सद्गुरु हमें सबसे सक्षम और गूढ़ योगियों में से एक, दत्तात्रेय की कहानी सुना रहे हैं। वे बताते हैं कि कैसे परशुराम, जो एक बहुत तीव्र इंसान थे, उनके शिष्य बन गए।
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मत्स्येन्द्रनाथ और दत्तात्रेय को इस परंपरा में सबसे महान योगियों के रूप में जाना जाता है।
एक घड़ा, शराब का एक जग, उनकी एक जांघ पर था, और एक जवान औरत, दूसरी जांघ पर।
उन्होंने बस देखा, दत्तात्रेय नशे में लग रहे थे।
ये परशुराम के लिए एक प्रदर्शन था, क्योंकि वे ज़बरदस्त क्षमताओं वाले मनुष्य हैं।
Super - दत्तात्रेय ने परशुराम को अपना शिष्य कैसे बनाया
योग की कुछ परंपराओं में, वे योगियों को तीन श्रेणियों में बांटते हैं। इन्हें मंद, मध्यम और उत्तम के रूप में जाना जाता है।
मंद योगी मतलब, उन्होंने ये जान लिया है, कि चेतन होना क्या होता है। उन्होंने सृष्टि के स्रोत को जान लिया है, उन्होंने एकत्व जान लिया है। लेकिन वे दिन भर उस स्थिति में नहीं रह पाते। उन्हें खुद को याद दिलाना पड़ता है।
जब वे खुद को याद दिलाते हैं और जागरूक होते हैं, तो वे उस स्थिति में होते हैं।
जब वे जागरूक नहीं होते, तो वे पूरा अनुभव खो देते हैं।
कोई भी प्रयास करके 24 घंटे चेतन नहीं रह सकता। अगर आप चेतन होने के लिए प्रयास कर रहे हैं, और अगर आप इसे कुछ सेकंड या मिनट तक बनाए रख पाते हैं, तो ये बड़ी चीज़ है। वरना ध्यान यहाँ वहाँ भटकेगा। तो योगी के पहले चरण को मंद कहा जाता है।
योगी के दूसरे चरण को मध्यम कहा जाता है, जिसका मतलब है मध्य स्थान। वे लगातार बोध पाते हैं, लेकिन भीतरी आयाम और जो परे है, वो बोध में है। जो यहाँ है, वे उसे संभाल नहीं पाते।
आपने भारत में होने की वजह से, बहुत से योगियों के बारे में सुना होगा, जिनकी पूजा की जाती है। लेकिन वे अपने जीवन में कुछ भी करने में असमर्थ थे। उनमें से कई योगियों को, उनके जीवन के कुछ चरणों में, खाना खाने और टॉयलेट जाने के लिए भी याद दिलाना पड़ता था। उस चीज़ की भी देखभाल करनी पड़ती थी। वे असहाय शिशुओं जैसे हो गए थे।
लेकिन अपने भीतर वे एक शानदार स्थिति में थे। पर वो जितनी भी शानदार हो, आप उस स्थिति में नहीं रह सकते क्योंकि भौतिक दुनिया से अलग हो जाने पर आप भौतिक शरीर में नहीं रह सकते।
अगर आपको अपना भौतिक शरीर बनाए रखना है, तो आपका भौतिक दुनिया में किसी प्रकार से काबिल होना ज़रूरी है, वरना आप उसे संभाल नहीं पाएंगे।
योगी का तीसरा चरण, परम का निरंतर बोध पाता है, और साथ ही बाहरी दुनिया के भी पूरे तालमेल में होता है। इस हद तक कि आपको पता ही नहीं चलेगा, कि वो वाकई योगी है या नहीं।
दत्तात्रेय, आपने दत्तात्रेय के बारे में सुना है? दत्तात्रेय? ये अच्छी बात है। क्योंकि मत्स्येन्द्रनाथ और दत्तात्रेय को इस परंपरा में सबसे महान योगियों के रूप में जाना जाता है। बाकी सभी आत्मज्ञानियों में से, इन दोनों को सबसे महान माना जाता है।
मत्स्येन्द्रनाथ, वे इस तरह से जीते थे, कि लोग उन्हें शिव का अवतार मानते थे। दत्तात्रेय के बारे में उनके आस-पास के लोग कहते थे, कि वे शिव, विष्णु और ब्रह्मा, इन तीनों का एक साथ अवतार हैं।
ये लोगों का तरीका है, उनके बारे में बताने का। जब उन्होंने उस व्यक्ति के बारे में कोई चीज़ देखी, कि वे इंसानी रूप में तो हैं, लेकिन कुछ भी इंसानों जैसा नहीं है। इसका मतलब ये नहीं कि वे अमानवीय थे। पर इंसान निश्चित रूप से नहीं थे। तो जब उन्होंने ऐसे गुण देखे, तो वे उनकी तुलना सिर्फ शिव, विष्णु और ब्रह्मा से करने लगे।
वे बोले, ये उन तीनों का अवतार हैं। तो आप देखेंगे, कि दत्तात्रेय की कुछ तस्वीरों में तीन सिर होंगे, क्योंकि वे तीनों का अवतार हैं। दत्तात्रेय बहुत ही रहस्यमय जीवन जीते थे।
जो पंथ उनसे शुरू हुआ, वो आज भी कुछ चीज़ों का पालन करते हैं, वो एक शक्तिशाली पंथ है। आपने निश्चित रूप से कानफटों के बारे में सुना होगा। वे दत्तात्रेय को पूजते हैं। आज भी वे काले कुत्तों के साथ घूमते हैं। दत्तात्रेय के आस-पास हमेशा काले कुत्ते होते थे। बिलकुल काले।
मैं कुत्तों की बात नहीं करूंगा, इसके बारे में बहुत सी चीज़ें हैं। उन्होंने एक निश्चित तरीके से कुत्तों का इस्तेमाल किया। आप जानते हैं, अगर आपके घर में कुत्ता हो तो उसका बोध आपसे थोड़ा ज्यादा होता है। हाँ या ना? सूंघने में, सुनने में, देखने में, वो आपसे थोड़ा बेहतर लगता है। तो दत्तात्रेय कुत्तों को अलग स्तर पर ले गए। और उन्होंने वे कुत्ते चुनें जो पूरी तरह से काले थे।
आज भी कानफटों के पास ऐसे कुत्ते होते हैं, वे उन्हें चलने नहीं देते, उन्हें अपने कन्धों पर उठाकर चलते हैं। बड़े कुत्ते। क्योंकि ये दत्तात्रेय का पालतू जानवर था। तो, वे उनके साथ विशेष व्यवहार करते हैं। 200 पीढ़ियों के बाद भी, जो उन्होंने तय किया था, आज भी वैसा ही है। ये आज भी आध्यात्मिक खोजियों के सबसे बड़े पंथों में से एक है।
6 сен 2024