तुम नहीं ग़म नहीं शराब नहीं ऐसी तन्हाई का जवाब नहीं गाहे-गाहे इसे पढ़ा कीजे दिल से बेहतर कोई किताब नहीं (गाहे-गाहे = कभी कभी) जिसको तूने न आज़माया हो वो कहीं पर भी कामयाब नहीं जाने किस किस की मौत आयी है आज रुख़ पे कोई नक़ाब नहीं वो करम उँगलियों पे गिनते हैं ज़ुल्म का जिनके कुछ हिसाब नहीं जो क़यामत न ढा सके 'राही' वो किसी काम का शबाब नहीं -सईद राही
SIR APKE IS ROOKSHAT KA DHARA KE PAS KOI JABAB NAHI .APKO SHAT SHAT NAMAN . ISHWAR APKI ATMA KO SUKOON DE AUR AAP APNE KASHIS BHARI AWAJ SE UNKO SUKOON DE.