बहुत बढ़िया, अति सुन्दर, भट्ट जी, आपके विचारों ने सच मानों तो मेरे दिल को छू लिया है। आपके विचार, सुझाव एवं कदम अति सराहनीय है। आप एवं आप जैसे लोग ही हमारी संस्कृति, पहचान, बोली भाषा को जीवन्त रख सकते हैं। आपके इन प्रयासों को तहेदिल से शुक्रिया एवं कोटी-कोटी नमन । धन्यवाद
सही कहा आपने राकेश जी,अपनी भाषा अपनायें ये सभी लोगों को अपनी औलाद को सिखाना चाहिये।आज वो लोग कम ही होंगे जो अपनी धरती से जुडे हैं,उस हकीकत को जानना बहुत मुशकिल है पर आप बहुत ही बढिया काम कर रहे हैं ,हमने भी इस पीडा़ को समाज में उजागर किये थे।पर हम तो एक एक अफसाना बन कर रह गये।आपको बहुत बहुत शुभकामनायें और शुभाशीष।🙌🙌🌹🌹
माननीय भट्ट साहब आप सहि बात ब्वलणां छंवा कि हम लोग और हमरा समाज का लोग अपणां बच्चों का दगड़ गढ़वाली मां बात नि करदा म्यारू सभी भाई बैणौ से प्रार्थना चा कि आप लोग जै भि परदैश मां छंवा अपना बच्चों दगड़ जरुर गढ़वाली मां बात करंणा चैन्दा हम अपणां बच्चों दगणंम गढ़वाली मां बात करदंवा आप लोग भी सुरुवातकरि दय्या जय बद्री विशाल
लोक संस्कृति,लोकोत्सव,लोकभाषा,लोक भाषा,लोक रीति-रिवाज और परंपराओं को संरक्षण,संवर्धन और विकास पर आधारित दमदार परिचर्चा के लिए राष्ट्रपति पुरस्कृत आदरणीय डाक्टर राकेश भट्ट जी को अनंत बधाइयां,अभिनंदन और आभार।