वाह प्रभु! ऐसा ज्ञान तो आज तक किसी ने नहीं दिया । पूरी दुनिया के संत छान लिए, ग्रंथ सारे धर्मों के छान लिए, मन को तृप्ति नहीं मिली । लेकिन आज आपने मेरी सारी दुविधा दूर कर दी। आनंद ही आ गया। आपको मेरा कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏
Bhai 1 doubt hai aap iska jawab de do to shanka door ho jayegi jab jeev atma sharir chhodegi to kya hoga, Mene Nitindas ke satsang sune par me confuse hu 1) atma surat me sama jayegi 2) atma dasve dwar me chali jayegi 3) atma shabd me sama jayegi 4) atma kahi nahi jayegi atma achal hai, jeev chorasi me jayega 5) atma parmatma me sama jayegi
Bhai 1 doubt hai aap iska jawab de do to shanka door ho jayegi jab jeev atma sharir chhodegi to kya hoga, Mene Nitindas ke satsang sune par me confuse hu 1) atma surat me sama jayegi 2) atma dasve dwar me chali jayegi 3) atma shabd me sama jayegi 4) atma kahi nahi jayegi atma achal hai, jeev chorasi me jayega 5) atma parmatma me sama jayegi
हे भटकती हुई आत्मा जहां पर HONEY होता है वहां पर सारी की सारी मधु मक्खियों का इकट्ठा होना शुरू हो जाता है हे मुक्ति देने वाले दाता जरा सोच समझ कर ही किसी दूसरे संतो के बारे में कहा करो, आप को तो पता ही नहीं चलता कि मैं क्या कह रहा हूं आप की तो जोड़ी रामपाल जी के साथ मेल खाती है आप के विचार और रामपाल साहब जी के विचार आपस मैं ही मेल खाते हैं मुक्ति देने वाले दाता को कोटि कोटि प्रणाम जरा सोच समझ कर ही कहा करो
संत रामपाल जी महाराज जी की नकल करता है नितिन ज्यादा आगे कुछ नहीं जानता है यह पांच नाम खर्चा देना होता है परमेश्वर कबीर साहब ने कहा है तीनों देवकमल डाल बसे ब्रह्मा विष्णु महेश पहले इनकी कर वंदना फिर सुन सतगुरु उपदेश नितिन दास रामपाल जी भगवान जी के चरण पकड़ लो कल्याण हो जाएगा खुद बका हुआ भोली पब्लिक को बेकार रहा है सत साहिब जी जय हो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी के
सबसे दुर्लभ कवन सरीरा। सबसे दुर्लभ तो प्राण आत्मा है।विना आत्मा के सरीर में ज्ञान कहाँ। सब दुकान खोल कर बैठे हैं।ज्ञान बेच रहे हैं। जरूरत तो परमात्मा की है। परमात्मा नहीं तो जीवन शून्य।
कोई कहे भगवान है, कोई कहे कबीर है। जाकी जैसी पक जाए, सब मतलब वली खीर है। . गुरु तू ही गोविंद तू ही नानक सिरजनहार। . कलियुग कल्कि तरण आया निष्कलंक अवतार।
कबीर साहेब जी ने कहा ये ना देश तुम्हारा साधौ ये ना देश तुम्हारा । तुम तो अमर लोक के वासी तीन लोक से न्यारा। याधि ब्याधि उपाधि एक न बिना दीप उजियारा। तप कर हमें निरंजन लाये झझरी दीप मझारा। एकहि बिन्दु सिन्धु बन बैठा भंवर का जाल पसारा। शुभ और अशुभ कर्म फल बांधे लै चौरासी डाला।
जब हथ सतगुर मस्तिष्क धरियौ मन मंदिर मे दीपक जलियो , मै सुखी हूं सुख पाया गुरू अंन्तर शब्द वसाया, सतगुरु पुरख दिखालिया मस्तिष्क धरके हथ जीउ । इससे सिद्ध होता है कि पूण॔ गुरू ज्यादा बाते नही करता , वो मस्तिष्क पर हाथ रखकर प्रकाश रूप परमात्मा के दर्शन करवाता है अगर गुरू पारस है तो लोहा टच होते ही सोना बनेगा ये नही कहेगा कल आना परसो नरसो आना , मुआफ करना आगे बैठने वालो से पूछा जा रहा है कि छह महीने से कौन कौन सत्संग सुन रहा है , क्या कोई अपनी आयु के बारे में जान सकता है कि अगला स्वांस आयेगा या नही ? हमे विश्वास है गर्व है हमारे सतगुरु सर्व श्री आशुतोष जी महाराज जी के ऊपर जो दीक्षा देते वक्त ही ईश्वर के दर्शन करवा देते है जो कि शास्त्र सम्मत है ।
सतपुरुष के गुप्त नाम को वर्तमान युग के सच्चे संत द्वारा प्रकट किया जाता है,कबीर ने साहब नाम जगाया,शिवदयाल ने राधास्वामी नाम जगाया,नानक ने वाहे गुरू जगाया और वर्तमान मे कलयुग के युग प्रवर्तक परम संत बाबा जयगुरूदेव जी ने जयगुरूदेव नाम जगाया।