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लक्ष्मण और परशुराम संवाद : जब प्रभु श्रीराम भगवान शिव का धनुष तोड़ देते हैं तो इसकी सूचना परशुरामजी को मिलती है और वे क्रोधित होते हुए जनक की सभा में आ धमकते हैं। वहां जब वे राम को भला बुरा कहने लगते हैं तब लक्ष्मण से रहा नहीं जाता और फिर वे परशुराम का मजाक उड़ाते हुए उन्हें कटु वचनों में शिक्षा देने लगते हैं।
राम लक्ष्मण परशुराम संवाद का भावार्थ- हे नाथ शिव जी के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई एक दास ही होगा। आप आज्ञा दीजिए की आप किस प्रयोजन से यहां आए हैं। क्रोधी मुनि यह सुनकर और अधिक क्रोधित होते हुए बोले सेवक वही होता है जो सेवा का कार्य करता है। शत्रुता के कार्य करने वाले के साथ तो लड़ाई ही करनी चाहिए।
8 окт 2024