बद्रीनाथ मंदिर का रहस्य/Badrinath mandir ka rehesye
बद्रीनाथ मंदिर का रहस्य
बद्रीनाथ मंदिर अथवा बद्रीनारायण मंदिर हिंदुओं का एक प्रसिद्ध मंदिर है । हिंदू धर्म के
अनुसार चार प्रमुख मंदिर हैं । जिसमें से बद्रीनाथ मंदिर की एक अलग पहचान है ।
बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली नामक जिले में गढ़वाल पहाड़ी ट्रैक पर स्थित है
। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर है और दुनिया भर से तमाम हिंदू धर्म को मानने
वाले लोग तथा वैष्णव भक्त भगवान विष्णु को आराध्य मानने वाले लोग हजारों की संख्या
में प्रतिदिन इस मंदिर पर आते हैं । बद्रीनाथ का पवित्र मंदिर यात्रा की दृष्टि से काफी दुर्गम
इतिहास रखता है ।कुछ समय पहले तक यहां उचित मार्ग की व्यवस्था नहीं थी पर अब
सरकार के प्रयास से अच्छी सड़कों के निर्माण से भगवान विष्णु के भक्तों को बद्रीनाथ मंदिर
जाने के लिए सुलभता हो गई है ।बद्रीनाथ मंदिर से विभिन्न पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं ।
सनातन धर्म के कई ग्रंथों में भगवान विष्णु के इस प्राचीन मंदिर के बारे में लिखा गया है ।
बद्रीनाथ मंदिर से संबंधित कुछ धार्मिक कथाएं इस प्रकार हैं -
भगवान विष्णु की तपस्या की कहानी
बद्रीनाथ के संबंध में भगवान विष्णु की एक कथा अत्यंत प्रचलित है । सनातन धर्म को
मानने वाले लोगों की मान्यता है कि बहुत समय पहले एक बार भगवान विष्णु पृथ्वी पर
साधना और ध्यान करने के लिए आए थे । पूरी पृथ्वी को देखकर उन्होंने यही स्थान चुना
जहां पर श्री बद्रीनाथ जी का मंदिर वर्तमान समय में है। बद्री नाथ के नाम में बद्री शब्द का
अर्थ एक बेरी के पेड़ से है । ऐसी मान्यता है कि एक बार भगवान विष्णु और उनकी पत्नी
मां लक्ष्मी की लड़ाई हो गई । आपस में लड़ाई करने के बाद मां लक्ष्मी भगवान विष्णु से
नाराज़ होकर अपने मायके चली गई । इधर भगवान विष्णु अकेले हो गए तो उन्होंने इस
स्थान पर साधना करने की योजना बनाई । कहते हैं तपस्या में लीन हुए भगवान विष्णु कई
महीनों तक तपस्या करते रहे । कुछ दिनों बाद जब मां लक्ष्मी वापस आईं तो उन्हे भगवान
विष्णु की इस कठिन तपस्या को देखकर बहुत दुख हुआ और उन्होंने इस स्थान पर बेरी के
पेड़ का रूप धर लीया जिससे कि तपस्या करते भगवान विष्णु की धूप से रक्षा की जा सके
। तभी से इस स्थान की पूजा की जाने लगी । इस स्थान पर केवल भगवान विष्णु ने ही
तपस्या नहीं की अपितु उसके बाद अनेकों सिद्ध और प्रसिद्ध विद्वान और संत भगवान
विष्णु के इस प्राचीन मंदिर पर अपनी चेतना से ऊपर उठने के लिए हजारों की संख्या में
प्रतिदिन आते हैं, साधना और तपस्या करते हैं।
भगवान विष्णु और शिव की कहानी
बद्रीनाथ मंदिर से संबंधित एक कथा अत्यंत लोकप्रिय है। ऐसी मान्यता है कि बहुत समय
पहले बद्रीनाथ में जहां भगवान विष्णु का मंदिर हैं वहां भगवान शिव रहते थे । एक बार
घूमते हुए जब भगवान विष्णु बद्रीनाथ की तरफ आए तो उन्हें यह दृश्य बहुत सुंदर लगा ।
लेकिन यह स्थान भगवान शिव और माता पार्वती को भी अत्यंत प्रिय था । इसलिए मां
पार्वती की झिझक के कारण भगवान शिव से भगवान विष्णु यह स्थान मांग नहीं सकते थे
। इसलिए भगवान विष्णु ने एक लीला करने की सोची । वे एक बच्चे का रूप धरकर
बद्रीनाथ में एक किनारे पर बैठकर जोर जोर से रोने लगे। उस सुनसान जगह में बच्चे को
रोता देखकर मां पार्वती बाहर आईं उन्होंने बच्चे से शांत होने के लिए कहा । लेकिन बच्चे
का रूप धरे भगवान विष्णु नहीं माने और वे रोते रहे । तभी बाहर भगवान शिव भी आये
और बच्चे को देखकर वे तुरंत पहचान गए कि वो बच्चा कोई साधारण नहीं बल्कि खुद
नारायण हैं। भगवान शिव ने मां पार्वती से कुछ दूर घर से बाहर जाने के लिए कहा। मां
पार्वती के बाहर जाते ही भगवान शिव ने बच्चे का रूप धरे भगवान विष्णु से बद्रीनाथ आने
का कारण पूछा। तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव को अपना मंतव्य बताया कि ये
बद्रीनाथ का स्थान उन्हें अत्यंत प्रिय है । भगवान शिव ने अपने आराध्य का निवेदन
स्वीकार किया और वह बद्रीनाथ धाम छोड़कर कैलाश पर्वत पर चले गए। कहते हैं तभी से
बद्रीनाथ का यह मंदिर भगवान विष्णु का निवास स्थान है और यहां हजारों की संख्या में
लोग भगवान विष्णु की आराधना करने के लिए आते है।
8 сен 2024