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धार्मिक आयोजन में मेले का आर्थिक पहलू...सामाजिक संपन्नता का प्रतीक! 

Anuj Kr. Shivlochan
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कोरोना संक्रमण के दो लहर ने छोटे और बड़े शहर के कारोबार की कमर तोड़ दी थी। लेकिन जैसे जैसे कोरोना वेक्सिनेशन की रफ्तार बढ़ी, कोरोना का प्रकोप कम हुआ, कारोबार और व्यापार में भी तरक्की दिखने लगी। उसी कड़ी में अगर समाज में किसी भी धार्मिक मेले का आयोजन होता है तो आर्थिक संकट से उबरने का जरिया बन जाता है। बात भागलपुर से करते हैं तो इसबार के दुर्गापूजा में 550 करोड़ का कारोबार हुआ। इसी मर्तबे धनतेरस पर 450 करोड़ का कारोबार हुआ। दीपावली है, मूर्ति के विसर्जन की शोभायात्रा है। उसके बाद किसानों के खेत में उगाई गई फसल की कीमत छठ महापर्व में मिलने वाली है।
अब सवाल है कि धार्मिक संस्थाएं, कारोबारी या ब्यापारी या फिर ज़िला प्रशासन, मेले के आर्थिक पहलू को कैसे देखते हैं...कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए किस तरह का माहौल बनाने में मदद करते हैं, एक मौंजू सवाल है।

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16 сен 2024

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