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निर्गुण ब्रह्म, सगुण कैसे होता है ,क्या कबीर और तुलसी दोनों सगुण उपासक है? Sagun Bramh Nirgun Bramh 

Shri Paramhans Ashram Rajkot
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18 сен 2024

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Комментарии : 43   
@kalindraseth5981
@kalindraseth5981 Год назад
Ek dum swast 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
@mukeshkhanna9
@mukeshkhanna9 4 месяца назад
Om Shree Satguru Bhagwan ki jai ❤
@debajitborah1643
@debajitborah1643 Год назад
🙏
@AnilSahani-h2w
@AnilSahani-h2w Год назад
Om Om Om guruji kothi kothi naman
@snehlatayadsv894
@snehlatayadsv894 Год назад
Om om om guru ji 🙏🙏🙏🙏🙏
@gavrarampurohit4339
@gavrarampurohit4339 Год назад
गरूदेव नमण अद्भुत तरीका ऐकदम सरल कोई भी समज सकते है नमन है आपकौ गरूदेव
@MasterYourWords108
@MasterYourWords108 8 месяцев назад
JaiShriRam
@ranjeetdas9857
@ranjeetdas9857 Год назад
कबीर तीन देव की जो करते भक्ति उनके कभी ना होवे मुक्ति गुण तीनों का यह विस्तार धर्मदास में कहूं पुकार
@shamdassbhandari7592
@shamdassbhandari7592 Год назад
बहुत ही सुन्दर एवम सटीक व्याख्या । सादर प्रणाम ।
@ussrball9692
@ussrball9692 Год назад
Very nice explanation of sagun and nirgun
@user-bm6lc7yw6y
@user-bm6lc7yw6y 9 дней назад
महाराज जी के चरणों में कोटि कोटि नमन जय सियाराम
@parasrambhagat5338
@parasrambhagat5338 Год назад
Paras rambhaget wah guru ji bhot sunder pravachan bhagetu ki Shanka door ker li Jai Shri ram
@shilpasinghamethi9427
@shilpasinghamethi9427 Год назад
Kabirvaani
@nahtaram
@nahtaram 5 месяцев назад
जय श्री गुरू देव जी भगवान आपको सदैव निवण प्रणाम करता हूं जी ❤🎉❤
@ussrball9692
@ussrball9692 10 дней назад
बहुत सुंदर कथा... Shree charno mein kiti kiti pranaam
@user-es6uy5ho1t
@user-es6uy5ho1t 4 месяца назад
स्वामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपको विस्तार से समझने के लिए आपके चरण स्पर्श करता हूं बहुत बहुत धन्यवाद ऐसे भी लोगों को प्रेरणा देते रहिए ताकि लोगों को समझ में आ सके भक्ति क्या है ज्ञान क्या है बहुत बहुत आभार आपका आपको कोटि कोटि प्रणाम
@ArunSingh-bl1kf
@ArunSingh-bl1kf Год назад
Shree charno me kotisah shastang dandwat pranam maharajji 🌹🌹🙏🙏
@nehalbhagat3031
@nehalbhagat3031 5 месяцев назад
Saadar Pranam Gurudev Maharaj ji 🙏💐
@jeetusoni7482
@jeetusoni7482 Год назад
Parampita Parmatma na Sagun sakar mein hai na nirgun nirakar mein hai vah to ine donon se parai hai sat Saheb ji
@stylishwoolenworld2538
@stylishwoolenworld2538 Год назад
सगुण के बिना निर्गुण को जाना ही नही जा सकता यात्रा तो सगुण से ही करनी पड़ेगी कोई डायरेक्ट निर्गुण को कैसे जान सकता है शुरुआत सगुण से ही करनी पड़ेगी बिल्कुल क से ही शुरुआत करनी पड़ेगी
@bherulalregar-g9l
@bherulalregar-g9l 11 дней назад
जयहोगुरुदेवकोटिकोटिनमन
@VedPrakashTiwari9794-x9o
@VedPrakashTiwari9794-x9o 4 месяца назад
Kya bat hai
@jairamprasad2986
@jairamprasad2986 6 месяцев назад
गुणातीत होना ही ईश्वर प्राति है। ❤❤❤
@ussrball9692
@ussrball9692 11 месяцев назад
Om
@nahtaram
@nahtaram Год назад
जय श्री गुरू देव जी आप के प्रवचनों से आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो जी निराकार साकार रूप में आज तक मैंने ऐसे उपयोग में आपका स्वागत करता हूं जी कृपा करके आप मुझे अपने जीवन भर अंतिम समय तक जय श्री राम जय गुरुदेव भगवान आपको दंडवत कोटि कोटि नमन प्रणाम आपको गुरुदेव भगवान
@shekharweproudmodipandey8446
Om Sri sadguruudev bhagwan ki jai
@jayramsaroj4445
@jayramsaroj4445 Год назад
उपासना कब से शुरू हुई। मन में विचार आया कि जैसे किसी शक्तिशाली व्यक्ति को कुछ उपहार देकर जी हजूरी करके चापलूसी करके अपना काम कराया जा सकता है उसी तरह काल्पनिक सगुण और निर्गुण ब्रह्म की उपासना करके कोई अलौकिक शक्ति प्राप्त किया जा सकता है। उपासना एक तरह की चापलूसी है मन द्वारा बनाए गए भगवान को खुश करने के लिए, जो है ही नही। मन को नियंत्रण में रखना, और शुद्ध विचार रखना, मानव कल्याण बिना भेदभाव के करना मनुष्य का परम उद्देश्य होना चाहिए।
@gheesalalkumhar
@gheesalalkumhar Год назад
महाराज जी सरगुन निर्गुण का छतवान देते रहिए और संत गुरु सद्गुरु कबीर पर निर्गुण ब्रह्म का कलंक लगते और रोजी रोटी आप की दुकान चलाते रहे सदगुरु कबीर कभी भी निर्गुण ब्रह्म की उपासना नहीं की थी आप लोग सदगुरु कबीर को नीचा दिखाने के प्रयास क्या है लेकिन सदगुरु कबीर आप जैसे लोगों से उसकी ख्याति काम नहीं हो सकती है सदगुरु कबीर निर्गुण और स्वर गुण दोनों का विरोध किया है
@realacademy1501
@realacademy1501 3 месяца назад
❤❤❤❤
@rajeshjingar1050
@rajeshjingar1050 Год назад
महाराज कहा मिलेंगे
@ArunSingh-bl1kf
@ArunSingh-bl1kf 6 месяцев назад
श्री परमहंस आश्रम राजकोट गुजरात में विराजते हैं महाराज जी। राम राम 🙏
@jairamprasad2986
@jairamprasad2986 6 месяцев назад
आत्मा की आ़वाज के अनुसार चलना ही उपासना है ।🎉🎉🎉
@mahabirsadhusongeet3131
@mahabirsadhusongeet3131 Год назад
धन्य धन्य महाराज जी आप का प्रवचन बहुत सुंदर है आप एक महा ग्य महा ज्ञानी है मुझे बहुत अच्छा लगा,
@AnandSingh-lh9vq
@AnandSingh-lh9vq Год назад
Om shree sadgurudev bhagwan ki jai
@KrishnaSoni-q5b
@KrishnaSoni-q5b 10 месяцев назад
🕉️🙏🌹🙇🌹🙏🕉️
@jairamprasad2986
@jairamprasad2986 6 месяцев назад
उपासना सगुण की होती है और निर्गुण स्थिति है। 🎉🎉🎉
@jugleprasad9279
@jugleprasad9279 Год назад
अभी का परवचन मेरे आतमा के आंखों के आगे की अंधेरे को दुर कर दिया। ईसलिए मैं आपको चरणों में सत, सत सादर प्रणाम कर रहा हूँ। युगल परसाद। बिहार।।
@jairamprasad2986
@jairamprasad2986 6 месяцев назад
मूर्ति पूजा प्रारम्भिक कक्षा है। 🎉🎉🎉
@MadhulalteliMadhulalteli
@MadhulalteliMadhulalteli 6 месяцев назад
गुरुदेव कहीं कहीं ऐसे रहते हैं कि निर्गुण सरगुन दोनों से न्यारा यह क्या है
@hanumanprasadgarg1570
@hanumanprasadgarg1570 Год назад
Your reference is based on tulasidasji ram charitmanas ,you never refer valmiki he is also writer of original the first ramayan pl donot take in otherwise .
@stylishwoolenworld2538
@stylishwoolenworld2538 Год назад
सगुण के बिना निर्गुण को जाना ही नही जा सकता यात्रा तो सगुण से ही करनी पड़ेगी कोई डायरेक्ट निर्गुण को कैसे जान सकता है शुरुआत सगुण से ही करनी पड़ेगी बिल्कुल क से ही शुरुआत करनी पड़ेगी
@BanshilalmeenaHarmor
@BanshilalmeenaHarmor 4 месяца назад
हां जी सगुण निर्गुण दोनों में ईश्वर खेलता है यानी नर। नारी दोनों में ईश्वर ही है या। ईश्वर ही दोनों है।नर। बिना नारी नहीं है और। नारी बिना नर। भी नहीं होता है इसी प्रकार सगुण बिना निर्गुण नहीं और। निर्गुण बिना सगुण नहीं होता है जैसे। किसी का। पुत्र नहीं होता तो।वो। व्यक्ति पिता कैसे होता है नहीं होता है इसी प्रकार सगुण बिना निर्गुण नहीं और निर्गुण नहीं तो सगुण भी। नहीं होता है इसी प्रकार निराकार बिना आकार। नहीं होता है और आकार बिना निराकार नहीं होता है जैसे छोटा नहीं होता तो बड़ा नहीं होता है और बड़ा नहीं होता तो छोटा। नहीं होता है इसी प्रकार सारा। ज्ञान समझो भ्रम ज्ञान में आना। पड़ता है। वेद ज्ञान से पुरा या। सही ज्ञान नहीं प्राप्त होता है जैसे भजन में साकी। आती है भ्रम ज्ञान है जो ज्ञान है बाकी सब ज्ञानडी ऐसा एक साकी में आता है सबका ज्ञान और सबका नाम।लो।तब। ज्ञानी बनो जैसे एक व्यक्ति एक ही।पुराण।का। ज्ञान जाणे या पढ़ें और एक व्यक्ति अट्ठारह पुराणों को पढ़ें।और।समझे। तो दोनों में एक ज्यादा ज्ञानी तो होगा पहले कवि। तो बहुत है आप तुलसी जी का।ही। ज्ञान में पड़े हो। ज्यादा ज्ञानी बनना चाहते हो।।तो सब कवियों की बात। और नाम होना चाहिए ताकि भगवान भी जानते हैं इस व्यक्ति में। कोई घमंड अहंकार नहीं है और उसको ज्ञान भी।देते। है घमंड और। अहंकार वाला व्यक्ति कभी। ज्ञानी नहीं होता है उसको। भगवान ज्ञानी नहीं मानते हैं चाहे वह कितना ज्ञानी केम।न।हो।उसको। ज्ञानी नहीं माना। जाता है क्योंकि अमृत के। अन्दर थोड़ा जहर मिला दें। तो वह अमृत नहीं काम आता।है। जैसे रावण बहुत ज्ञानी था। उसमें सच्चाई थी लेकिन सच्चाई के। अन्दर झूठ।मिला।दी।तो।उसकी सच्चाई बिगड़ी।के। नहीं बिगड़ी इसी। प्रकार कोई व्यक्ति की। बात की।कितनी। भी सच्चाई केम।न।हो। सच्चाई के। अन्दर थोड़ी झूठ।मिला।दे। तो उसकी। सच्चाई। नहीं काम। आवे हैं तुलसी ने सच्चाई के। अन्दर झूठ मिला दी। है अतः उनका। ज्ञान सब। झूठा।हो। गया है तुलसी घमंड और। अहंकार में फंस गए क्योंकि वे बराबर ज्ञानी नहीं हुए।थे अतः वे घमंड और अहंकार में फंस गए इसी। प्रकार बड़ी जाति के।लोग।भी। घमंड और अहंकार में फंसे।हुए।है।इनको। नहीं पता है घमंड और अहंकार क्या है इनका।उपयोग करने से क्या लाभ है और क्या हानि है ये किस का।गुण।है। राम का।है।या।रावण का। है गुण।है।ये।इन। लोगों को पता नहीं है अतः ये घमंड और। अहंकार से भरे हुए हैं।626
@BanshilalmeenaHarmor
@BanshilalmeenaHarmor 4 месяца назад
निर्गुण और सगुण में अन्तर इतना है सही बात सुनो। अन्तर सारी। बात छोड़ तत् और सत् में अन्तर है यानी सत् पिता है और तत् पुत्र हैं इसी प्रकार सगुण पिता है जो। पिता का गुण है दो। भागों में है पिता अगर निर्गुण रहें तो परिवार न।मानें। अतः पिता को तमो गुण।रहना पड़ता है।तमो गुण यानी परिवार में कोई सदस्य सच्चाई पर न चल।कर। कोई ग़लत रास्ते पर चलें तब। पिता थोड़ा गुस्से से समझाएं फिर भी नहीं माने। तो पिता कर्म के। हिसाब से दण्ड भी।देते।है। इसी गुण को।तमो गुण के नाम से जाने।जाते।है। इसी गुण को ही सगुण। भी कहते हैं और निर्गुण का। दुसरा नाम। निर्मल और निर्बल भी कहते हैं निर्गुण या। निर्मल गुण वहीं होता है जो पुत्र पिता के।सामने या किसी के। सामने न।बोले। और सबसे छोटा होकर रह।सकें। वही निर्गुण कहलाता है 626😊
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