सिर्फ एक कहानी के आधार पर सभी विषम परिस्थितियों को एक समाधान सुत्र से हल करना या माना जाना शायद सही नहीं। अधिकतम सही हे किन्तु उपेक्षा शिरोधार्य नही हो सकती। जय श्री राम
Sir aap ek baar s8 ki main entrance m reh ke dekhiye aur thoda exprience kijiye aur apne ghar m aplicable kare jyda nhi to apni kichen ek baar ne m set kare baad m result dekhenge kya hota h please kisi ko bhi misguide mat kijiye
Sahi kaha sir vastudosh aisa kuch hota hi nahi ghar mein hawa aur sury ki kirne rahe itna hi hai kuch logono andhvishwas faila hai apne dharm bahut kuch acha hai par shradha se dekhonge andhvishwas se nahi.bagwan par shradha rakhna sahi hai par main yhe kam kiya iska mujhe baghwan saja denge iska praychit karna ye dar hi andhvishwas hai.
आपकी कहानी का मैं समर्थन करता हूँ कि यदि किसी इंसान की सोच सुन्दर हैं तो प्रभू स्वयं ही उसका सम्पूर्ण रूप से ध्यान रखते है। इसमें वास्तुशास्त्र की कोई बात ही नहीं। यह हमारे प्राचीन ग्रंथ है। इनका अपना एक गरिमापूर्ण इतिहास है। वरना श्रीमद्भागवत महापुराण में श्रीकृष्ण इंद्रप्रस्थ के लिए और द्वारिका के लिए विश्वकर्मा जी को आदेश नहीं देते। मुझे उम्मीद है आप समझदार है। मेरी बात को भी समझने का प्रयास करेंगें। सादर धन्यवाद। 🙏🕉🙏
जिस परिवार के रहते घर के प्लॉट मे अगर (आग्नेय दिशा )123 से 147 डिग्री के बिच मे यदि टॉयलेट बाथरूम 9-10 साल अधिक समय से बना हुआ है वो 99% परिवार आर्थिक तंगी, कर्ज से बर्बाद होता है. चाहे कितना भी मेहनत करो. मेरा दावा झूठ लगता है तो आप अपने आसपास के टॉयलेट का वास्तु चेक करके बताओ.🙏
Mere maayke me 25 years se southeast me washroom h ...bhai bhabi mast rehte h ..papa mummy ki itni age me health thik h or ye jindgi h sukh dukh chalta rehta h
महोदय आप सिर्फ़ प्रराब्द की उर्जा के कारण ऐसा कह रहें है ,आपको दूर द्रष्टा नहीं कहा जा सकता, वास्तु शास्त्र प्रमाणिक विज्ञानं है न की अंधविश्वास का ,कलोल कल्पित शरीर पंचमहाभूत तत्तों का संयुक्त रचना है जिसका समुचित समन्वय जीवन के लिए आवश्यक है ..............और इसी का नाम वास्तु है |