब कुछ करने का अधिकार दिया है तो सिर्फ डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने तुम लोग की माने तो महिलाएं कुछ कर ही नहीं सकते हैं मंदिर में डांस करने की बात तो बस एक बहाना है वह तुम लोगों के लिए सिर्फ एक कठपुतली जो सिर्फ घर मे रहे और तुम्हारे इशारो पर नाचे और कुछ नही।