बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी इस प्रवचन में आप ने बहुत ही अच्छे ढंग से 5 द्रव्य पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश के गुण वैशेषिक दर्शन की दृष्टि से और उनका 5 तत्व (पंच महाभूत) पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश से क्या भेद है बताया है। और यह भी स्पष्ट समझ आता है कि भौतिकी विज्ञान की दृष्टि से जहां सांख्य दर्शन खत्म होता है *5 तत्वों* पर, वैशेषिक दर्शन उसके बाद इन *5 द्रव्य* से शुरू हुआ हैं। Infact the modern physics does not even touch the 5 last elements mentioned in Sankhya Darshan at all. It starts with 5elements as mentioned in Vaisheshik Darshan🙂 ऋषियों को नमन , उनकी दृष्टि से ब्रह्मांड देखने के लिए और प्रयास करना होगा तभी इसके गूढ़तम रहस्य समझ आयेंगे।🙏🏼
_मांसभक्षण-प्रसंग में आठ प्रकार के पापियों की गणना―_ *अनुमन्ता विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी।* *संस्कर्ता चोपहर्ता च खादकश्चेति घातकाः॥५१॥* *अनुमन्ता* = किसी भी प्राणी को मारने की अनुमति या आज्ञा देने वाला *विशसिता* = मांस को काटने वाला *निहन्ता* = पशु-पक्षी आदि को मारने वाला *क्रय-विक्रयी* = मारने के लिए पशुओं को मोल लेने वाला और बेचने वाला तथा मांस को खरीदने एवं बेचने वाला *संस्कर्ता* = पकाने वाला *उपहर्ता* = परोसने वाला *च* = और *खादकः* = खाने वाला *इति घातकाः* = ये सब हत्यारे और पापी हैं अर्थात् हत्या में भागीदार होने से पापी हैं॥५१॥ _= ऋषि अर्थ_-"अनुमति मारने की आज्ञा देने, मांस के काटने, पशु आदि के मारने, उनको मारने के लिए और बेचने, मांस के पकाने, परोसने और खाने वाले, आठ मनुष्य घातक हिंसक अर्थात् ये सब पापकारी हैं"। (द० ल० गोकरुणा० ४११) _अनुशीलन_-सभी अधर्मों में आठ पापी-जैसे हिंसा के पाप में आठ प्रकार के पापी होते हैं उसी प्रकार अन्य अधर्म के कार्यों में भी ये सब पापी होते हैं, और सभी को उसका फल मिलता है। विशुद्ध मनुस्मृति | डॉ. सुरेन्द्र कुमार : www.vedrishi.com/book/56/vishuddh-manusmriti *विशुद्ध मनुस्मृति (सत्यार्थ प्रकाश)* satyarthprakashh.blogspot.com/2020/10/blog-post.html