जवानों ने जान बुझकर ग्रामीणों को नहीं मारा। पर सरकार को ऐसी स्थिति में परिवार को कुछ मुआवजा देना चाहिए। छोटे बच्चों का भविष्य तो कम से कम खराब नही होगा।
@@uditraj8290 अपनी मूर्खता का अच्छा प्रमाण दिया है आपने, टैक्स इनके लिए भरते हो ?? शासन का बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है घर स्कूल शिक्षा अस्पताल सड़क पानी कुछ भी नहीं है, टैक्स जमा करने से पहले पता कीजिए की इसका उपयोग कन्हा हो रहा है।।
अनजान में ही सही लेकिन बहुत बड़ी दुःख की बात है कि चार ग्रामीणों की घर उजड़ गई, उनके लिए दर्दनाक एवं पीड़ा दायक घटना रही है। हम दर्शक के लिए तो एक न्यूज हैं। जिसके ऊपर बित्ती है वही समझ सकते हैं। आपके ग्राउंड रिपोर्ट को सलाम है।
विकास सर मेरा आपको प्रणम जो पूरी सच्चाई बाताने के लिए , सरकार से मेरा सवाल है कब तक आदिवासीयों को नक्सली बना कर मिरेगा , क्या आदिवासी होना पाप है या बस्तर में आदिवासियों का जन्म होना पाप है , जय सेवा जय जोहार
@@abhinavkumar9802 आप क्या कहना चाहते है समझ नही आया। सरकार मुआवजा देगी, वास्तव में जो ग्रामीण मरे उनकी गिनती नक्ससलियों में नही करेगी तभी तो लगेगा कि सरकार ने गांव वालो के प्रति संवेदना व्यक्त की है, ऐसे ही तो लोगो को सरकार के प्रति विश्वास् होगा, और क्या उपाय बताएं
सार्वजनिक इसलिए नहीं करते क्युकी.... मानव अधिकार वाले नहीं छोड़ेंगे....!! ये बात भी सही है कि अगर कोई जवान देश सुरक्षा मे लगे हुए हैं, और अगर उनसे गलती से कोई सिविलियन या निर्दोष मारे जाते हैं, और गलती उजागर करते है तो मानव अधिकार वाले तंग करते हैं... जवानों को दोनों तरफ से नुकसान हैं....
Bina pahchan ke kaise uska rank likh diye our inam bhi likh diya . Ye clearly dikh raha hai encounter me mare gaye kuchh log naxali nahi hai . Salam hai apki patrakari par ❤
ग्राउंड जीरो से वास्तविक रिपोर्टिंग करना ही एक पत्रकार की नैतिक जिम्मेदारी है जो आपके द्वारा की जा रही है जिसके लिए आपको बधाई हमारी तरह समाज आदिवासी भी एक अभिन्न अंग है जिन्हें मूलभूत अधिकार प्राप्त है जिसका हनन होना शासन की उदासीनता है फोर्स के द्वारा नक्सल ऑपरेशन में मारे गए ग्रामीणों के परिवारों के भरण पोषण की जिम्मेदारी शासन को लेनी चाहिए
मैं आपकी पत्रकारिता से बहोत प्रभावित हुआ....पुरी सच्चाई दिखाई ओर नक्सल पुलिस के दोनो पैलुओं को दिखाया ओर गरीब आदिवासी की इन मे क्या समस्या है वो भी अच्छी तरीके से समझाया..बहोत खूब धन्यवाद बहोत बढिया काम किया अपने जय हिंद
बहुत सुंदर और रचनात्मक तरीके से अपने सत्यता को प्रकाशित करने का प्रयास किया तिवारी जी वास्तव में आप पत्रकारिता के मापदंड पर पूरे खरे उतरे हैं । वास्तव में गांव वाले उस घुन की तरह हैं जो गेहूं के साथ पीस रहे हैं।
एक सच्चे पत्रकार हों आप sir.. नमन है आपके पत्रकारिता को मेरा... मेरा एक प्रश्न है.. Sir. की जो 2 लाख 5 लाख की इनाम होती है ... Kya पुलिस को उसका पइसा मिलता है... या शामिल जवानो को इनाम का पइसा मिलता है????? कृपया जवाब दे
बस्तर में नक्सल प्रभावित इलाके में ग्रामीण पुलिस और नक्सली के बीच में गंभीर रूप से फंस चुके है, बहुत ही दुखद है। बस्तर जल रहा है इस संकट की स्थिति में, बस्तर की कला संस्कृति, त्योहार(पंडुम) घोर संकट में है। आप ने वीडियो में जो जो बात कही 100% सही है सर🙏
ऐसी स्थिति में जो गांव वाले होते है उनको खुले आम भागना नहीं चाहिए बल्कि कही आड़ में या गड्ढे में छिप जाना चाहिए। तथा फोर्स को आवाज दे हम ग्रामीण है ।पुलिस के सामने भागने पर वो भी नक्सली समझ लेते है
और बेकसूर ग्रामीण मारे गये उनका क्या उनको सरकार मुवाजा देगा क्या , फोर्स् शाहिद होंगे तो सरकार शाहिद परिवार को मुवाजा तो देंगे ही और बेकसूर ग्रामीण को कौन देगा , @@deepakparmar8945
विचारधारा की लड़ाई और वन एवं खनिज संसाधन पर कब्जा के मध्य जूझते गरीब और निर्दोष वनवासी भाई बहन। वामपंथ को अपनी लड़ाई बंद करके लोकतांत्रिक और अहिंसातमक तरीके से संघर्ष करनी चाहिए।
शानदार रिपोर्टिंग कभी नक्सली वित्तपोषण कहां से होता है इसके ऊपर भी रिपोटिन क रे बाकि गेहूं के साथ घुण भी पिसता है आशा करता हूँ जल्द ही इन इलाको में शांति स्थापित होगी ग्रामीण शांति से अपना जीवन व्यतीत करेंगे ग्रामीणो से ज्यादा सुरक्षावलो को परेशानी होती है अनजान इलाके ऊपर से जंगल गर्मी खाने पीने की कोई व्यवस्था नही
नक्सली ग्रामीणों को पहले ही धमका चुके हैं की प्रेस वालों को क्या कहना है। और जो नक्सली होंगे वो किसी न किसी गांव का व्यक्ति तो होगा ही। और सोचने वाली बात ये है कि मुठभेड़ वाली जगह में जब मुठभेड़ हो रहा होता है तो ग्रामीण वहा क्या करने जाते हैं।
उस परिस्थिति में गलतियां हो जाती है जनता की संवेदनाएं जवानों के साथ है आगे भी रहेगी, जनता उन्हे माफ कर देती, मृतक ग्रामीणों को मावोवादी घोषित नही करना चाहिए था, और जल्दी से शव को पोस्ट मार्टम के पश्चात परिवार जनों को सुपुर्द कर उचित मुवायजे की घोषणा करना चाहिए था।
Thank you very much for this Ground Zero Reporting, the tribals our nationals of this country and the Government should immediately come with a solution to resolve thier issues /rights etc. This also highlights the sorry state of the administration and the law enforcement agencies, we the people of this great nation want justice to be served to the defaulters here.
जवानों की हिम्मत और जज्बे को सलाम निर्दोष लोग मरे उनके लिए सात्वाना ही दे सकते है सभी गांव वाले भी निर्दोष नही हो सकते हैं कुछ लोग गांव में अलग नाम से और संगठन में अलग नाम से रहते होंगे
Bhai sahab aap kahna kya chah rahe h ,santvana se kya hoga , matlab ki kuchh gramin the yah nhi kahenge ,unhe naxal hi kahege ,yahan tak ki muvaje ki bhi bat nhi karenge
पांडे जी, जमीन ,जंगल ,पानी यह संपत्ति पर पूरा हमारा आदिवासियों का अधिकार है,, उपनिवेशक ब्राह्मण पारसी ठाकुर बिजनेसमैन हर जाति धर्म के लोग हमारी आदिवासियों की जमीन हड़प्पा रहे हैं तो हम क्या प्रतिकार ना करें, आदिवासियों का विकास के नाम पर जंगल का विनाश हम आंखों से नहीं देख सकते, नक्सलवादी बनना मनोरंजन की बात नहीं है, अन्याय के खिलाफ लड़ने का जज्बा होना चाहिए वही लड़ सकता है समाज के लिए पुलिस जवान तो पैसे के लिए हमारी जमीन हड़पने लोगों के रक्षा के लिए लाड रहा है यह भी बात सही है
नक्सलवाद धंधा नहीं है आदिवासियों के जल जंगल पानी यह संपत्ति ब्राह्मण पारसी ठाकुर और हर जाति धर्म के लोग हमारी जमीन हड़प रहे हैं तो हम प्रतिकार ना करें बता दें , ब्राह्मणवाद सिस्टम हमारे जमीन में ही हमको गुलाम कर रहा है तो हम क्या बर्दाश्त करेंगे, नक्सलवादी बना कोई मनोरंजन का खेल नहीं है, पुलिस जवान बिजनेसमैन लोगों के लिए लड़ रहे तो नक्सलवादी आदिवासीके हक अधिकार के लिए लड़ रहे तो इसमें न्याय किसके पक्ष में जाएगा बता दे
सरकार से मेरा सवाल है । आदिवासी कब तक खत्म हो जाएंगे ? आदिवासी जंगलों में रहते है उन्हे जंगलों में रहने दिया जाए। आदिवासी दूसरे जगह या दूसरे राज्य में जाकर संपत्ति अधिग्रहण नही करता बल्कि बाहरी व्यक्ति या बाहरी राज्य के व्यक्तियों द्वारा आदिवासियों के क्षेत्र उनके जमीनों पर अतिक्रमण किया jata है। आदिवासियों को उनके मूल जगह पे सुरक्षित करे सरकार या अपने आप पर शर्म करे । आदिवासियों को शांति aur शुकून से जीने दो।
प्रणाम विकास भईया🙏 पहले तो ❤ से आपको सलाम, टेकामेटा की ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग के लिए।। और गांव के खत्म हुए लोगो के लिए संवेदना😢, और पुलिस की कामयाबी के लिए बधाईयां।। आज ग्राउंड जीरो की रिपोर्टिंग देख ऐसा लगा जैसे टेकामेटा कितना सुंदर गांव है जहा पे रहने वाले लोग, एक तरफ कुंआ और दूसरी तरफ खाई वाली स्थिती में रह रहे है।। इनका जीवन कितना संघर्ष भरा है।। इस रिपोर्टिंग के लिए दिल से धन्यवाद विकास भईया❤❤
जब नक्सली और फोर्स के बीच फायरिंग चल रही थी, तो इन ग्रामीण लोगो को भागना नहीं चाहिए था, सब एक साथ रहते किसी जगह पर,। अलग अलग भगेंगे तो फोर्स को थोड़ी पता है ग्रामीण लोग हैं कर के, वो तो नक्सली ही समझेंगे ना।
Jawano ko to hamesha salam Lekin unko galat karne ka adhikar kisi ne nahi Diya hai . Agar aam adivasi maare gaye hai to unko maoist kyu announce Kiya .
Aam aadmi ko maar kar 8 lakh ka inami bata Diya gaya Ab uska hisab kaun dega Nirbhya ko poora bharat mil kar awaz diya tab jake 10 saalo me insaf hua . In gareebo ka case to koi ldega nhi .
बहुत दुःखद हुआ I मुझे शर्म आती है ऐसे विकास पर I उससे भी ज्यादा शर्मनाक है आदिवासियो के नेताओं की करतूत पर ,जो उनके विकास के नाम पर जीत कर अपना घर भरते है I कैसे कहूं की ये हमारे सपनों का भारत है ...?
तथ्य यह है कि वे नक्सली इस उत्सव में भाग ले रहे थे. हमें याद रखना चाहिए कि नक्सली इन्हीं गांवों के हैं और वे ग्रामीणों के बीच रहते हैं। उन्हें अपना भोजन और आश्रय इन्हीं गांवों से मिलता है