द्रव क्रिस्टल : द्रव क्रिस्टल, ठोस एवं द्रव मे अन्तर by Anilsir semester1 Paper2. Unit=5
*द्रव क्रिस्टल (Liquid Crystal): ठोस एवं द्रव में अंतर*
द्रव क्रिस्टल एक ऐसा पदार्थ है जो ठोस और द्रव दोनों की विशेषताओं को प्रदर्शित करता है। ये पदार्थ सामान्यत: क्रिस्टलीय ठोस की तरह नियमित संरचना रखते हैं, लेकिन साथ ही द्रव की तरह बहने की क्षमता भी रखते हैं। इनका उपयोग आधुनिक युग में विभिन्न क्षेत्रों में, विशेषकर डिस्प्ले तकनीक (LCDs) में किया जाता है।
ठोस और द्रव के बीच अंतर:
1. **ठोस**: ठोस पदार्थों में अणु या अणु समूहों का एक निश्चित और सख्त रूप होता है। इसमें अणुओं की स्थिति एक विशेष पैटर्न में बंधी होती है, जिससे यह निश्चित आकार और आयतन बनाए रखते हैं।
2. **द्रव**: द्रव में अणु एक-दूसरे के करीब होते हैं, लेकिन ठोस की तुलना में इनमें गति की स्वतंत्रता अधिक होती है। द्रव पदार्थ का अपना निश्चित आकार नहीं होता और यह उस पात्र का आकार ग्रहण करता है जिसमें इसे रखा जाता है।
द्रव क्रिस्टल की विशेषताएँ:
- यह एक द्रव की तरह बह सकता है, लेकिन इसके अणु कुछ हद तक ठोस की तरह एक संरचित रूप बनाए रखते हैं।
- तापमान या विद्युत क्षेत्र के प्रभाव से इसके अणुओं की स्थिति बदल सकती है, जिससे यह विभिन्न अवस्थाओं में आ सकता है।
- *द्रव क्रिस्टल* में आमतौर पर दो अवस्थाएँ पाई जाती हैं:
- **नैमतिक (Nematic)**: इसमें अणु एक दिशा में होते हैं, लेकिन वे स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं।
- **स्मेकटिक (Smectic)**: इस अवस्था में अणु पंक्तिबद्ध होते हैं और वे स्वतंत्र रूप से एक ही दिशा में नहीं घूम सकते।
ठोस और द्रव क्रिस्टल का भौतिक अंतर:
- ठोस में अणुओं की स्थिति और व्यवस्था अधिक सख्त और अनियमित होती है, जबकि द्रव क्रिस्टल में अणु थोड़ी बहुत स्वतंत्रता के साथ एक नियमित पैटर्न बनाए रखते हैं।
उपयोग:
- द्रव क्रिस्टल का सबसे सामान्य उपयोग *LCD (Liquid Crystal Display)* में होता है, जो मोबाइल फोन, टीवी, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में डिस्प्ले के रूप में काम करता है।
23 сен 2024