काहे पीता हे शराब, काहे पीता हे शराब? धन भी गमाये, इज्जत न पाये, कुल बदनाम कराये ।।टेक ।। मानव का बडा दुश्मन, बिगडाता सरासर खून इसकी बडी बुरी हे धून ! कैसे तुझे समझाये ? कौन गति पाये? कुल बदनाम कराये ।।१॥ काबू में नहीं है मन, बिगडाता सभी जन-गण । गाली बकता सदा पल-छन ! घर सारा दुःख पाये, जात सताये , कुल बदनाम कराये ।। २ ।। सब घरदार भया कंगाल, पुत्रोंके हूये बेहाल ! तुकड्या कहता-जरा दे ख्याल । तेरा पिना छुट जाये, सुख घर आये, कुल बदनाम कराये ।। ३ ।।