चलो ठीक है और आपकी बातों से भी स्पष्ट होता है परमात्मा सम्रत है और आपके अनुसार हमारा निजी स्वरूप आतम देव है हम स्वयं आत्मा ही परमात्मा है तो हमारी सुरती इस मूल को आतम देव छोड़कर यहां क्यों आई ..? क्या आतम देव हमारा निजी स्वरूप जो परमात्मा समान है इतना कमजोर था
नहीं भाइ जब हमने जन्म होने के बाद कुछ नहीं सीखा ना बोलना जानते थे तब हमारी सूरत परमात्मा मे लगी हुई थी जब सांसरी ज्ञान हुआ तब सूरत भटक गई संसार मे अब पूर्ण गुरूजी नितन दास जी फिर से वही दोहरा रहे है सम्बल जाऊ भाई
कबीर सागर में लिखा है कबीर परमात्मा ने बारहवे पंथ हमहि चल आवे सब पंथ मिटा १ पंथ चलावे इससे स्पष्ट है की परमात्मा बारहवे पंथ में आएंगे आप तो अलग ही हो आपका बारहवे पंथ से कोई लेना देना ही नहीं है इसका साफ़ मतलब है की आप भी काल का पंथ चला रहे हो
सतगुरू के लक्षण कहूं, मधूरे वैन विनोद। चार वेद छह शास्त्र कहे 18 बोध। वह पूर्ण सतगुरु चार वेद छह शास्त्र और 18 पुराण का जानकर होगा,अभी भी अहंकार है गद्दी छूट न जाए कही।दुनिया को क्या खूब ठगा,नितिन दास साहेब जी
मैं श्रीमद् भागवत गीता पर विश्वास करता हूं और उससे अधिक मेरे प्रभु जिन्होंने दया करके हमें यह ज्ञान बताया वैसे तो मुझे कोई भी ज्ञान नहीं चाहिए बस में अपने प्रभु से प्रेम करता हूं उन्हें अपना मानता बस यही मेरी भक्ति है और यही मेरा ज्ञान भी
महान संत शिरोमणि महात्मा रवि दास जी महात्मा कबीर साहब को बारम्बार प्रणाम ।। दोनो ही गुरू भाई रामानंद जी के शिष्य थे।। दोनो कि ज्ञान धारा समान थी ।। और जूठ फेलाना बंध करो की रविदास जी कबीर जी के शिष्य थे कोई सबूत है आपके पास बीएल?????? साहेब बंदगी साहेब
• सतगुरू गरीब साहिब जी की वाणी पढ़ें _अनभै कथी रैदास कूं, मिल गए पीर कबीर ।_ _मगहर बिच झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर ।।_ • अनंत दास कृत रैदास परचाई पढ़े _तब रैदास कही निज बाता,_ _गुरु समान कबीर बड़ भ्राता ।।_ _आज्ञा लई कबीर की, पुनि हरि आज्ञा दीन ।_ _रमन मतो चित्तौर को, जन रैदास तब कीन ।।_ • सेन जी कृत 'कबीर अरु रविदास संवाद' पढें _जो तुम गाओ सो मैं गाऊं, तुमरा ज्ञान विचारुं ।।_ _कहे रैदास कबीर गुरु मेरा, भ्रम कर्म धोई डारुं ।।_ • तज़किरा ए गौसिया _सूफी संतों के जीवन चरित्र से संबंधित ऐतिहासिक उर्दू पुस्तक तज़किरा ए गौसिया के पृष्ठ 255 पर रैदास जी और कबीर साहब जी की वार्ता का वर्णन है। जिसके वर्णन है की रैदास जी ने कबीर साहिब की शरण ली ।।_
भाई नितिन दास जी रामपाल जी का ज्ञान तुम्हारे बस की बात नहीं है रामपाल जी का ज्ञान आदित्य है प्रमाणित है रामपाल जी का मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं करसकता
हे सतगुरु महाराज कुल मिलाकर हमें यह बताइए कि जैसे वह अपने को परमात्मा का रूप बता रहा है ऐसा कोई भी इंसान आज तक बचा नहीं है उनकी दुर्गति किस तरीके से होगी
अगर परमात्मा काल को श्राप नहीं देते तो काल हमें मानव शरीर कभी नहीं देता काल को श्राप लगा है एक लाख जीव खाने का और सवा लाख पैदा करने का इसलिए उसकी मज़बूरी है उसको मानव शरीर देना हि पड़ता है।
नितिन जी आप अपने भक्तो के और आप के पाप कर्म का नाश नही कर सकते हैं और आप अपनी रक्षा नही कर सकते हैं और नही भक्तो की रक्षा कर सकते हैं आप के शब्द में शक्ति नही है।
आप की लैंग्वेज से पता लग रहा है आप काल के दूत हैं संत रामपाल जी जैसा संत ना है और ना होगा संत रामपाल जी का ज्ञान नंबर वन है संत रामपाल जी स्वयम परमात्मा है
उसके पीछे लगा रह तू भी उसी जगह जाएगा वह अजगर बनेगा तूम चिटी बनेगा खूब नोच के खाएंगे अपने रामपाल के पीछे से हटाना मत सतगुरु महाराज जी का आशीर्वाद तेरे साथ सदा रहे
संत रामपाल जी कहते हैं कि काल के पास 21 ब्रह्माण्ड और 21 ब्रह्माण्ड में पुन्य आत्मा है, एमजीआर काल को श्राप लगेगा 100000 खाने का 150000 भुगतान करने का, बाकी 20 ब्रह्माण्ड में किसी की मृत्यु नहीं होती होगी
Rampal ji ke jitne bhi cheley hain, kripya andhvishwaas ki patti utaar ke satsang sune. Janam sudhar jaayega. Bura laga toh maafi par maanush janam bada anmol hai..aur ham sab aapas mein bhai hain…kripya vivek se satsang sune aur samjhein :)
वक्त पड़े सौदा कर ले ... कोठे धर् दे ज्ञान... इस वक्त सतगुरु रामपाल जी महाराज की समर्थथा इतनी है अपने भक्तों को मौत के मुंह से भी बचा लाते हैं और उनकी सत भक्ति में इतना लाभ है कि असाध्य रोगों का नाश भी हो रहा है संतान प्राप्ति हो रही है, धन प्राप्ति भी हो रही है , असंभव को संभव कर देते हैं तो हमने बाकी और किसी अग्यानी के अज्ञान का क्या लेना है परमात्मा संत रामपाल जी महाराज ही हमारे वेद हैं वही हमारी सृष्टि रचना का भेद है ,वही हमारी गीता जी है ,वही हमारे प्रमाणित ज्ञान है ,वही हमारे सच्चे सतगुरु है ,वही हमारे समर्थ भगवान हैं तभी तो जेल धाम के आगे जाकर के उनके नाम की दंडवत की जाती पुलिस वाले भी जेल में संत रामपाल जी महाराज का नाम दान ले रहे हैं एक आश्रम तोड़ा था १००००००००००० आश्रम बनाने जा रहे हैं उनके ज्ञान को रोकना उस अंधे गधे की तरह है जो ट्रेन को अपनी दुलत्ती से रोकना चाहता है मगर पिछवाड़े पर ट्रेन का धक्का लगेगा तो पता नहीं कहां जा करके गिरेगा ....ऐसी गलती ना करें पूरे विश्व के भक्त समाज को किसी और के ज्ञान की जरूरत नहीं है... फालतू में अपना अज्ञान थोपने की कोशिश कर रहे हो जबकि संत रामपाल जी महाराज की बताई हुई सृष्टि रचना के पहले तो आप जैसे कोई को ग्यान ही नहीं था उनकी सत्संग सुन सुन के तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हो आनी जानी कुछ है नहीं ...काल के मुंह में खुद चले जा रहे हो और लोगों को भ्रमित करना चाह रहे हो सिर्फ पैसे के लालच में क्योंकि अगर आप इतने महान संत होते तो अपने भक्तों को लाभ भी देते जो संत रामपाल जी महाराज दे रहे हैं उनके बराबर कोई संत है ही नहीं क्योंकि वह स्वयं परमात्मा है और परमात्मा एक ही संत के रूप में प्रकट होते हैं जो कि तत्वदर्शी संत होता है जो कि सृष्टि रचना को सविस्तार बताते हैं और अपने भक्तों को लाभ देते हैं विजिट करें www.jagatgururampalji.org
Unhne to itna dimag kharab kr diya , prmatma ko chahne walo ka ,smjh me nhi aya ki Geeta Gyan data kal h sch me ,but atma kbi nhi mani or ab sb sch pta chl gya ,apki satsang se kabeer ji ki shi baniyo se rubru hue hm
ये सृष्टि स्वयंसंचालित अनादि अनंत कालसे है और अनंत काल तक रहेगी ऐसी स्थिति है ! कोई कहांसे लाकर बनाएगा ! ? कुछ था ही नही तो जिसने ये सृष्टि रचाई वो कहा खड़ा था ?! मानो कुछ काल पहिले किसीने बनाई थी ये सृष्टि तो ,उसने पहिले क्यूं नही बनाई थी ?! जिसने ये सृष्टि रचाई तो उसको किसने बनाया !? इच्छामात्रसे रहित ऐसे परमात्माको ये सृष्टि रचानेकी इच्छा क्या क्यूं हो सकती है !? जिसने ये सृष्टि रचाई उसकी सृष्टि पर रोजाना ६९० मिलियन लोगोंको एक बारका खाना नही मिल रहा तो वो आपके वो आकाशी (!) भगवान की दया कहां गई !? सब भ्रांतिमें खड़े है जो खुदके अस्तित्वके अतिरिक्त कोई ईश्वर सत्ता हैं ऐसा मानते है और मनवानेकी चाह रखते है ! जीव मात्र सत्तास्वरूपे परमात्मा हैं लेकिन अनादि मिथ्यादृष्टि जीव उससे अनभिज्ञ है!
Sharir rupi pur me rahane ke Karan aatma ko purush kaha jata hai n nitin ji maharaj N ki es manav rupi Stree aur purush sharir ko kaha Gaya hai n ye manav sharir rupi Stree purush to panch tatvo se bana hai jo ki es mauthuni shriti ka nirman kar sake
Saheb ji jad aur chetan sada se hai chin ke mahan darshnik laotse ke tau law ko padhiy abhi tak aap chetan soul ko chhod kar words ko lekar chal rahen hain jo ek bahut bada dhokha hai words soul hone ke karan nikalraha hai jise aap words kahte hain.aap kabir ke bijak granth ki ramaini 2 padhie pl.❤
Main aisi bhagti nahi manti jisne mujhse mera sb sheena h ye insaano m ghamand paida krwate h m mar bhi rahi hoti hu mera pati mujhe marti shod satsang jata h ase satsang ka kya fyada jb piche insaan marane k liye shod diya jaye
यह पंखड़ी निगुंरा है क्यों कि इस पाखंडी रम दूत नितिन राय को इसके गुरु ने दखा मारके बाहर निकाल दिया है इस लिए यह आप जी भोले भाले जियो झाल में फंसा रहा अपनी रूज कार रोटी के चक्कर में