कार्तिक अमावस्या जिसको Deepawali कहते है दिपावली कि पावन तिथि पर प्रातः काल सुमुन्द्र मंथन से आदि गौ सुरभि माता प्रगट हुई इसीलिए दिपावली के दिन दो का प्राकट्य है।
प्रातः काल सुरभी का प्राकट्य और प्रदोष वेला मे भगवति महालक्ष्मी का प्राकट्य इसलिए प्रदोष काल मे लक्ष्मी का पूजन होता है ओर प्रातः में गौ माता का पूजन होता है।
पर दुरभगय है कि लक्ष्मीपूजन तो पूरे भारत में किया जाता है पर गो पूजन करना लगभग लुप्त सा हो गया हैं।
गोमाता अग्रजा है और लक्ष्मीजी अनुजा है, दोनो का पूजन होना चाहिए।
अगर गौ पूजन नही होता तो लक्ष्मी जी घर में आती तो हैं परंतु गधे पर सवार होकर और जब गौ माता का और लक्ष्मी जी दोनो का पूजन होता है तब लक्ष्मी जी गरुड़ पर सवार होकर आती हैं।
नोट - गौ माता(अर्थात भारतीय नस्ल की देसी गाय से है।✔️) डेयरी वाली जर्सी गाय पूजनीय nhi होती ❌। हां परंतु दया का भाव प्रत्येक जीव के प्रति होना चाहिए हम ये नही बोल रहे की आप दूसरी नस्ल की गायों या कुत्ते के प्रति द्वेष रखें।
इस दीपावली आप और हम गौ माता का पूजन करें सबसे उत्तम तो है घर में गौ माता रखें अगर गौ माता घर में नहीं तो गौशाला में जाकर गौ माता की पूजा करें उनका आशीर्वाद आप सभी पर बना रहे, इसी मंगल कामना के साथ शुभ दीपावली जय सियाराम✨🙏
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2 ноя 2021