आदिवासीयों के लिये बहुत बड़ी दिक्कत है, ना ईस पार ना उस पार । आदिवासी लोग दहशत मे जी रहे है मगर सरकार तो अपने ही देश मे अपने ही नागरिकों को दुश्मन समज रही है और माववादी भी अपने ही देश के जवानो को अंग्रेज सरकार समज रहे है । यह आंतरिक युद्ध बंद होना चाहिए और आदिवासीयो को अपनी जिंदगी परंपरागत तरीके से जीने देना चाहिए ।
तिवारी सर का तर्क सही है, प्रशासन को समझना होगा कि ग्रामीण निहत्थे है तो सुझबुझ, से काम लें, पुछताछ करें, सभी ग्रामीणो को नक्सलि ना समझे एवं उन्हें प्रताड़ित ना करें
बस्तर में आम जीवन जीने के लिए वास्तव में भारी संघर्ष कर रहे हैं अभी अभी मैं नारायण पुर गया था उन छोटे छोटे गांव को देख कर ऐसा लग रहा था कि जब माओवादी और सैनिकों में जब भिड़ंत होती होगी तो उन छोटे छोटे गांव वालों पर क्या बीतती होगी और उनके सहायता करने गांवों में कोई जाते भी होंगें की नहीं हम लोग सुविधा युक्त जगह में रह कर भी अपने लिए और सुविधा होने को सोचते हैं उन लोगों का जिंदगी बहुत ही संघर्ष मय है शासन प्रशासन को भी उन लोगों के लिए ध्यान देना चाहिए
मोहन भागवत को बोलो ये भी हिंदू है। Census, Voting, रैली, मुस्लिम नफरत में काम आयेंगे अब तो उनकी राष्ट्रवादी सरकार 3rd Term में है l फॉरेस्ट वालों की क्रूरता यहां एमपी में भी हाईएस्ट है
● आदिवासी बहुल गाॅव मे ग्रामीणों को बहुत कष्ट पड रहा है. फौज के मन मे डर से हर ग्रामीण फोर्स दिखते ही भागने लगते या छुप जाते. ओर फोर्स इसी को नक्षली समजते. यही misunderstanding हो रहा. ओ अपने देश के नागरीक है सरकार ने कुछ इसके बारे मे अच्छा सोचना चाहीये.
जब माओवादी कुछ बनाने दे तो कुछ बने पुल को उड़ा देते हैं सड़क को आईईडी लगाकर उड़ा देते हैं काम करने वाले लोगो को मार दिया जाता हैं और वाहनों में आग लगा दी जाती हैं
सही कह रहे है तिवारी सर जी, ग्रामीणों के दर्द को कौन समझे, निर्दोष ग्रामीण बीच मे पिसी जा रही है, वर्षो से, क्या होगा निर्दोष ग्रामीणों का भगवान ही जाने, भगवान से विनती है हमारे देश के मूल ढांचा ग्रामीणों की स्थिति ठीक हो जाये, जय हिंद जय भारत
Heads-up to you bro, I like your strategy I humbly request you when the combing operation doesn't move in your home. Govt must solve this problem as soon as possible save the tribes.
गांव वालों के मौत का कारण उन का डर ही है,और फोर्स इसी डर का फायदा उठाती होगी इन के डर का मजा लेने और डराती होगी,बेहतर है लोग किसी तरह डर छोड़ें फोर्स का ईमानदारी से सामना करें,संगठित हो कर अपनी बात प्रशासन तक आप लोगो के माध्यम से पहुंचाएं,,,
आप की हर रिपोर्टिंग लगातार देखता हूं,आपकी गांव वालो की बातो से स्पष्ट है ग्रामीण समझते है तो ये संगठित हो कर नक्सलीयो का विरोध क्यों नही करते है,आपकी रिपोर्टिंग नक्सलियों को कवर फायरिंग की तरह है,
एक बात बताऊं विकाश भैया आदिवासी भाई को जितना लोग सीधे समझते है उतना बहुत चतुर और पैसे वाले हैं आज से दस साल पाहिली की घटना है बीजापुर एरिया में जो कहानी बता नही सकता बस बेवकूफ बनाने जानते है
The force should show humanity. Request to them pls don't torture them in name of Maoist. So sorry for innocent Adivasi. Thank you reporter sir for this type of ground reporting.
भागने की क्या जरूरत थी आराम से वोही बैठना चाहिए और हाथ उठा के दिखाना चाहिए की हमारे पास कुछ नही है और हम लोग ग्रामीण है , ऐसा मुझे लगता है , हलाकि वहा की परिस्थिति कितनी कठिन है ये समझते हुए उनको कोशिश करना चाहिए
बहुत अच्छी रिपोर्टिंग है 🎉 करते रहो लेकिन इस काम से हमारे आदिवासी विक्टिम्स को और नुकसान न हो ध्यान रखो अपने साथियों को बताओ l जो लोग जिस कम्युनिटी से है खुद सरकारी माफिया के शिकार है वे ज्यादा इस मामले को समझ सकते महसूस कर सकते l
Mai up ka adivashi hu tivari ji jo kah rahe please pulice yese adivashi ko na mare jinake paas hathiyar na ho kiyuki wo bhi inashan he or app bhi inshaniyat ke nate
तिवारी जी आप ने उस लड़के का शकल न दिखाने की कोई ठोस वजह नही बताई। इस लड़के की pic dikhanii चाहिए ताकि पुलिस को पता चले गांव वाले भी वहा से भागे थे। आगे से ऐसा न करे। इसको सच कैसे मानेंगे। 2:39
एक चीज समझ नही आता कि कुछ लोग तो बोल रहे है कि हम तो गलत नही है इस लिए नही भगे और वो गांव में ही रूक गये और पुलिस बल कुछ नही कि, पर जब कोई मरता है तब वो अकेला ही क्यु भगता है बाकी और भी लोग है वो गांव मे ही रूक जाते है? कुछ लोग बोलते है फायरिंग का अवाज सुन कर भागे थे तो जिधर फायरिंग हो रहा है उधर अकेले ही क्यु भागे? अगर पुरे गाँव वाले ही भगते है तो अकेला ही नक्शलियो के साथ क्यु मरता है और भी ग्रामीण क्या साथ नही रहते?
ये डर से भागते हैं पुलिस घर में भी ठोक देती हैं बस्तर में रहोगे तो जान जाओगे मुह खोलोगे तो नक्सली मुखबिरी मे ठोक जायेंगे और फ़ोर्स के चक्कर मे पड़ तो भी मारे जाओगे जंगल मे कोई पूछने वाला नही
भाई बस्तर में नक्सली लगभग 1980 में आए । 1947 में देश आजाद हुआ 1950 में हमारे देश का संविधान लागू हुआ। सरकार चाहे किसी की भी हो 1950 से 1980 तक इन 40 सालों में तो विकास होना था। उस समय कोन जिम्मेदार था? बस्तर के आदिवासी विलासिता पूर्ण जीवन नही चाहते। मेरे हिसाब से उन क्षेत्र के लोगों के हिसाब से ही विकास होना चाहिए। यह मेरा निजी विचार है।
1980 mein ek Indian ki aaye kya thi pura desh ki sthithi kya thi ye bhi dekho. 2000-2010 k baad vikas nahi pahuch rha tb isme sarkar bhi kuch hadd tak doshi hai.
@@lalchandvaishnav3685यही तो मैं वर्षों से कहता आ रहा हूं। जब बात नक्सली/माओवादियों की आती है तो हर कोई मानवतावादी हो जाता है। उनमें से लगभग सभी इस बकवास नक्सली का रोमांटिककरण भी करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नक्सली छत्तीसगढ़ के जल-जंगल और जमीन के लिए लड़ते हैं। तो ठीक है। वे जंगलमहल के लोगों के लिए सड़क, पुल, स्कूल, अस्पताल की मांग क्यों नहीं करते? इसके बजाय, वास्तव में वे जो करते हैं वह यह है कि वे सड़क/पुल निर्माण उपकरणों में आग लगा देते हैं, आईईडी लगाते हैं, मजदूरों का अपहरण कर लेते हैं। ये सभी तथ्य हैं। अब नक्सली क्या उम्मीद करते हैं? सरकार आयेगी, उनकी पीठ थपथपायेगी और कहेगी, "शाबाश साथियों, ऐसा करते रहो"। नहीं साहब। नक्सलियों का सफाया करना है. साथ ही, उन आम गरीब लोगों को विकासात्मक परियोजनाओं का अमृत प्रदान किया जाना है। सभी पत्रकारों से अनुरोध है कि वे इन गरीब लोगों से कहें कि जब सुरक्षा बल उनके गांवों में आएं तो वे जंगल की ओर न भागें। जय हिन्द।
अपने AC के वाले कमरे मे बैठ कर कुछ लोग बहुत ही घाटियां और निहायती नीच किस्म के टिप्पणी करते है उन में से कोई भी अगर आदिवासी का जीवन जीने का प्रयास करता तब समझ में आता
mere ko ye samajh nahi itne saare bade news channel hai lekin ye news kiyo nahi dikhate ki koi begunah adiwaasi bhi mara gaya karke kiya bade news Wale ke liye kisi ki begunah ki Jaan bahut choti news hai ya ye news waale sarkaar ki galti dikhana nahi chahte vikaas ka naam dekar dabaya ja raha kisi politicians ka kuch program hoga to ye dikhayenge ki ye ji AYsa o ji AYsa koi bolega Jai shree raam lekin baster me naxal khatam ka video to dikhaate hai lekin naxal ke naam pe adiwaasiyon ko mara ja raha iska koi bhi bade news channel aue midia nahi dikha Raha aur local baster ka news kewal yahi baster aur cg tak hai baki desh duniya me iska koi mahatw nahi to kaha se nahi marenge begunah adiwaasiyon ko
Takle tiwari jyda defend mat kar bhai maowadi log ki,jinko gav wale log nirdosh bolte hai wo maowadi k supporter hote hai,wo us jagah pe kya karne jate hai btao gav se 25,40 km door
अरे तुम खुद ही सरकारी ददलों की मुखबिरी कर रहे ये अपनी जान कैसे बचाते ,कहां छुपते, कैसे भागते पूरी प्रक्रिया बता रहे l उनके जीवन और स्वतंत्रता का खतरा तुम मीडिया मंडी से भी है