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बड़ा विचित्र है आत्मज्ञान ! अष्टावक्र गीता 

सनातन बोध - Sanatan Bodh
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8 сен 2024

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Комментарии : 22   
@ritukrishna6790
@ritukrishna6790 Месяц назад
अति सुंदर व्याख्यान नमन प्रभु🙏🙏
@shailsingh8309
@shailsingh8309 Месяц назад
Om Namah shivay 🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
@swadheentapankajkotipranam5103
@swadheentapankajkotipranam5103 Месяц назад
Satya vachan,bilkul sahi,sdgurudevji…lekin kuch…log samaj nahi payenge…behad kathin ,ulta samajeinge😂😀✌✌🙏🙏🌹🌹🌹
@mustafaabohari3853
@mustafaabohari3853 Месяц назад
If this kind of ultimate and perfect knowledge/reminder of truth is available in the world then why still so much confusion and chaos and suffering ???
@shashikantbote2198
@shashikantbote2198 Месяц назад
This is theorotical knowledge . We need it's practical .
@santoshgoel2769
@santoshgoel2769 Месяц назад
Narayan narayan narayan
@sanjaynarayanwagh440
@sanjaynarayanwagh440 Месяц назад
Pujyaniya Shri gurudev ji ke Charno Me Koti-Koti Pranam 🙏🌹
@rekharastogi5402
@rekharastogi5402 Месяц назад
Jai shree Krishna 🙏🙏🙏🙏
@paramveersinghchani217
@paramveersinghchani217 Месяц назад
अपने से पूछो मैं कौन हूं। सभी प्रश्नों उत्तर अंदर से ही मिलेंगे। 20:44 ‌।
@Girishadhyamtikgyan
@Girishadhyamtikgyan Месяц назад
Very good 👍👍
@swadheentapankajkotipranam5103
@swadheentapankajkotipranam5103 Месяц назад
Pavitra, bhudimaan,aattma gyan, thik se samaj, payega,…varna kam bhudhi,gaddei,ke age, bin bajana hai,😅😀✌🙏🙏🙏🌺🌹
@rishi1613
@rishi1613 Месяц назад
@sanjaykhande8040
@sanjaykhande8040 Месяц назад
🎉
@promptking_avi
@promptking_avi 3 дня назад
जो सही लगता है उसे पकड़ो,जो सही लगे उसे अपनाओ,बाकी किसी बात से कोई मतलब मत रखो आत्म कल्याण,आत्मानुभूति,शून्य अनुभूति के लिए काम आ रहा है तो सही ही है अगर काम नहीं आ रहा तो सही वाणी भी कुछ काम की नही
@ManishPatel-xm8ct
@ManishPatel-xm8ct Месяц назад
जो अर्थ वही बताए, अपनी कोई भी टिप्पणी ना करे,क्योंकि आप नही जानते आत्मा होती भी है की नही, जनक जी का अनुभव आपका अनुभव नहीं हो सकता,
@anuragsahu1972
@anuragsahu1972 Месяц назад
आपकी बुद्धि में जो समझ में आए वहीं सत्य हैं ऐसा नहीं है। क्योंकि हमारी बुद्धि सीमित हैं और सीमित वस्तु में असीम की कल्पना नहीं हो सकती।इसलिए आप अपनी बुद्धि के हिसाब से किसी को सुझाव न देवे । यदि ये भाई ज्ञान को अपनी टिप्पणी द्वारा समझा सकते हैं तो इसमें कोई गलत नहीं ।
@SureshKumar-gi3fi
@SureshKumar-gi3fi Месяц назад
​@@anuragsahu19720:22 0:22 0:22
@ManishPatel-xm8ct
@ManishPatel-xm8ct Месяц назад
@@anuragsahu1972 तब आप वो नही समझे जो मैं कह रहा हु, भाई अर्थ के साथ अपनी बुद्धि के हिसाब व्यक्तव्य भी दे रहा है, मेरा कुल तात्पर्य यह है कि जो जैसा है वैसा प्रस्तुत करे और और श्रावक भी भी बिना अपने बुद्धिमत्ता का उपयोग किए, जैसा वैसा ही आत्मसात कर ले तो सत्य को जान लेगा, जेसे आपने कहा बुद्धि क्षुद्र है, तो क्यों हम उसकी मदद ले
@anuragsahu1972
@anuragsahu1972 Месяц назад
@@ManishPatel-xm8ct मैं आपकी बात को समझा कि जो ज्ञान जैसा मिला हैं वैसा ही प्रस्तुत करें।पर साथ ही ये भी स्वीकारना होगा कि अष्टावक्र गीता की भाषाशेलीं नवीन साधकों के लिए कठिन हो सकती हैं।इसलिए मेरी समझ में ,यदि उस ज्ञान को जन सामान्य की बुद्धि में भरने के लिए अपने स्तर से इस भाई ने शुरुवात की हैं तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि यदि आपकी बात मानेंगे तो जो नवीन साधक जो धर्म को जानना चाहते है या जानने की थोड़ी भी जिज्ञासा जिनको ही वो इतनी कठिन भाषशेली को सुनके ही भाग जायेगे।आपका मत इस तर्क पर क्या सोचता हैं कृपया जवाब देवे
@ManishPatel-xm8ct
@ManishPatel-xm8ct Месяц назад
@@anuragsahu1972 मेरा आशय किसी को हतोत्साहित करना नही है मेरा कुल मतलब यह है आज जानकारी या शब्द को ही ज्ञान(जानना) मानने लगे हैं लोग, जबकि आप भी जानते हो कि आध्यात्मिक यात्रा शब्दो के विसर्जन बाद मौन से शुरू होती है, बुद्धि शब्दो और मन विचारो से इस कदर भरा है कि जो भी जाता है मिलकर अलग ही प्रतिबिंबित करता है, वैसे भी अष्टावक्र गीता जो सिद्ध हो गए हैं वही समझ पाएंगे, नवीन साधकों को कृष्ण की गीता आदर्श है फिर भी मुझे अतिरिक्त ना ले,भाई जो कर रहा वह अच्छा है,
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