भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
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रानी अपने पास कोई संतान ना होने के कारण दुःखी होकर माता लक्ष्मी के सामने अपना दुःख सुनाती है। राजा रत्नाकर विजया को समझाते हैं और माता लक्ष्मी पर विश्वास रखने को कहते हैं। माता लक्ष्मी नारद मुनि को राजा रत्नाकर को नवरात्रि में हवन पूजन करने को कहती हैं नारद मुनि जी उनके पास जाकर उन्हें नवरात्रि में पूजन करने और माता लक्ष्मी की पूजा करने को कहते हैं। दुर्जय राजा रत्नाकर के बालक के लिए तप यज्ञ करने की बात सुन कर हँसता है की माता उस जैसे मेरे अत्याचारों से नहीं बचा पा रही वैसे ही उसे कोई बालक भी नहीं प्राप्त होगा। राजा रत्नाकर अपने घर में हवन पूजन करते हैं और अपने घर में 9 कन्याओं को भोजन कराने के लिए इंतज़ार कर रह थे तो माता स्वयं अपने नौ रूपों में उनके घर प्रकट हो कर राजा रत्नाकर और उनकी पत्नी के पास आती हैं। राजा रत्नाकर उनका आदर सत्कार करते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं। वो सभी कन्याएँ वहाँ से चली जाती है। राजा रत्नाकर और उनकी पत्नी उन्हें रोकने की कोशिश करती है लेकिन वो चली जाती हैं जिस पर राजा रत्नाकर माता से पुनः दर्शन देने के लिए प्रार्थना करते हैं जिस पर माता उन्हें कन्या रूप में दर्शन देकर उन्हें कहती हैं की संतान प्राप्ति के लिए महा यज्ञ करे। राजा रत्नाकर अपने महायज्ञ करते हैं।
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12 окт 2024