राग मल्हार (१) बूंदन झर लायो आंगन जहां करत कलेऊ दोऊ भैया ॥ भवनमें आवो लाल संग सब लाओ बाल कहत यशोदा मैया ॥ १ ॥ भीजेगो बसन तन खेलवेको सब दिन मेरो को मान लालन हों बलैया ॥ परमानंद प्रभु जननी कहत बात प्यावत मथ मथ दूधकी घैया ॥ २ ॥
तिहारो दरस मोहे भावे श्री यमुना जी । श्री गोकुल के निकट बहत हो, लहरन की छवि आवे ॥१॥ सुख देनी दुख हरणी श्री यमुना जी, जो जन प्रात उठ न्हावे । मदन मोहन जू की खरी प्यारी, पटरानी जू कहावें ॥२॥ वृन्दावन में रास रच्यो हे, मोहन मुरली बजावे । सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को, वेद विमल जस गावें ॥३॥
राग मल्हार (३) करत कलेऊ मदनगोपाल || बहु बिध पाक थार मध्य राखे लेहु मनोहर लाल ॥१ ॥ जो भावे सो लेहु मेरे मोहन माधुरी मधुर रसाल ॥ परमानंद प्रभु बेग लेहो किन चहुँदिश घटा उमड रही लाल ॥ २ ॥