धनिष्ठा नक्षत्र के आधे भाग, शतभिषा, पूर्वभाद्रपद, उत्तरभाद्रपद और रेवती ये साढ़े चार नक्षत्र पंचक कहलाते हैं। पंचकों में चंद्रमा कुम्भ और मीन राशि में रहते है।
जन मानस में पंचकों को लेकर बहुत भय रहता है। वे लोग कैलेंडर में पंचक लिखा देख कर कोई भी काम नहीं करने का मन वना लेते हैं। वास्तव में यह उनका भ्रम है। पंचक का अर्थ होता है पांच गुना करने वाला योग। अतः केवल ऐसे कार्य जो हम वार वार नहीं चाहते वह कार्य पंचकों में नहीं करना चाहिए। लेकिन ऐसे शुभ कार्य जो हम स्वयं के लिए वार वार होना चाहेंगे बे सब शुभ कार्य पंचकों में शुभ होत्र हैं।
खटिया या पलंग के पहली वार उपयोग, दक्षिण दिशा की यात्रा, दाह संस्कार, छत डालना इत्यादि कार्य पंचकों में नहीं किये जाते हैं।
विवाह, व्यापार, वाहन क्रय, मित्रता, अनुबंध, यात्रा दक्षिण को छोड़कर इत्यादि कार्य पंचकों के कुछ नक्षत्रों में शुभ होते हैं।
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9 янв 2019