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पुष्टिमार्ग वर्षाऋतू के पद,Raag: Malhar (Pushtimarg Varsha Ritu ke kirtan) 

Shriji_Rashik
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23 сен 2024

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Комментарии : 11   
@rajshreeranibhatt4178
@rajshreeranibhatt4178 Год назад
Jai ho
@ketanpatel1511
@ketanpatel1511 Год назад
राग मल्हार (१) बूंदन झर लायो आंगन जहां करत कलेऊ दोऊ भैया ॥ भवनमें आवो लाल संग सब लाओ बाल कहत यशोदा मैया ॥ १ ॥ भीजेगो बसन तन खेलवेको सब दिन मेरो को मान लालन हों बलैया ॥ परमानंद प्रभु जननी कहत बात प्यावत मथ मथ दूधकी घैया ॥ २ ॥
@sheelumohta
@sheelumohta 2 месяца назад
जय श्रीकृष्ण 🙏
@ketanpatel1511
@ketanpatel1511 Год назад
🙏🙏 જય શ્રી કૃષ્ણ 🙏 🙏
@Prafuljvora
@Prafuljvora Год назад
जय श्री यमुनाजी
@ketanpatel1511
@ketanpatel1511 Год назад
तिहारो दरस मोहे भावे श्री यमुना जी । श्री गोकुल के निकट बहत हो, लहरन की छवि आवे ॥१॥ सुख देनी दुख हरणी श्री यमुना जी, जो जन प्रात उठ न्हावे । मदन मोहन जू की खरी प्यारी, पटरानी जू कहावें ॥२॥ वृन्दावन में रास रच्यो हे, मोहन मुरली बजावे । सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को, वेद विमल जस गावें ॥३॥
@ketanpatel1511
@ketanpatel1511 Год назад
राग मल्हार (३) करत कलेऊ मदनगोपाल || बहु बिध पाक थार मध्य राखे लेहु मनोहर लाल ॥१ ॥ जो भावे सो लेहु मेरे मोहन माधुरी मधुर रसाल ॥ परमानंद प्रभु बेग लेहो किन चहुँदिश घटा उमड रही लाल ॥ २ ॥
@bindooparikh2105
@bindooparikh2105 2 месяца назад
Ati sundar🙏
@ketanpatel1511
@ketanpatel1511 Год назад
मंगल मंगलम्‌ ब्रज भुवि मंगलं। मंगल मिह श्री नंद यशोदा नाम सुकीर्तन मेंतद्रुचिरोत्संगसुंलालित पालित रूपं॥१॥ श्री श्री कृष्ण इति श्रुतिसारं नाम स्वार्त जनाशय तापापहमिति मंगलरावं। ...ब्रजसुंदरीवयस्य सुरभीवृंद मृगीगण निरूपम्‌ भावाः मंगल सिंधुचया य॥२॥ मंगलमीषत्स्मितयुमीक्षण भाषणमुन्नत नासापुट्गत मुक्ताफल चलनं । कोमल चलदंगुलिदल संगत वेणुनिनाद विमोहित वृंदावन भुवि जाताः॥३॥ मंगल मखिलं गोपीशितुरिति मंथरगति विभ्रम मोहित रासस्थितगानं । त्वं जय सततं श्रीगोवर्धनधर पालय निजदासान्‌॥४॥
@rajuladesai2643
@rajuladesai2643 Год назад
Ati sundar
@ketanpatel1511
@ketanpatel1511 Год назад
राग मल्हार (२) आंगन उजारे बैठ करो हो कलेऊ लाल भवन अंधेरो हे कहें मैया ॥ घुमडी घन घटा आई चहुंदिश तें छाई हंसत खरे दोऊ भैया ॥ १ ॥ माखन मिश्री ओर ओट्यो पय प्यावत मथ मथ दूधको घैया ॥ एसो सुख देख नंददास प्रभुकी पुन पुन लेत बलैया ॥ २ ॥
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