धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।। मनुस्मृति ,दर्शन ,उपनिषदादि के सिद्धांतों को श्रीराम ने चरितार्थ कर ; अपनी जीवनशैली से संपूर्ण मानव समाज को दिकदर्शित किया , हम सभी अत्यंत सौभाग्यशाली हैं कि श्रीराम की भारत भूमि में जन्मे , उससे भी अधिक वो जो उनके जीवन को आज सुन और जान रहे हैं , और आचरण में उतार कर हम अत्यंत सौभाग्यशाली बने , तभी श्रीराम की जय होगी