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प्रलय में क्या होता है? संसार बनने से पहले ब्रह्मांड कैसा था?  

Prahari
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इयं विसृष्टिर्यत आबभूव यदि वा दधे यदि वा न ।
यो अस्याध्यक्षः परमे व्योमन्त्सो अङ्ग वेद यदि वा न वेद ॥ ऋग्वेद १०/१२९/७
तम आसीत्तमसा गूळ्हमग्रेऽप्रकेतं सलिलं सर्वमा इदम् ।
तुच्छ्येनाभ्वपिहितं यदासीत्तपसस्तन्महिनाजायतैकम्।। ऋग्वेद १०/१२९/३
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30 апр 2023

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Комментарии : 28   
@ushamalik6229
@ushamalik6229 5 месяцев назад
हार्दिक धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩 कृण्वनतो ‌विश्वमार्यम । जय आर्य जय आर्यव्रत भरतखण्ड । वन्देमातरम् वन्देमातरम् वन्देमातरम्.....🇮🇳
@mansinghsharma8731
@mansinghsharma8731 4 месяца назад
बहुत सार्थक प्रयास किया गया है विषय की व्याख्या करते हुए सूत्रों के शब्दो के अर्थ को समझने का।सादर नमन आचार्य जी।
@kiranchauhan2489
@kiranchauhan2489 2 месяца назад
Sunder shrishti vyakhya🙏
@neerukapoor5744
@neerukapoor5744 8 месяцев назад
Variety
@udesinhroz1005
@udesinhroz1005 4 месяца назад
ACHARY JI.. * NIJANAND SAMPRADAY = Shri Krishna Pranami Dharm..ka GRANTH Shri Kuljam swarup Saheb & Shri Vitak saheb..the History of Nijanand Sampraday..padhna sab keliye bahut jaruri he... Kisiko koi Sanshay nahi Rahega..Har Bhasha me Uplabdh he......pranamji Pranamji Pranamji.. *
@thegamersgaming600
@thegamersgaming600 Год назад
ओउम् सम
@jitendrakushwaha8996
@jitendrakushwaha8996 5 месяцев назад
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🙏
@krishna-xi5gr
@krishna-xi5gr Год назад
आचार्य जी मेरा वेदो और आर्ष ग्रन्थों पर एक मुकदमा है कि इन्होने(वेदो और आर्ष ग्रन्थों के बनाने वाले बुद्धिमान पुरुषो ने ) साजिस करके वेदो को ईश्वरीय घोषित किया है वेदो ने अन्तःसाक्ष्य से बताया कि मुझे किसी मनुष्य ने न बनाकर ईश्वर ने बनाया और आर्ष ग्रन्थों के रचयिता बुद्धिमान पुरुषों ने इस साजिस में वेदो के बनाने वाले का साथ दिया हों अब वेदो और आर्ष ग्रन्थों के बिना अन्तःसाक्ष्य के बिना ये कैसे सिद्ध हो कि वेद ईश्वरीय हैं ना कि किसी बुद्धिमान पुरुष की रचना. मैं अभी इस स्थिति में हुं कि एक कडी यह है कि जगत में एक बुद्धिमान सत्ता हैं और दुसरी कडी में वेद-आर्ष ग्रथ-रिषी दयानंद के ग्रथ - मानवता - धर्म आदि हैं अब समस्या यह हैं कि ये दोनो कडिया बुद्धिमान सत्ता और (वेद आर्ष ग्रथं धर्म मानवता) जुड नही रही हैं कुल मिलाकर सार यह हैं कि वेद ईश्वरीय है इसपर विश्वास तो हैं लेकिन अंतिम रुप से होने वाला दृढ विश्वास नही है कृपया मार्गदर्शन करें
@RameshKumarJigyasu
@RameshKumarJigyasu Год назад
बिना प्रत्यक्ष के अनुभान शब्द प्रमाण आदि दृढ नही होते इनके एक हिस्से को प्रत्यक्ष करना आवश्यक है
@kiranchauhan2489
@kiranchauhan2489 2 месяца назад
Biodiversity 🙏
@bachanoraon723
@bachanoraon723 3 месяца назад
सादर नमस्ते आचार्य जी
@chandrakanta1470
@chandrakanta1470 Год назад
🙏🏻🙏🏻
@PrabhakarSharma-qg4ov
@PrabhakarSharma-qg4ov Год назад
🚩🕉️🌞🕉️🚩🙏🙏🙏🚀
@mnpcontent5073
@mnpcontent5073 Год назад
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👍👍👏👏👏
@mdali-un1vm
@mdali-un1vm Год назад
😀❤️😭🙏👍👑💕🌟
@mahadevbhaipatel6587
@mahadevbhaipatel6587 2 месяца назад
ઈશ્વર તત્વ શુ હતુ એનો અર્થ એ થયો કે ક ઇક તૉ હતુજ.
@seemagupta2558
@seemagupta2558 9 месяцев назад
Namaste bhai
@samaysingh6097
@samaysingh6097 Год назад
Samaysinghbhoj
@sukantadas3889
@sukantadas3889 Год назад
Namaste ji
@officialshraddha7641
@officialshraddha7641 Год назад
Namaste acharyji
@yagyabhushansharma1008
@yagyabhushansharma1008 Год назад
इस प्रकरण में कृष्णा जी का एक प्रश्न या जिज्ञासा बड़ी सुंदर है और मेरे विचार से इसका तर्कसम्मत उत्तर यह भी हो सकता है कि इस सम्पूर्ण सृष्टि के निर्माण एवम् संचालन संबंधी ज्ञान केवल उस व्यक्ति को हो सकता है जिसके पास अनंत ज्ञान,अनंत शक्ति और अनंत समय का कोष हो,जो सामान्य व्यक्ति के लिए संभव ही नहीं है तब वेदों को ईश्वरीय ज्ञान कैसे कह सकते हैं,इसका सरल उत्तर है योग साधना के अंतिम सोपान समाधि की अवस्था में ऋषियों द्वारा श्रृष्टि के कारण का प्रत्यक्ष करना। वेद शब्द ही विद धातु से बना है,जिसका अर्थ है जानना या ज्ञान । प्रत्येक वेदकर्ता ऋषि द्वारा अपने किसी भौतिक निरीक्षण के साथ साथ ही योग बल से समाधि की अवस्था में जिस सत्य का साक्षात्कार किया बह लिखित रूप में वेद कहलाया। क्योंकि ऋषियों में कोई कामना,लिप्सा,स्वार्थ नहीं था इसलिए उनके ज्ञान और अभिव्यक्ति को हम ईश्वरीय ज्ञान कहते है। ईश्वरीय ज्ञान की सबसे बड़ी विशेषता या पहचान यह है कि वह किसी व्यक्ति,स्थान,काल, जाति या समुदाय विशेष के लिए नहीं होता अपितु सम्पूर्ण सृष्टि के लिए है,को भी विचार,मान्यता,या ज्ञान सबके लिए एक जैसा और तर्क एवम् विज्ञान के प्रयोग की तरह सिद्ध हो सकता है वही ईश्वरीय ज्ञान है। इसी लिए वेदों को अपौरुषेय कहा गया है। ईश्वरीय ज्ञान का दूसरा बड़ा गुण या लक्षण यह भी है कि उसमे किसी भी एक कथन या सत्य का दूसरे स्थान पर खण्डन या विरोध नहीं होता। वेद अनन्त है क्योंकि श्रृष्टि को समझने की प्रक्रिया अनन्त है इस प्रकार ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में जो आज सामने आ रहा है और आगे भी आता रहेगा वह भी वेद है और उसे सामने लाने वाले व्रिज्ञानिक भले ही वे कोट पैंट पहने दिखते हों आधुनिक ऋषि ही है। वेदों के आधार पर आचार्य अग्निव्रत जी का जो कार्य किया जा रहा है वह अतुलनीय है। पाठको से निवेदन है कि श्रष्टि विज्ञान को जानने के लिए उनके यू ट्यूब चैनल्स वैदिक फिजिक्स को देखने का कष्ट करें तब आपको अपने पूर्वजों के ज्ञान विज्ञान एवं पराक्रम पर गर्व होगा। आज के तथाकथित सनातनी भगवाधारी और पाखंडी कथावाचकों ने तो हिंदू धर्म का जितना नाश किया है उतना तो विधर्मियों ने भी नहीं किया है। याद रहे कि हिंदू धर्म का सबसे बड़ा हितैषी और वेदों का सच्चा उद्धारक महऋषि दयानंद सरस्वती के अतिरिक्त दूसरा उनके समान नहीं हुआ है।
@ravishkumar5150
@ravishkumar5150 Год назад
आचार्य जी सादर नमस्ते क्षमा करें इसी समय पर क्लास प्रारंभ हुई है तो समय पर आने में असमर्थ हूँ 🙏
@rajendersingh5771
@rajendersingh5771 Год назад
🙏 बहुत अच्छी व्याख्या की है हार्दिक धन्यवाद
@SubhashChander-rq1wk
@SubhashChander-rq1wk Год назад
🕉प्रणाम आचार्य जी, मैं अभी तक अध्यतम तक पहुँचा हूँ, और online भी attend करना चाहता हूँ, उसके लिए क्या करना पड़ेगा। 🙏
@janardansingh1403
@janardansingh1403 4 месяца назад
How to believe this theory ? Vacuum tha , space tha , darkness tha , space unending tha , God too was unending , then how to grasp it , what was the form of God, did he have brain to think , the magnitude of all this can neither be explained nor understood by anyone , this is all mental exercises, nothing else. It cannot be explained or by science or by spiritualism. Neither Veds are true ,nor any other scriptures or any other book in this regard .
Далее
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