बचपन में एक कहानी पढ़ी थी "दो मैं खाऊंगा"। पंडित पंडितइन दो रोटी के चक्कर में कई दिन घर में रूठ कर लेट गए थे।फिर तो आगे दो मैं खाऊंगा सुनकर गांव वाले भाग गए कि भूत हो गए हैं।आखिर में शायद किसी समझदार गांव वाले ने जगाकर देखा तो माजरा समझ में आया और दोनों उठे।
पुरानी कहानियां ही सही थी जो कोई दीदी तो कोई नानी दादी नाना सुनाते रहे, एमपी के बालाघाट जिले के कटंगी तहसील के कामठी गांव पोस्ट देवरी में हम जब छिंदवाड़ा पांढुरना से ३माह की छुट्टियों में जाते तो हमारी एक दीदी जिनका नाम पाचनबाई है वो बहुत सुनाती थी कहानियां,वो भी क्या दिन रहे अब वो अपने ससुराल हम अपने,१९८०से८५ तक।
देखिए ये पंडित का कमाल बहुजन होता तो खूब कुटाई करता पर पंडित की बुद्धि विवेक देखिए मार पीट नही किया की इज्जत खराब हो जायेगी लेकिन लालच पूड़ी की देखिए तभी हम से ज्यादा सहन शील है