आगम अनुसार सच्चे देव शास्त्र और निर्ग्रन्थ दिगम्बर मुनिराज गुरु ही व्यवहार से जीव को तारणहार है । शेष अपनी अपनी नज़र है । कौन किसको गुरु मानता है अपनी अपनी मान्यता है कुन्दकुन्दादि आचार्य भगवंतों की महिमा से अधिक आप उन्हें महिमावंत मानते हैं तो मानें ।
@@globaljainonenessinitiative आगम में सम्यक दर्शन में निमित्त सच्चे देव और निर्ग्रन्थ दिगम्बर जैन मुनिराज गुरु का उपदेश का ही उल्लेख है यदि अव्रती श्रावक भी सम्यक दर्शन में निमित्त का कहीं भी उल्लेख नहीं है सम्यक दर्शन के बिना कोई भी संसार से तिर नहीं सकता सो तारणहार तो सच्चे देव शास्त्र और निर्ग्रन्थ दिगम्बर मुनिराज गुरु ही हैं बाकी अपनी अपनी मान्यता अपनी अपनी नज़र ।
@@rajkumarsinghai9796 देवऋद्धि दर्शन और वेदना को तक सम्यग्दर्शन में निमित्त माना गया है। धन्य है आपको, कौनसे आगम पढ़ रहे हैं आप?? अपने मन की कहना सो खूब कहो, आगम का अवर्णवाद क्यों कर रहे हैं।