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नजर का उपाय 

Sudha Samadhan
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5 окт 2024

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Комментарии : 31   
@neerugoel2986
@neerugoel2986 Месяц назад
Namostu namostu bhagwan
@VirendraJain-b2v
@VirendraJain-b2v 6 месяцев назад
Namostu gurudevji Namostu gurudevji Namostu gurudevji
@anitajainChaudhary4044
@anitajainChaudhary4044 Год назад
🙏🙏🙏 namostu namostu namostu mere param upkari mere gurudev bhagwan ji apke Shree charno me apko mera mere parivar ka or Charo gati ke jiwo ka bhi anntaannt baar anntaannt Kaal tak man vachan kay se koti koti namostu namostu namostu mere gurudev bhagwan ji 🙏🙏🙏
@riddhijain9908
@riddhijain9908 2 года назад
Namostu gurudev sudha sagar ji Maharaj ji ki barambar jaikar ho mahima stuti tarrif samman aur sare jagat me gurudev ka prachand yash badhe
@rishabhjain8782
@rishabhjain8782 27 дней назад
हा डूट कयम हा डूट चिन्तायम हा डूट भाषकम
@monikajain5372
@monikajain5372 Год назад
Namostu gurudev
@shrutijain9968
@shrutijain9968 Год назад
Namostu Bhagwan 🙏🙏🙏
@sandhyabhandari5959
@sandhyabhandari5959 Год назад
जय जय गुरुदेव
@meenabilala7578
@meenabilala7578 2 года назад
नमोस्तु गुरुदेव🙏
@sushmajaiswal3306
@sushmajaiswal3306 7 месяцев назад
🙏🙏
@aaradhyajain1419
@aaradhyajain1419 Год назад
Jai gurudev
@nikhiljain1899
@nikhiljain1899 Год назад
7:11
@sheshmaljain3976
@sheshmaljain3976 2 года назад
Mathen.Vandami Salamba.Gujrat Narmda Bohtbdiya
@nidhijoshi6511
@nidhijoshi6511 Год назад
🙏🙏🚩🚩
@anayjain1086
@anayjain1086 2 года назад
Nmostu gurudev🙏🙏
@charujain1700
@charujain1700 3 месяца назад
3 baar ky pdna hain
@narainderjain6004
@narainderjain6004 Год назад
Namostu namostu namostu
@mineshthakkar3869
@mineshthakkar3869 Год назад
Kuch upaay bataye nazardosh
@jayswaminarayan8329
@jayswaminarayan8329 9 месяцев назад
Mantra kaunsa hai
@pritibaladagli2245
@pritibaladagli2245 2 года назад
Guruji ne jo mantre bola plese koi comments me likheke do na
@nazranachikan492
@nazranachikan492 2 года назад
Jai Gurudev ki Pls Likhker beje
@SudhaSamadhan
@SudhaSamadhan 2 года назад
@Nazrana chikan अपने ज्ञान को,अपने वचन को अपनी खुद की नजर खुद को लगी हुई है। नजर दो रूपों में लगती है , एक तो हम अपने जीवन में मद में चले जाएं... क्या धन है मेरा,क्या तपस्या है मेरी,क्या रूप है मेरा,क्या हुकूमत है मेरी,क्या ट्रेलर है मेरा ऐसा अपने अंदर कभी अपने ऊपर निकल आता है तो खुद की नजर खुद को लग जाती है कभी कभी दूसरा कर देता है..अरे भाई ये कितना सुंदर बच्चा है ,कितना बढ़िया गाड़ी है ,देखो इनका बड़िया मकान है तो आप लोग मकान बनने के पहले वो काला हांडा टांक देते है ना और बच्चे को सर पर काला टीका लगाते हैं। बुरी दृष्टि से देखने वालों की नहीं कह रहा हूं वो नजर तो काम लगती है ,सबसे ज्यादा लगती है अच्छी दृष्टि देखने वालों को। और सबसे ज्यादा अपने लोगों को नजर लगती है अपने लोगों की ...जो अपने प्रशंसक है। जब कोई तुम्हारी बहुत प्रशंसा करे तो समझ लेना शाम तक नजर लग जायेगी। अब वो अच्छे भावों की बाद में चर्चा करें पहले तो ये है की अपने लोगों की प्रशंसा लग जाती है। किसी ने लिखा है एक बहुत सुंदर कन्या थी तो बार बार दर्पण देखती थी। तो किसी ने लिखा "सोच समझ श्रृंगार करो बहना कहीं दर्पण न लग जाए"। तो मैं सोचा कि दर्पण को भी अपनी खुद की नजर खुद ही देखता है और अपने लोग भी ...जब अपनी प्रशंसा करते हों भूत तेजी के साथ ,बुरे भावों से नहीं। और कभी कभी अपनी खुद की नजर खुद को लग जाती है ,दूसरे की नजर तो उतारने का तरीका है मिर्ची लगा दो ,ये लगा दो ,वो लगा दो...लेकिन खुद की नजर ni उतरती। कभी हमने खुद पर अहंकार किया होगा ...मेरा क्या ज्ञान है,मेरा क्या प्रवचन है बस अब कल से प्रवचन खतम हो जायेंगे । नज़र लग गई अब तुम सोचोगे तो भी अच्छा नहीं होगा । अब उसकी नजर कौन उतारे। खुद की नजर खुद ही उतारना पड़ेगी।दूसरे की नजर दूसरे से उतरती है , खुद की नजर खुद से उतरती है अब हमें पश्चाताप करना पड़ेगा जब हमें याद आएगा की अरे मैने कभी अपने ज्ञान का मद किया होगा धिक्कार है मुझे ,मुझे काहे का ज्ञान है, मै तो अंधों में काना राजा हूं।मुझे काहे का ज्ञान है....आलोचना। अपने स्वयं की नजर उतारने का सबसे बड़ा तरीका है आलोचना...। कभी मद आ जाता है आ गया मद कल ...ज्ञान मद आ गया। मद में आ करके अब कभी तुम्हे महसूस होने लग जाए ।
@SudhaSamadhan
@SudhaSamadhan 2 года назад
@Nazrana chikan Continue .... कभी तुम्हें महसूस होने लग जाए....आजकल क्या हो रहा है बुद्धि काम नहीं कर रही है? आजकल क्या हो रहा है पढ़ता हूं पर कुछ याद नहीं रहा है? प्रवचन देना नहीं आ रहा है। कुछ सोचने में ही नहीं आ रहा है मैं बोलूं क्या मैं करूं क्या? पढ़ने में मन नहीं लग रहा है। और विषय अच्छा है। कल तक तो लगता था। पढ़ने में मन नहीं लग रहा है। तुरंत महानुभाव सावधान हो जाओ कहीं स्वयं की नजर स्वयं को लगी है। यदि दूसरे की नजर लगी होती है। दूसरा नहीं दी तुम्हारे लिए कभी हाय दी होती है। उसके लिए थोड़ा बहुत कोई भी व्यक्ति आकर तुम्हारे लिए कर दे तो उतर जाएगी। लेकिन स्वयं की नजर लगी है तो। हमारे जैन आचार्य हैं उन्होंने इस नजर से बहुत बचाया। जैन आचार्य कहते हैं तुम स्वयं की हाय स्वयं को कभी मत लगने देना। कितना ही बड़ा ज्ञान कर लेना,,लेकिन अपने आप को अज्ञानी मानना। दृष्टिकोण अलग है। अपन इस नजरिए से देखें। श्रुत केवली से कहा तुम अपने आप को अज्ञानी मानना नहीं तो नजर लग जाएगी। नहीं तो स्वयं की दुआ तुम्हें लग जाएगी तुम मद में चले जाओगे। और जैसे ही मद में जाओगे ज्ञान खत्म हो जाएगा। मद में जाते ही ज्ञान में आवरण चढ़ना शुरू हो जाएगा। कार्मिक सिद्धांत की दृष्टि से देखो तो। मद जाओगे तो कर्म का बंध होगा। जो ज्ञान है उस पर ज्ञानावनी कर्म का आवरण आएगा। अपने आप के ज्ञान पर मदद करोगे तो। तो तुम्हारी विभ्रम बुद्धि हो जाएगी। तुम आचरण विपरीत करोगे। क्योंकि अहंकारी व्यक्ति किसी को गिनता नहीं है? तो चरणानयोग कहता है तुम चरित्र से भ्रष्ट हो जाओगे क्योंकि तुम्हें ज्ञान का बंध हो गया है? अब लौकिक दृष्टि से देखे तो तुम अपने ज्ञान का अहंकार करोगे तो स्वयं की नजर में स्वयं को लग जाएगी। इसका तरीका जब तुम्हें अनुभव में आ जाए .... आलोचना। हां दुत्तकायम, हां duttchitntamaym, हां duttabhasiyam। स्वयं की नजर उतारने का सबसे बड़ा फार्मूला है। जिस संबंधित प्रयास कर रहे हो तुम्हारी योग्यता थी। कल थी आज नहीं है। कल थी तो आज क्यों नहीं है? कल मन लग रहा था तो आज क्यों नहीं लग रहा है? कल मन लग रहा था इतना बढ़िया विषय था। यह सोच कर गया था कल फिर पढ़ लूंगा। लेकिन आज तो मन नहीं लग रहा है। तुरंत फोन कर दो। तीन बार पढ़ लो। और ज्यादा तगड़ी नजर है तो 9 बार पढ़ लो। आप चमत्कार देखना है इसका.... मैं मूरख, मैं ज्ञानी हूं, काहे का ज्ञानी हूं। चार किताबों चार लाइने यहां वहां की पड़ ली तो अपने आप को ज्ञानी मानने लगा । मैं काहे का ज्ञानी हूं। मैं अपने आलोचना करता हूं ।पढ़ ली तो अपने आप को। ज्ञानी मानने लगा। अरे ज्ञानी तो श्रुत केवली भी अपने आप को अज्ञानी मानते हैं। मैंने तो सिर्फ चार किताबें पढ़ी है। मैं अपनी आलोचना करता हूं। मैं ज्ञान परिषय को जय प्राप्त करूंगा। ज्ञान हो लेकिन ज्ञान का मद ना हो। ज्ञान परिषय है। और वो यही बात सोचता है। मैं अज्ञानी हूं। जिस दिन से तुम्हें करना शुरू करोगे। आपके ज्ञान को जो नजर लगी है ना। आपका पढ़ने में मन लगना शुरू हो जाएगा। आपका सोचने का तरीका चालू हो जाएगा। आप का प्रवचन में विषय आना चालू हो जाएगा। यह करके देखिए।
@nazranachikan492
@nazranachikan492 2 года назад
@@SudhaSamadhan jee apka bahut bahut shukriya 🙏🏻
@nazranachikan492
@nazranachikan492 2 года назад
🙏🏻sunne me clear samaj nahi aa raha hai comments me beje Jai ho guruji ki🙏🏻
@nazranachikan492
@nazranachikan492 2 года назад
Pls Comment me likh ker beje
@SudhaSamadhan
@SudhaSamadhan 2 года назад
@Nazrana chikan Ji actually me abhi sonagir ji me siddhachakra vidhan karne aayi hu Ek do din bad me yad se apko bhej dungi Jai jinendra
@nazranachikan492
@nazranachikan492 2 года назад
@@SudhaSamadhan jee apka bahut bahut shukriya 🙏🏻
@shrayansjain4757
@shrayansjain4757 Год назад
आ दुट्टकयम् आ दुट्टचिंतयम् आ दुट्टभाषियम्
@mohitjain451
@mohitjain451 8 месяцев назад
Namostu bhagwan 🙏🏻
@siddharthjain2897
@siddharthjain2897 2 года назад
Namostu gurudev
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