गुरु बड़ा के परमात्मा गुरु मार्गदर्शक ही हे। परमात्मा प्रकृति ही है। जो निराकार निरंजन निर्विकार ही हे। परमात्मा संसार के जड़ चेतन सब पर्दाथ में और खाली अवकास में समस्त नक्षत्र निहारिका आकाशगंगा ओर लोक लोकांतर में व्यापत हे। उसे धुडना समुद्र में से। मोती निकाल ना जैसा ही हे। परमात्मा नहीं जन्म लेता नही मृत्यु होती।ये सब हमारी मानव शरीर से दिखती ओर नहीं दिखाती कोटि कोटि जीव जंतु सूर्य चांद तारे और हमारी नजर में नही आए ग्रह नक्षत्र सब परमात्मा का रुप हे। उसे जान ने समझने समझाने में हम अभी कोटि कोटि जन्म लेंगे तभी भी न समझ सकेंगे। नेति नेति नेति।